नवंबर 2023: पढ़ने का लेखा जोखा

 

नवंबर 2023: पढ़ने का लेखा जोखा
नवंबर 2023: पढ़ने का लेखा जोखा

आजकल मेरा भारी भरकम गंभीर साहित्य पढ़ने का मन नहीं करता है तो हल्का फुल्का साहित्य ही पढ़ रहा हूँ। बाल साहित्य, किशोर साहित्य, कॉमिक बुक्स, अपराध साहित्य और हॉरर इत्यादि ही पढ़ा जा रहा है। यही चीज नवंबर में पढ़ी रचनाओं में दृष्टिगोचर होती है।

 

नवंबर की बात की जाए तो इस बार 10 रचनाएँ पढ़ीं। इन रचनाओं में चार उपन्यास, दो लघु उपन्यास संकलन , दो कॉमिक बुक, एक उपन्यासिका और तहकीकात पत्रिका का एक अंक शामिल था। सभी रचनाएँ इस बार हिंदी की ही थीं। 


चलिए ज्यादा देर न करते हूए देखते हैं कि यह रचनाएँ कौन कौन सी थीं।


नवंबर 2023 में पढ़ी गई रचनाएँ  


गोल्डन फाइव के कारनामें 


नवंबर 2023: पढ़ने का लेखा जोखा | गोल्डन फाइव के कारनामें - नेहा अरोड़ा


फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन
द्वारा प्रकाशित  'गोल्डन फाइव के कारनामें' में नेहा अरोड़ा के दो लघु उपन्यासों खजाने का रहस्य और चमकते पत्थर का रहस्य को संकलित किया गया है। इसमें विवान, मान्या, हेयांश, किमाया और करनव के कारनामें हैं जो कि आपस में दोस्त हैं। वह खुद को गोल्डन फाइव कहते हैं और उन्हें रहस्यमय मामलों को सुलझाना पसंद है।

'खजाने का रहस्य' गोल्डन फाइव का पहला कारनामा है जहाँ न केवल पाठकों से गोल्डन फाइव के सदस्यों का परिचय करवाया जाता है बल्कि साथ में ये दर्शाया जाता है कि ये नाम कैसा पड़ा। 

खेल के दौरान मिली एक चीज बच्चों के मन में इतनी जिज्ञासा जागृत कर देती है वो लोग उस जिज्ञासा को शांत करने जयपुर पहुँच जाते हैं। यह जिज्ञासा वो जिस तरह शांत करते हैं वही कहानी बनती है। 

'चमकते पत्थर का रहस्य' गोल्डन फाइव का दूसरा कारनामा है। अपने पहले कारनामें के चलते गोल्डन फाइव को रहस्यमय कारनामों को सुलझाने की लत लग गई है लेकिन काफी समय गुजरने के बाद भी उनके साथ में कुछ नहीं लग पाता है। ऐसे में जब सब परेशान होने लगते हैं तो उन्हें रामपुर के चमकते पत्थर के विषय में पता चलता है और वो लोग इस रहस्य को सुलझाने निकल पड़ते हैं।  रामपुर जाकर इनके साथ क्या होता है यही कहानी बनती है। 

दोनों लघु-उपन्यास पठनीय हैं। कथा के स्तर पर इतने जटिल नहीं है। बच्चों द्वारा पढ़े जा सकते हैं। 


पुस्तक लिंक: अमेज़न  | विस्तृत टिप्पणी: गोल्डन फाइव के कारनामें


मेरी जान के दुश्मन


नवंबर 2023: पढ़ने का लेखा जोखा | मेरी जान के दुश्मन


'मेरी जान के दुश्मन' लेखक सुरेंद्र मोहन पाठक की लिखी एक अपराध कथा है। उपन्यास प्रथम बार 1981 में प्रकाशित हुआ था और हाल में 2023 में उसका नवीन संस्करण ओम साई टेक बुक्स से प्रकाशित होकर आया है।

मेरी जान के दुश्मन विशालगढ़ के एक बाशिंदे जोगिंदर बतरा की कहानी है। कहानी की शुरुआत जोगिंदर उर्फ अनूप सिंह के विशालगढ़ पहुँचने से होती है। जोगिंदर को चार साल पहले विशाल गढ़ से कूच करना पड़ा था और अब चार साल बाद वो नए नाम के साथ यहाँ पहुँचा है।
जोगिंदर को अपनी बैंक की नौकरी क्यों छोड़नी पड़ी और इन चार सालों में उसने क्या किया और अब वो विशालगढ़ क्यों लौटा था? ये ऐसे सवाल हैं जिनका उत्तर ही कथानक बनता है।

उपन्यास मुझे पसंद आया। उपन्यास में कुछ बिंदु ऐसे हैं जिन पर काम होता तो ये और रोमांचक बन सकता था। फिर भी अगर रोमांचकथाएँ पसंद हैं तो उपन्यास पढ़कर देख सकते हैं।


पुस्तक लिंक: अमेज़न साहित्य विमर्श | विस्तृत टिप्पणी: मेरी जान के दुश्मन 


तहकीकत 2 


नवंबर 2023: पढ़ने का लेखा जोखा | तहकीकात 2

तहकीकात नीलम जासूस कार्यालय द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पत्रिका है। मूलतः अपराध साहित्य पर केंद्रित इस पत्रिका में सत्यबोध परिशिष्ट भी मौजूद है जिसमें गंभीर साहित्यिक रचनाएँ मौजूद रहती हैं।
 
पत्रिका में संपादक के पत्र, गजल, लतीफों के अतिरिक्त समीक्षाएँ, लेख और कथाएँ मौजूद हैं।

अहमद यार खाँ की सीढ़ियाँ और जहर और अनजान हत्यारे इसमें मौजूद हैं। बांग्लादेश मुक्ति संग्राम पर आधारित जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा की मेजर अली रजा की डायरी बहुत ही पावरफुल रचना है। इसके अतिरितक योगेश मित्तल की सुपर मॉडल का कत्ल, अनिल पुरोहित की रहस्यमय कपालिक और विनय सक्सेना की बेवफाई  इसमें शामिल हैं। सत्यबोध परिशिष्ट की बात की जाए तो उसमें कृश्न चंदर की कहानी शहजादा और रोशनलाल सूरीवाला के कहानी कमाई का फर्क तो मौजूद है जी साथ में समीक्षाएँ, गजल इत्यादि भी मौजूद हैं। 

तहकीकात का यह दूसरा अंक हर तरह के पाठकों के लिए कुछ कुछ अपने में समेटे हुए हैं। चूँकि पत्रिका का ध्यान अपराध साहित्य पर है तो उसकी बहुलता होना जायज है पर फिर भी सत्यबोध परिशिष्ट काफी कुछ पाठकों के लिए दे जाता है।


पुस्तक लिंक: अमेज़न  | विस्तृत टिप्पणी: तहकीकत 2


वापसी 



नवंबर 2023: पढ़ने का लेखा जोखा | वापसी - गुलशन नंदा


गुलशन नंदा को मैंने अब तक नहीं पढ़ा था। हिंदी लोकप्रिय साहित्य की बात करें तो इसमें उनका एक अलग स्थान था। वह लोकप्रियता के उस शिखर तक पहुँचते थे जहाँ तक पहुँचना अधिकतर लेखकों का ख्वाब ही होता है। 

प्रस्तुत उपन्यास की बात करें तो गुलशन नंदा का उपन्यास 'वापसी' 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। उपन्यास श्री डिजिटल प्रकाशन द्वारा किंडल पर प्रकाशित किया गया है। 

 उपन्यास की कहानी पाकिस्तान में शुरू होती है। 1965 के युद्ध के बाद सीज फायर हो चुका है। पाकिस्तान और भारत अपने अपने कैदियों को रिहा कर रहे हैं। ऐसा ही एक कैदी रणजीत है जो कि पाकिस्तान की कैद में बंद है। वह फौजी कैप्टन रहा है। उसे भी रिहा किया जा रहा है पर वो नहीं जानता है कि पाकिस्तानी अफसरों के मन में उसे लेकर अलग खिचड़ी बन रही है। वह उसकी जगह किसी और को भेजना चाहते हैं। 

वह जिसे भेजते है वह भारत आकर क्या करता है यही उपन्यास का कथानक बनता है। 

यह एक भावना प्रधान उपन्यास है जिसमें एक अच्छे रोमांचकथा बनने के गुण थे लेकिन लेखक इससे बचे हैं। उपन्यास के बार पढ़ सकते हैं। संपादन की कमी भी उपन्यास में दिखती है। 


पुस्तक लिंक: अमेज़न  | विस्तृत टिप्पणी: वापसी


मुकद्दर का धनी 


नवंबर 2023: पढ़ने का लेखा जोखा | मुकद्दर का धनी

'मुकद्दर का धनी’ राजा द्वारा लिखा बाँकेलाल का कॉमिक बुक है। यह बाँकेलाल का पाँचवाँ कॉमिक बुक है जो कि राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित किया गया है और इसे राज कॉमिक्स के बाँकेलाल डाइजेस्ट 1 में संकलित किया गया था।

प्रस्तुत कॉमिक बुक में दो परेशानियाँ हैं जिनसे बाँकेलाल को जूझना है। एक तो विशालगढ़ में होती चोरियाँ हैं और दूसरा शीतलगढ़ की राजकुमारी सपनलता का दस सिंग वाले राक्षस द्वारा अपहरण।

कैसे किस्मत के चलते वो इन मुसीबतों से घिरता है और फिर किस तरह शाप के कारण वो जिसका बुरा करना चाहता है उसका भला कर बैठता है यह देखना रोचक होता है। बाँकेलाल के मन में जो चलता रहता है वो पढ़ना भी हास्य पैदा करता है। 

विस्तृत टिप्पणी: मुकद्दर का धनी


द्वंद 


नवंबर 2023: पढ़ने का लेखा जोखा | द्वंद - सुधा मूर्ति


'द्वंद' लेखिका सुधा मूर्ति के 'तुमुल' नामक कन्नड पुस्तक का हिंदी अनुवाद है। पुस्तक में उनके दो लघु-उपन्यास द्वंद और तर्पण संकलित किए गए हैं। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इन लघु-उपन्यासों में केंद्रीय किरदार अपनी पहचान, अपनी जड़ों की तलाश करते दिखता है। वहीं एक भाई की तलाश भी इनमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फिर एक रोचक बात ये भी है कि भले ही सुधा मूर्ती दक्षिण से आती हों लेकिन इस संकलन में मौजूद उनकी दोनों ही रचनाएँ उत्तर भारत की पृष्ठभूमि में रची गई हैं।अंत में यही कहूँगा कि अपनी जड़ों को खोजते इन किरदारों की कहानियाँ पठनीय हैं। 

मूलतः कन्नड़ में लिखी इन रचनाओं का अनुवाद  शोभा आर कावेरी द्वारा किया गया है। अनुवाद अच्छा बन पड़ा है। 

पुस्तक लिंक: अमेज़न  | विस्तृत टिप्पणी: द्वंद 


पाँच जासूस 

नवंबर 2023: पढ़ने का लेखा जोखा | पाँच जासूस - शकुंतला वर्मा

'पाँच जासूस' चिल्ड्रेनस बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित शकुंतला वर्मा का बाल उपन्यास है। उपन्यास प्रथम बार 1996 में प्रकाशित हुआ था।

उपन्यास के केंद्र में दीपक, निखिल, काजिम, संजय नाम के दोस्त हैं। यह दोस्त एक ही मोहल्ले में आस पास रहते हैं और इन्होंने एक ऐसी सोसाइटी जिसे ये सीक्रेट सोसाइटी कहते हैं, आपस में मिलकर बनाई है जिसके माध्यम से यह आसपास के लोगों की मदद करना चाहते हैं। 

प्रस्तुत कथानक में बच्चे दो मामले सुलझाते हुए दिखते हैं। पहला मामला छोटा है और दूसरा मामला बड़ा। मामले दोनों रोचक हैं। हाँ, पहला मामले में जिस तरह से संयोग के माध्यम से चीज सुलझ जाती है वो उसे थोड़ा कमजोर कर देती है। 

अंत में यही कहूँगा कि उपन्यास पढ़ने लायक है।  मुख्यधारा के हिंदी बाल साहित्य में रहस्य रोमांच कथाएँ कम ही होती हैं तो इसे पढ़ा जाना चाहिए। आपने नहीं पढ़ा है तो पढ़कर देखें। 


पुस्तक लिंक: अमेज़न | विस्तृत टिप्पणी: पाँच जासूस 



बाँकेलाल और शादी का षड्यन्त्र

नवंबर 2023: पढ़ने का लेखा जोखा | बाँकेलाल और शादी का षड्यन्त्र


'बाँकेलाल और शादी का षड्यंत्र' बाँकेलाल श्रृंखला का छठवाँ कॉमिक बुक है। इसकी कहानी तरुण कुमार वाही ने लिखी है और चित्रांकन जितेंद्र बेदी जी द्वारा किया गया है।

यह कॉमिक बूक इसलिए खास है क्योंकि बाँकेलाल के मन में विक्रम सिंह का राज्य हड़पने का ख्याल सबसे पहले इस कॉमिक्स में ही आया था। यह ख्याल कैसे आया, इसे पूरा करने के लिए उसने क्या क्या किया और कैसे जिसका वो बुरा चाहता था उसका भला हुआ यही सब कहानी बनती है। 

कॉमिक एक बार पढ़ी जा सकती है। 


विस्तृत टिप्पणी: बाँकेलाल और शादी का षड्यन्त्र



सूरमा 

नवंबर 2023: पढ़ने का लेखा जोखा | सूरमा - अनिल मोहन

'सूरमा' लेखक अनिल मोहन द्वारा लिखित उपन्यास है। यह देवराज चौहान शृंखला का उपन्यास है। उपन्यास सूरज पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित किया गया है।

देवराज चौहान और जगमोहन की गाड़ी किस्मत के चलते जब दिल्ली चंडीगढ़ हाइवे पर रुकी तो उनकी जानकारी में वहां एकांत में मौकूद भारत सरकारी बैंक आया।

बैंक को देखकर डकैती का ख्याल आया और उन्होंने इस बैंक डकैती की योजना बना दी।

आगे क्या हुआ? यही इस उपन्यास की कहानी बनती है।

उपन्यास के बारे में यही कहूँगा कि देवराज चौहान के प्रशंसक हैं तो कहानी आपका मनोरंजन करने में पूर्णतः सफल होगी। कहानी तेज रफ्तार है और जहाँ थोड़ा बहुत धीमी पड़ती भी है तो वहाँ ऐसी घटनाएँ हो जाती हैं जिसके चलते आप आगे पढ़ने को उत्सुक रहते हैं। उपन्यास मुझे तो पसंद आया। उम्मीद है आपको भी आएगा।


पुस्तक लिंक: अमेज़न | विस्तृत टिप्पणी: सूरमा 


दाग 

दाग आदित्य कुमार | नवंबर 2023: पढ़ने का लेखा जोखा


'दाग'  किंडल पर प्रकाशित आदित्य कुमार की एक उपन्यासिका है। मूलतः यह एक रहस्यकथा है जिसमे कत्ल की जाँच केन्द्रीय किरदार को करनी होती है। 


उपन्यासिका के केंद्र में अक्षत पांडेय नाम का इंस्पेक्टर है जिसकी जिंदगी में कुछ ऐसा हुआ रहता है कि वो अपने को बरबाद करने और ईमानदारी छोड़ भ्रष्ट होने पर तुला हुआ है। उसके साथ जो घटना हुई थी वो करने वाली उसकी पूर्वपत्नी कानपुर में आ चुकी थी और अब किस्मत उसे उसी कानपुर में ले आई है। पर किस्मत को इससे भी चैन न मिला तो उसके सामने वो उसकी उसी पूर्व पत्नी साक्षी को खड़ा कर देती है। पर अब गेंद अक्षत के पाले में है। एक अपराधिक मामला है जिसकी जाँच उसे करनी है और उस मामले के केंद्र में साक्षी का करीबी है। 


ये मामला क्या है? अक्षत कैसे इस मामले की जाँच करता है? मामले की जाँच का क्या नतीजा निकलता है? साक्षी और अक्षत की मुलाकात में क्या होता है? ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिसका उत्तर इस उपन्यासिका को पढ़कर जाना जा सकता है।
 

यह एक पठनीय रचना है। अगर रहस्य के उजागर होने वाला पहलू थोड़ा और बेहतर होता तो यह और अच्छी रहस्यकथा बन सकती थी। अभी रहस्य मुख्य किरदार उजागर नहीं करता बल्कि उसके पास वो खुद आकर उजागर होता है। रचना एक बार पढ़ी जा सकती है।


पुस्तक लिंक: अमेज़न | विस्तृत टिप्पणी: दाग 


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तो यह थीं नवंबर के माह में पढ़ी गई रचनाएँ।  आपने नवंबर में क्या पढ़ा? आपको किस तरह की रचनाएँ पढ़ना पसंद हैं? कमेंट्स के माध्यम से जरूर बताइएगा।



2 टिप्पणियाँ

आपकी टिपण्णियाँ मुझे और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करेंगी इसलिए हो सके तो पोस्ट के ऊपर अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।

  1. गुलशन नंदा की किताबें मैंने सालों पहले पढ़ी थी। आजकल मेरे पढ़ने की रफ़्तार काफी धीमी है। मैं डेढ़ महीने से दो किताबें पढ़ रही हूँ : आपका बंटी मन्नू भंडारी और Shake the Bottle by Ashapurna Debi (translated by Arunav Sinha). अच्छी किताबें हैं फिर भी ध्यान नहीं लग रहा, पता नहीं क्यों। मुझे भी फ़िलहाल कोई और किताब पढ़ना शुरू कर देना चाहिए।

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    1. गुलशन जी को इससे पहले नहीं पढ़ पाया था। तो इस बार पढ़ना हो गया। कई बार रीडिंग स्लम्प भी आ जाता और इसलिए पढ़ने की स्पीड धीमी पड़ जाती है। ऐसे समय में मैं तो कॉमिक बुक्स या बाल साहित्य पढ़ना पसंद करता हूँ। मुझे रीडिंग स्लम्प से उभार देते हैं ये।

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