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स्रोत: pixabay |
ये शब्द नहीं लाश है,
उन इच्छाओं की,
उस प्रेम की,
उस टूटे रिश्ते की,
जो डर, झिझक और अहम के चलते,
न हो सके पूरे,
न बन सके दोबारा,
ऐसी लाशें,
जिन्हें ढोना होता है ताउम्र,
किसी बेताल की तरह अपने काँधे पर,
तब तक जब तक हम विचरते हैं इस दुनिया में,
किसी प्रेत की तरह
- अंजान
© विकास नैनवाल 'अंजान'
सुन्दर..., हृदयस्पर्शी ।
जवाब देंहटाएंजी,शुक्रिया।
हटाएंदिल को छूने वाली खुबसूरत पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंजी हार्दिक आभार।
हटाएंबहुत ही खूबसूरत अल्फाजों में पिरोया है आपने इसे... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार, संजय जी।
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