मनुष्य से पहले: T से ‬Tylosaurus

 


पिछली पोस्ट्स में मैंने आपको छः ऐसे जीवों के विषय में बताया जो कि मनुष्यों से पहले धरती पर पाए जाते थे और वह डायनोसौर नहीं थे। आज मैं जिस जीव के विषय में बताऊँगा वह एक मोसासॉर है। अगर आप मोसासॉरों के विषय में नहीं जानते तो इतना जानना काफी है कि यह जलीय सरिसर्पों (Marine Reptiles) की एक प्रजाति थी हुआ करती थी जो कि आकार में विशालकाय हुआ करती थी। 

आज जिस मोसासॉर की बात हम करेंगे उसे टायलोसॉरस कहा जाता है। चलिए पहले उसकी शक्ल देख लीजिए। फिर उसके विषय में कुछ संक्षिप्त जानकारी आपको दूँगा।



क्या होते थे टायलोसॉरस (Tylosaurus)?

टायलोसॉरस विशालकाय शिकारी जलीय छिपकलियाँ हुआ करती थी जो कि जैसे कि ऊपर बताया है  एक मोसासॉर हुआ करते थे। यह जीव आज की गोह (monitor lizard) और साँपों से काफी हद तक संबंधित थे। 

अगर नाम की बात करें तो इस जीव के नाम को लेकर एक दिलचस्प किस्सा है। उन दिनों दो जीवाश्म वैज्ञानिकों (Palenteologists) के बीच में खतरनाक प्रतिस्पर्धा हुआ करती थी। यह जीवाश्म वैज्ञानिक एडवर्ड ड्रिंकर कोप (Edward Drinker Cope) और ओथनील चार्ल्स मार्श (Othniel Charles Marsh) थे। इस वक्त को बोन वार्स कहा जाता था जहाँ हर कोई जीवाश्मों की तलाश में रहा करता था। ऐसा माना जाता है कि इन दो जीवाश्म वैज्ञानिकों की प्रतिस्पर्धा इस वक्त सबसे ऊपर थी। यह दोनों साम दाम दण्ड भेद किसी का भी इस्तेमाल कर सबसे बड़ा जीवाश्म वैज्ञानिक बनने की होड़ में थे। दोनों एक दूसरे से जीतने और एक दूसरे को रुसवा करने के चक्कर में किसी भी हथकंडे का सहारा लेने से नहीं चूकते थे।  ऐसा माना जाता है अपने जुनून के चलते अपने ज़िन्दगी के आखिरी दौर में दोनों आर्थिक और समाजिक रूप से दरिद्र हो गए थे। 

खैर, हम टायलोसॉर पर वापिस आते हैं। सन 1868 में कन्सास अमेरिका में इस जीव का पहला नमूना मिला जिसे कोप ने मैक्रोसॉरस प्राइओगर (Macrosaurus prioger) कहा लेकिन बाद में इसे लेडोन (lioden) जाति के रूप में पुनः प्रभाषित कर दिया। इसके चार साल बाद मार्श को इस जीव का ऐसा जीवाश्म मिला जो कि काफी हद तक पूरा था। अपने इस पूरे नमूने के चलते पहले मार्श ने इसे राइनोसॉरस (नाक वाली छिपकली/नोज लिज़र्ड) नाम दिया लेकिन चूँकि यह नाम पहले से ही एक जीव के लिए प्रयोग में लाया जा रहा था तो आगे जाकर इसका नाम बदलकर रेम्पोसॉरस (Rhamposauras चोंच वाली छिपकली/बीक लिज़र्ड) रखा। लेकिन यह नाम भी किसी और जीव के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। आखिरकार इसका नाम टायलोसॉरस रखा गया जिसमें टायलॉस (tylos) का अर्थ ग्रीक भाषा में अर्थ घुंडी/उभार (knob/portrubence) और सॉरस का अर्थ छिपकली होता है। इसके पिछले दो नामों को इसकी निकली हुई थूथन के वजह से दिया गया था जो कि टायलोसॉरस से इंगित होती थी तो इस कारण यह नाम भी इस जीव पर सटीक बैठता था। 

नाम के बाद इनके आकार पर आए तो ऐसा माना जाता है कि थूथन से पूँछ तक यह लगभग 45 से 60 फीट तक लंबे होते थे। हाँ, अलग अलग प्रजातियों में थोड़ा बहुत फर्क हो सकता था। वहीं इनके वजन की बात करें तो यह जीव 15000 किलो से लेकर 20000 किलो तक वजनी हो जाते थे। तैरने की बात करें तो यह जीव समुद्र में अपनी पूँछ के वजह से खुद को गतिमान करते थे। यह समुद्र के सबसे तेज जीवों में न थे लेकिन सबसे खतरनाक जीव माने जाते थे। वहीं इनके फ्लिपर शरीर के अनुपात में काफी छोटे होते थे जिसके कारण वैज्ञानिक यह मानते हैं कि इनका इस्तेमाल केवल दिशा देने के लिए ही करा जाता था। 

ऐसा माना जाता है कि टायलोसॉर अक्सर 20 के समूहों में रहते थे और अपने बच्चों की इस तरह सुरक्षा करते थे। 



कहाँ और कब पाए जाते थे टायलोसॉरस (Tylosaurus)?

टायलोसॉरस (Tylosaurus) धरती में आज से 8.6 करोड़ साल से लेकर 7.5 करोड़ साल पहले तक पाये जाते थे। अब तक इन जीवों के जितने जीवाश्म मिले हैं उनके अनुसार यह जीव आज के कनाडा और अमेरिका के मध्य राज्यों में पाए जाते थे।  

क्या खाते थे टायलोसॉरस?

टायलोसॉरस (Tylosaurus) एक माँस भक्षी जीव था जो कि शिकार किया करता था। अपने विशालकाय आकार के कारण यह उस वक्त के सबसे खतरनाक शिकारियों में से एक माना जा सकता है। यह जीव अपने इर्द गिर्द पाए जाने वाले हर तरह के जीवों जैसे मच्छलियों, कछुओं, दूसरे मोसासॉर,प्लीसिओसॉरो इत्यादि  का भक्षण करा करता था। ऐसा माना जाता है कि छुपा रहता था और फिर अचानक से तेज गति से आकर अपने शिकार पर अपनी थूथन से तेज प्रहार करता था। यह प्रहार इतना भीषण होता था कि इसका शिकार स्तब्ध सा हो जाता था और फिर उसे खाने में टायलोसॉरस (Tylosaurus) को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती थी। ऐसा भी माना जाता था कि यह जीव अपने शिकार पर नीचे की तरफ से आकर प्रहार करता था क्योंकि इसके चलते शिकार के वार से बचने की संभावना बहुत कम रह जाती थी। 


कब हुए टायलोसॉरस (Tylosaurus) विलुप्त?

टायलोसॉरस (Tylosaurus) के विलुप्ति के पीछे का कारण वैज्ञानिकों  को अभी तक नहीं पता चला है। ऐसा माना जाता है जब 6.5 करोड़ साल पहले एक विशालकाय उल्का पिंड धरती से टकराया तो उसके टकराने से वह सभी डायनोसॉर जो कि उड़ नहीं सकते थे खत्म हो गए थे। इन्हीं खत्म हुए जीवों में मोसासॉर भी थे और टायलोसॉर भी थे।  



तो यह थी एक मोसासॉर टायलोसॉर के विषय में कुछ संक्षिप्त जानकारी। उम्मीद है आपको यह पसंद आई होगी।


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