मनुष्य से पहले: N से Nothosaurus





पिछले पोस्ट में हमने समुद्र में पाये जाने वाले एक विशालकाय जीव के विषय में जाना था। इस पोस्ट में भी हम लोग एक ऐसे ही जीव के विषय में जानेंगे जो कि वैसे तो धरती में रहता था लेकिन खाने पीने समुद्र में आया करता था। लेकिन उस जीव के विषय में जानने से पहले चलिए उसके दर्शन कर लेते हैं। 

नोथोसौरस , स्रोत: डायनोसौर वर्ल्ड

तो ऊपर जिस महाशय को आप देख रहे हैं यह हैं महाशय नोथोसौरस जी।  पानी में जिस तरह से कलाबाजी खाते हुए दिख रहे हैं उससे इतना अंदाजा तो आप लगा ही पा रहे होंगे कि यह कोई ऐसी शख्सियत नहीं हैं जिनसे मिलने के लिए कोई भी लालायित हों। इनके जबड़े और उससे निकलते दाँत देखिए। यह किसी भी जीव के गुड डे को ट्रॉमैटिक डे में बदलने की कुव्वत रखते हैं। तो चलिए जानते हैं कि यह महाशय क्या थे और कब समुद्र में विचरण किया करते थे?


क्या थे नोथोसौरस (Nothosaurus)?

नोथोसौरस (Nothosaurus), जिसका अर्थ प्राचीन ग्रीक में नकली छिपकली (false lizards) होता है, सौरोप्टेरिजिया जलीय सरीसृपों ( sauropterygian reptile) की जाति के जीव थे जो कि धरती पर 24 करोड़ साल से 21 करोड़ साल पहले पाये जाते थे। वज्ञानिकों का मानना है कि यह पतले शरीर, लंबी गर्द और लंबी पूँछ वाले जीव होते थे जो कि पानी के साथ साथ धरती में रहने के काबिल थे। 

आकार की बात की जाए तो जो जीवाश्म नोथोसौरस (Nothosaurus) के मिले हैं उससे वैज्ञानिकों ने अंदाजा लगाया है कि इनकी लंबाई 16 से 23 फीट के बीच होती थी। इनके पैर जालीदार और पूँछ लंबी होती थी जिसकी मदद से पानी में तैरा करते थे। वहीं इनके मुँहे में बड़े बड़े दाँत मुँह से बाहर को इस तरह निकले होते थे कि मुँह बंद करने में वहाँ इनका शिकार फँस जाया करता था। 

अगर आप ये जानने के शौकीन हैं यह प्रजनन कैसे करते थे तो इसे लेकर वैज्ञानिकों में भी काफी संशय है। हो सकता है ये अंडे देते हो या ये भी हो सकता है कि यह बच्चे देते हों। यह कुछ भी देते हों लेकिन मैं तो इसी बात से खुश हूँ कि यह अब नहीं हैं।

कहाँ पाये जाते थे नोथोसौरस (Nothosaurus)?


नोथोसौरस (Nothosaurus) के जीवाश्म चूँकि उत्तर अफ्रीका, चीन और यूरोप में मिले हैं तो वैज्ञानिकों का मानना है कि काफी बड़े इलाकों में ये पाये जाते थे। वैज्ञानिकों द्वारा नोथोसौरस (Nothosaurus) को उस वक्त की सील कहा गया है। वह मानते हैं कि यह अपना ज्यादातर वक्त तटों में बिताते थे ताकि यह समुद्र में डुबकी लगाकर अपना शिकार हासिल कर सकें। जब यह शिकार नहीं कर रहे होते तो यह जमीन पर रहते थे। इसका एक फायदा ये भी होता था कि यह समुद्र में रहने वाले इनसे बड़े शिकारियों से बच जाते थे। हाँ, जमीनी जीवों का खतरा तो फिर भी बना रहता था लेकिन उतना तो झेलना बनता था। उस वक्त पुलिस की व्यवस्था नहीं होती थी न। 

तो यह थी नकली छिपकली के विषय में कुछ जानकारी। मेरी बात आए तो मैं नकली की जगह घर में घूमने वाली असली ही पसंद करूँगा। कम से कम वो मुझे देखकर भागती तो है। यह महाशय होते तो मुझे ही नौ दो ग्यारह होना पड़ता। 


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