गजब ढाते हो
खुद ही ज़ख्म देके मरहम लगाते हो , मेरी जान क्यूँ मुझ पर गजब ढाते हो , मेरी हालत देख कर जब तुम मु…
खुद ही ज़ख्म देके मरहम लगाते हो , मेरी जान क्यूँ मुझ पर गजब ढाते हो , मेरी हालत देख कर जब तुम मु…
जब भी आते हैं मुझे ख्याल तेरे न जाने क्यूँ मुस्कुराते हैं लब मेरे , सोचता हूँ ये क्या हो रहा है…
वो गहरी अँधेरी रात थी , केवल मेरी तन्हाईयाँ मेरे साथ थी , हम बैठे हुए घूर रहे थे अपने टीवी…