अपडेट: सूरज पॉकेट बुक्स से मेरे द्वारा अनूदित दूसरा उपन्यास हुआ प्रकाशित

 

पाठकों के पास 'चाल पे चाल'

यहाँ पर चीजों को अपडेट करने के मामले में मैं थोड़ा लेट लतीफ़ हूँ। यही कारण है कि वैसे तो मेरा दूसरा अनुवाद सूरज पॉकेट बुक्स से जनवरी में प्रकाशित हो गया था लेकिन अब तक इधर उसे अपडेट नहीं कर पाया था।


पहले सोचा था जनवरी में रिलीज होते ही इधर अपडेट दे दूँगा लेकिन फिर किसी कारणवश ये काम टलता ही रहा। फिर जब कुछ महीने गुजर गए तो सोचा कि अब समय ले ही लेते हैं। वैसे भी धीरे धीरे पाठकों की राय आ ही रही थीं तो सोचा देख लेते हैं छः महीने रुक कर। 


अब जुलाई चल रहा है और खुशी इस बात की है कि इस माह भी पाठकों की राय पुस्तक के प्रति आयी है जो कि मुझे और बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है। 



अनुवाद की बात करें तो 'चाल पे चाल' (Chaal pe Chaal) महशूर ब्रिटिश लेखक जेम्स हेडली चेज (James Hadley Chase) के उपन्यास डॉल्स बैड न्यूज (Doll's Bad News) का हिंदी अनुवाद है। इसका केन्द्रीय पात्र डेविड फेनर (David Fenner) है जिसे लेकर उन्होंने अपना सबसे पहला उपन्यास  नो ओर्किड्स फॉर मिस बलेंडिश (No orchids for Miss Blandish) लिखा था जो कि प्रकाशित होते ही इतना हिट हुआ था कि उसने एक अपराध कथा लेखक के तौर पर उन्हें स्थापित कर दिया था। 


डॉल्स बैड न्यूज (Doll's Bad News)  की बात करें तो यह सबसे पहले ट्वेल्व चिंक्स एंड अ वुमन (Twelve Chinks and A Woman) के नाम से 1941 में प्रकाशित हुई थी। वैसे बारह चीनियों का यहाँ महत्व तो है लेकिन मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि डॉल्स बैड न्यूज (Doll's Bad News) इस उपन्यास के लिए बेहतर नाम था। फिर जब इसका हिंदी नाम की बात आयी तो पहले मैं चालबाज सोच रहा था लेकिन चूँकि प्रकाशक को वह इतना नहीं जँचा तो चाल पे चाल (Chaal pe Chaal) का ख्याल आया और उन्हें यह जम गया।  


अब 'चाल पे चाल' आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत है।  उम्मीद है आपका मनोरंजन करने में ये सफल होगी। 


पुस्तक के विषय में:

छः माह से खाली बैठे प्राइवेट डिटेक्टिव डेविड फेनर को जब उस खूबसूरत युवती के आने की खबर मिली तो उसे लगा था कि शायद अब उसे कोई केस मिलेगा। वह कहाँ जानता था कि वह औरत अपने साथ मुसीबतों और रहस्यों का ऐसा झंझावात लेकर आएगी कि उसका अपनी जान बचाना दूभर हो जाएगा। 


अब हर चाल पे उसे ऐसी चाल चलनी पड़ेगी जो उसे मौत से दूर और सच्चाई के करीब लेकर आएगा। लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा था… वह हर चाल पर मौत के नजदीक और सच्चाई से दूर जाता जा रहा था…


*****


चाल पे चाल (Chaal Pe Chaal) के विषय में कुछ पाठकों की राय आप  निम्न पृष्ठ पर जाकर पढ़ सकते हैं:

चाल पे चाल


चाल पे चाल (Chaal Pe Chaal) अगर आप मँगवाना चाहें तो निम्न लिंक्स के माध्यम से मँगवा सकते हैं:

अमेज़न | साहित्य विमर्श प्रकाशन | सूरज पॉकेट बुक्स


अगर आपने 'चाल पे चाल' (Chaal Pe Chaal) पढ़ी है तो आप मुझे अनुवाद और पुस्तक के विषय में अपनी राय जरूर बताइएगा।



5 टिप्पणियाँ

आपकी टिपण्णियाँ मुझे और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करेंगी इसलिए हो सके तो पोस्ट के ऊपर अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।

  1. बेहद अच्छा काम कर रहे हैं आप । किंडल पर अनुवादित उपन्यास उपलब्ध है तो कृपया लिंक साझा कीजिएगा ।

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    उत्तर
    1. जी पोस्ट के आखिर में जो अमेज़न वाला लिंक साझा किया है उधर से ही मिल जाएगा।

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद विकास जी ।

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