मई 2022 में पढ़ी गई किताबें

 

मई 2022 में पढ़ी गई किताबें
मई 2022 में पढ़ी गई किताबें

पढ़ने की बात करूँ तो पढ़ने के मामले में मई का माह अप्रैल से बेहतर ही रहा।  अप्रैल में जहाँ मैंने चार रचनाएँ ही पढ़ी थीं वहीं इस बार मई में दस का आँकड़ा छू गया। आजकल व्यस्तता के चलते पढ़ना कम हो रहा है और इस कारण हल्का फुल्का पढ़ने पर जोर है। मई के माह में मैंने पाँच कॉमिक बुक्स, चार उपन्यास और एक उपन्यासिका संग्रह पढ़ी। भाषा के हिसाब से देखा जाए तो इस बार केवल हिंदी की ही रचनाएँ मैंने पढ़ीं। हाँ, इन रचनाओं में से एक बाँग्ला से हिंदी में अनूदित रचना थी तो इसे भाषाई विवधता के मामले में  जैसा देखना चाहें देख सकते हैं।  


चलिए अब ज्यादा देर न करते हुए देखते हैं कि यह रचनाएँ कौन सी थीं:




काला साया 

संक्षिप्त समीक्षा: काला साया - अजिंक्य शर्मा | Short Review: Kala Saaya - Ajinkya Sharma


'काला साया' लेखक अजिंक्य शर्मा  की अविनाश भारद्वाज शृंखला का प्रथम उपन्यास है। इस शृंखला का दूसरा उपन्यास मैं पहले ही पढ़ चुका था इसलिए सोचा काफी दिनों से लेकर रखा हुआ पहला उपन्यास पढ़ ही लूँ। काला साया एक मर्डर मिस्ट्री है। नैनिताल के प्रतिष्ठित व्यक्ति गिरिराज वर्मा का जब रहस्यमय परिस्थिति में कत्ल हो जाता है पूरा शहर अवाक रह जाता है। पुलिस की माने तो कत्ल सनाया गौतम ने किया है वहीं दूसरी तरफ शहर में यह अफवाह गर्म है कि सनाया असल में एक चुड़ैल है। जब पुलिस की पूरी कोशिशों के बाद भी मामला आगे नहीं बढ़ता है और सनाया का कुछ पता नहीं चलता है  तो मामले में मकतूल के परिवार वाले अविनाश को बुलाते हैं। 


उपन्यास रोचक है और पाठकों का मनोरंजन करने में सफल होता है। मुझे तो यह पसंद आया। अजिंक्य शर्मा अपने उपन्यासों में ऐसे किरदार ले आते हैं जो कि मुख्य किरदार न होते हुए भी प्रभाव छोड़ जाते हैं। इस उपन्यास में भी उनका ऐसा ही एक किरदार था जो जब  कईसा है कहता है तो पाठक रोमांचित होने से खुद को रोक नहीं पाता है। यह क्यों होता है यह तो आपको उपन्यास पढ़कर ही पता लग पाएगा। 


विस्तृत समीक्षा: काला साया | पुस्तक लिंक: अमेज़न  



डाकिनी का मायाजाल 

संक्षिप्त समीक्षा: डाकिनी का मायाजाल | Short Review: Dakini Ka Mayajaal

‘डाकिनी का मायाजाल’ तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित कॉमिक बुक है। कॉमिक बुक की कहानी देवेन्द्र गढ़वाली द्वारा लिखी गई है और इसका चित्रांकन मलय चक्रवर्ती द्वारा किया गया है। 

कॉमिक की कहानी की शुरुआत एक डाकिनी द्वारा पिशाचिनी माया की आराधना करने से होती है। शुरुआत में ही पाठक को पता चल जाता है कि यह डाकिनी क्रुद्ध है और बिहारीगढ़ के लोगों से बदला लेना चाहती है। वह यह बदला क्यों लेना चाहती है और किस तरह इस बदले को लेती है यही कहानी में आगे देखने को मिलता है। 

कॉमिक के विषय में यही कहूँगा कि डाकिनी का मायाजाल बदले की एक साधारण कहानी है जो कि रोमांच की कमी के कारण वैसा प्रभाव नहीं छोड़ पाती है जैसा कि छोड़ सकती थी। पढ़ना चाहें तो एक बार पढ़ सकते हैं। नहीं भी पढ़ेंगे तो ज्यादा कुछ खोएँगे नहीं। 

विस्तृत समीक्षा: डाकिनी का मायाजाल  | पुस्तक लिंक:  प्रतिलिपि


सबसे बड़ी डील

मई 2022 में पढ़ी गई किताबें | संक्षिप्त समीक्षा: सबसे बड़ी डील | Short Review: Sabse Badi Deal



'सबसे बड़ी डील' जासूस बलराम शृंखला की दूसरी कॉमिक बुक है। कॉमिक बुक की शुरुआत उसी जगह से होती है जहाँ पर पहली कॉमिक 'ब्लैक' खत्म हुई थी और यह कॉमिक कहानी को आगे बढ़ाने का कार्य करती है। सबसे बड़ी डील क्या है और जासूस बलराम अपनी तहकीकात में कहाँ तक पहुँचा है यह आपको इस कॉमिक में देखने को मिलता है। 

कॉमिक बुक की कहानी तेज रफ्तार और एक्शन से भरपूर है पर फिर भी कई बातें कहानी में ऐसी हैं (जिनके विषय में विस्तृत समीक्षा में लिखा है) जिन्हें पढ़कर लगता है कि कहानी पर कुछ और काम किया जाना था। फिर भी यह कहूँगा कि अपनी कमियों के साथ भी यह तीसरे भाग के लिए उत्सुकता जगाने में कामयाब तो होती ही है।  

विस्तृत समीक्षा: सबसे बड़ी डील  | पुस्तक लिंक:  फिक्शन कॉमिक्स


बिंदो का लड़का

संक्षिप्त समीक्षा: बिंदो का लड़का - शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय | Short Review: Bindo Ka Ladka - Sharat Chandra Chattopadhyay

बिन्दु का लड़का शरतचंद्र चटटोपध्याय की तीन उपन्यासिकाओं का संकलन है। इसमें उनकी तीन उपन्यासिकाएँ 'बिन्दु का लड़का', 'काशीनाथ' और 'बोझ' को संकलित किया गया है। 

इन तीनों ही रचनाओं की समान बात देखें तो यह तीनों ही ऐसे किरदारों की कहानियाँ हैं जिनके बीच संवाद की कमी के चलते गलतफहमियाँ हो जाती हैं। इससे उनके जीवन में क्या असर पड़ता है और वह इससे कैसे उभरते हैं यही इन रचनाओं का कथानक बनता है।  बोझ को छोड़ दें तो बाकी बची उपन्यासिकाएँ सुखांत कहलाएँगी। एक बार पढ़ी जा सकती हैं। 

पुस्तक लिंक:  अमेज़न


48 घंटे का चैलेंज 

संक्षिप्त समीक्षा: 48 घण्टे का चैलेंज | Short Review: 48 Ghante Ka Challenge

48 घण्टे का चैलेंज (48 Ghante Ka Challenge) की बात करें तो कॉमिक बुक की कहानी एक जॉनी नाम के कैदी, जो कि जुर्म की दुनिया का बादशाह है, के जेल से भागने से शुरू होती है। जेल से भागकर वह सीधा एक टीवी स्टेशन जाता है और पुलिस को खुला चैलेंज देता है कि वह शहर के सबसे अमीर आदमी मिस्टर डॉन को मार डालेगा। इसके बाद वह अपने चैलेंज को जिस तरह पूरा करता है और अपने मकसद को पूरा करने में उसे जो जो परेशानी आती है वही कॉमिक का कथानक बनता है। 


48 घण्टे का चैलेंज (48 Ghante Ka Challenge) के विषय में यही कहूँगा कि यह  एक ऐसा कॉमिक है जो कि अपने प्रस्तुत रूप में छपना नहीं चाहिए था। इसे किसी बेहतर लेखक से लिखवाते या किसी बेहतर संपादक से इसका सम्पादन करवाते तो शायद यह एक अच्छा कॉमिक बुक बन सकता था। पर चूँकि ऐसा न हुआ तो यह एक औसत से भी बुरा कॉमिक बनकर रह गया है। पढ़ना चाहें तो पढ़ सकते हैं। कम से कम ये सीख लेंगे कि कहानी किस तरह नहीं लिखनी है।


विस्तृत समीक्षा: 48 घंटे का चैलेंजपुस्तक लिंक:  प्रतिलिपि


मौत के पुतले

संक्षिप्त समीक्षा: मौत के पुतले | Short Review: Maut ke Putle



मौत के पुतले राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित शक्ति का कॉमिक बुक है। कॉमिक बुक की कहानी हनीफ अजहर द्वारा लिखी गई है। नई दिल्ली के नजदीक पुरातत्वीय उत्खनन के कारण निकले मौत के पुतलों से शक्ति कैसे जूझती है यह देखना रोचक रहता है। हाँ, कॉमिक चूँकि 32 पृष्ठ का ही था तो अभी यह सीधी सरल है। खलनायक आते हैं और शक्ति से टकराते हैं। कहानी में ट्विस्ट की थोड़ा कमी है जो कि खलती है लेकिन फिर भी यह आपको बोर नहीं होने देती है। 


विस्तृत समीक्षा: मौत के पुतले   | पुस्तक लिंक:  अमेज़न


गोल्डन गर्ल 




गोल्डन गर्ल लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक द्वारा लिखित उपन्यास है। यह सुधीर शृंखला का उपन्यास है। उपन्यास एक खालिस मर्डर मिस्ट्री जो अपने साथ वो सभी मसाले लेकर आती है जिसका सुधीर के प्रशंसकों को इंतजार होता है।एक शो की गोल्डन गर्ल के मर्डर की तहकीकत में जब सुधीर शामिल होता है तो तहकीकात से उसे पता चलता है कि असल में हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती। उपन्यास रोचक है और रहस्य अंत तक बना रहता है। 



विस्तृत समीक्षा: गोल्डन गर्ल | पुस्तक लिंक: अमेज़न 


अंतरिक्ष नगर



अंतरिक्ष नगर प्रदीप मिश्र का लिखा हुआ विज्ञान गल्प उपन्यास है। धरती पर बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए डॉक्टर विमल जालान ने एक अंतरिक्ष नगर बनाने की योजना बनाई। 18 वर्षों की मेहनत कर वह लोग आखिरकार उस मुकाम पर पहुँच गए जब वह तकनीकी तौर पर अंतरिक्ष नगर का निर्माण कर सकते थे लेकिन ऐसा करना इतना आसान नहीं था। विमल और उनकी टीम यह बात अंतरिक्ष में पहुँचते ही समझ गए थे। 


अंतिरक्ष में पहुँचने पर इस टीम के साथ जो हुआ वही इस लघु-उपन्यास का कथानक बनता है। विज्ञान कथा सरल किन्तु रोचक है। कुछ कमियाँ हैं जिन पर कार्य किया जाता तो रचना और बेहतर बन सकती थी। 


विस्तृत समीक्षा: अंतरिक्ष नगर 


अमावस 


अमावास अमावस शृंखला का पहला कॉमिक बुक है। आशुतोष सिंह राजपूत द्वारा लिखा गया ये कॉमिक फिक्शन कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित किया गया है। यह एक जवान युगल (देव और प्रियंका) की कहानी है जो कि अपने दोस्तों विश्वास और अनुजा के घर घूमने फिरने  आते हैं। विश्वास और अनुजा का घर गाँव में है और उन्हें मस्ती करते हुए पता ही नहीं लगता है कि कब उनके दो दिन गुजर जाते हैं। लेकिन छुट्टी के आखिरी दिन वो गाँव में कुछ ऐसा देखते हैं कि उनके होश फाख्ता हो जाते है। वो क्या देखते हैं और इसका इन चारों की जिंदगी में क्या असर पड़ता है ये कॉमिक बुक में दिखता है। 

इस कॉमिक बुक  का कंसेप्ट मुझे पसंद आया। कहानी भले ही थोड़ा छोटी है लेकिन रोचक है। कुछ पृष्ठ अधिक होते तो बेहतर होता।  

विस्तृत समीक्षा: अमावस | पुस्तक लिंक: फिक्शन कॉमिक्स


झरोखे

संक्षिप्त समीक्षा: झरोखे - भीष्म साहनी |  Short Review: Jharokhe - Bhishma Sahni

झरोखे भीष्म साहिनी द्वारा लिखा गया उपन्यास है। झरोखे मूलतः एक आर्यसमाजी परिवार की कहानी है जो कि एक ऐसे मुहल्ले में रहता था जहाँ पर मुस्लिम भी उतनी ही तादाद में थे जितने हिन्दू थे। ऐसे में एक बच्चे की स्मृतियों के रूप में आगे बढ़ता यह उपन्यास उस बच्चे की मासूम आँखों से दिखते अपने समाज से पाठकों को वाकिफ करवाता है। विभिन्न धर्मों के लोगों का आपसी समीकरण, धर्म का परिवार पर पड़ता प्रभाव और परिवार के सदस्यों के उम्र के साथ बदलते समीकरण इस उपन्यास में दिखाई देते हैं।  उपन्यास में बच्चे की मासूमियत कभी कभी हँसने को विवश भी कर देती है। 


अगर नहीं पढ़ा है तो एक बार पढ़ सकते हैं। 

 

पुस्तक लिंक: अमेज़न

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तो यह था मई के माह में पढ़ी गई रचनाओं का ब्योरा। जब आप अत्यधिक व्यस्त होते हैं तो क्या पढ़ते हैं? मई के माह में आपने कुछ पढ़ा या नहीं? 


मुझे जरूर बताइएगा। 



7 टिप्पणियाँ

आपकी टिपण्णियाँ मुझे और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करेंगी इसलिए हो सके तो पोस्ट के ऊपर अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।

  1. वाह!..... 👍👍👍👍👍👍...... भीष्म साहनी का सिर्फ.... तमस... ही पढ़ा है.... और भी उनकी रचनाएँ बढ़िया हैं जिसमें से उपरोक्त उपन्यास भी है...... भविष्य में इसको पढ़ना चाहूंगा.......

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  2. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (15-06-2022) को चर्चा मंच     "तोल-तोलकर बोल"  (चर्चा अंक-4462)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    
    --

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    1. चर्चा अंक में मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार।

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  3. ओहो, इतना कैसे पढ़ लेते हैं आप और समीक्षा भी लिख लेते हैं, कमाल है आपका पढ़ने-लिखने का शौक

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    1. जी मैम कोशिश रहती है कि रोज के दस से बीस पृष्ठ पढ़ लूं। इसमें मुश्किल से पंद्रह से बीस मिनिट ही खर्च होते हैं। कई बार कथानक बांध ले तो 20 से 30 के 50 से 100 पृष्ठ में भी तब्दील हो जाते हैं। इतना मुश्किल नहीं है।

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