मनुष्य से पहले: M से Megalodon

 


पिछली पोस्ट में मैंने आपको बताया था कि इस शृंखला में अब कुछ दिनों तक मैं  ऐसे जीवों पर ध्यान केंद्रित करूँगा जो कि जल में रहा करते थे। यह तो हम जानते ही हैं कि जल में जीव पहले पैदा हुए लेकिन यह भी एक तथ्य है कि समुद्र की गहराई का जल धरती में पाये जाने वाले विशालकाय जीवों का घर रहा है। कुछ तो आज भी उधर निवास करते हैं।

 

तो आज के जीव के विषय में जानने से पहले यह जानते हैं कि क्यों समुद्र की गहराई में जमीन से ज्यादा विशालकाय जीव पाये जाते हैं। इस प्रक्रिया को लेकर दो तरह के नियम वैज्ञानिकों द्वारा दिये गए हैं। 


पहला नियम है क्लेबर नियम (Kleiber’s Rule)। इस नियम के मुताबिक जितना बड़ा जीव होगा वह जीने में उतना ज्यादा उतनी कम ऊर्जा लेगा। उदाहरण के लिए बिल्ली जो कि चूहों से 100 गुना बड़ी होती है वह उनकी तुलना में केवल 32 गुणा ज्यादा ऊर्जा खपत करती है। अब चूँकि गहरे समुद्र में  रहने वाले जीवों को ऊपर से मिलने वाले खाने पर जीवित रहना पड़ता है, जो कि काफी कम रहता है, तो उन्हें ऐसे हालात पैदा करने होते हैं जिससे उनका जीवन सरल हो और कम ऊर्जा में वह जीवित रहें। उनका बड़ा आकार उन्हें यह चीज हासिल करने में मदद करता है। 


वहीं गहरे समुद्र में रहने वाले जीवों के विशालकाय आकार को लेकर दूसरा नियम जो चलता है उसे बर्गमैन्स रूल (Bergman's Rule) कहते हैं। इस नियम के अनुसार आप जितनी ज्यादा ठंडी जगहों पर रहेंगे उतना विशालकाय बनेंगे। यही कारण है बड़े आकार वाली प्रजातियाँ ज्यादातर ठंडे इलाकों में पाई जाती हैं वहीं छोटे आकार वाली प्रजातियाँ गर्म इलाकों में मिलती हैं। वैसे इस नियम को लेकर काफी संशय भी है लेकिन काफी जगह इसे सही भी पाया जाता है। 


खैर, तो अब हम जानते हैं कि क्यों समुद्र की गहराई में विशालकाय जीव पाये जाते हैं। यह अभी से ही नहीं है शुरुआत से ही रहा है। आज भी हम एक ऐसे जीव के विषय में जानेंगे जिसे कि दुनिया में पाये जाने वाले सबसे विशालतम शिकारी का तमगा हासिल है। और वो जीव है मेगालोडोन। चलिए मेगालोडोन के बारे में जानने से पहले उनकी शक्ल देख ली जाए। 
 

इओबैलेनोपट्रा ह्वैल (Eobalaenoptera Whale) मछलियों (जो 11 फीट तक लंबी रहती थी) का पीछा करती मेगालोडोन; स्रोत: विकिपीडिया 

क्या होते हैं मेगालोडोन?


मेगालोडोन, जिसका अर्थ बड़े दाँत वाला होता है, मक्कारेल शार्क (mackerel shark) की एक प्रजाति है जो कि अब विलुप्त हो चुकी है। पहले इन्हें लैम्निडे (Lamnide) परिवार का सदस्य माना जाता था लेकिन अब माना जाता है कि यह ओटोडोंटिडे (Otodontidae) परिवार के सदस्य थे।


वैसे तो मेगालोडोन दुनिया के विशालतम और सबसे खतरनाक शिकारी माने जाते हैं लेकिन इनके असल आकार क्या होता था इसका सटीक विवरण हमारे पास नहीं है। यह इसलिए भी है क्योंकि हमें केवल इस जीव के जीवाश्मों के कुछ टुकड़े ही मिले हैं जिससे वैज्ञानिक केवल इस जीव के आकार का अंदाजा ही लगा सकते हैं। यह अंदाजा मुख्यतः इनके जबड़े के आकार और दाँतों के हिसाब से ही लगाया गया है। 


वैज्ञानिकों की मानें तो यह  मेगालोडोन नामक विशाल मछली 34 फीट से 67 फीट तक लंबी होती थीं। वजन की बात आये तो 52 फीट लंबी मेगालोडोन 48000 किलो की, 56 फीट लंबी मेगालोडोन 59000 किलो और सबसे लंबी 67 फीट लंबी मेगालोडोन 1 लाख 3000 किलो तक वजनी होती थीं।
  

खाने की बात आए तो यह जीव बड़े जीवों जैसे व्हेल मछलियों, सीलों और समुद्री कछुओं का शिकार किया करते थे। ऐसा माना जाता है कि चूँकि यह इतने खतरनाक शिकारी होते थे इसलिए जिस जगह यह रहते थे वहाँ पर इन जैसे शिकारियों के खाने के लाले पड़ जाते थे और इसलिए वह उस जगह से दूरी बनाकर रखे जाते थे। 


जब हम पुराने वक्त की शिकारियों की बात करते हैं टी रेक्स का नाम उनमें काफी ऊपर आता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मेगालोडोन का बाइट फोर्स (दाँतो से चीजों को काटते वक्त उपजा बल) टी रेक्स से तीन गुणा ज्यादा रहता था। 


कब और कहाँ पाये जाते थे मेगालोडोन?


मेगालोडोन 2.3 करोड़ साल से 36 लाख साल पहले तक समुद्र में रहा करते थे। यह ऐसा जीव है जिसके जीवाश्म धरती के कई इलाकों जैसे यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका, और ऑस्ट्रेलिया में पाये गए हैं। कहा जाता है कि ऐसे इलाके जहाँ पर 1 से 24 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा करता था वहाँ पर यह पाये जाते थे। 


ऐसा भी माना जाता है कि इनकी खानाबदोशी जीवन शैली थी। अपने जीवन के अलग अलग वक्त में यह अलग अलग तरह के पानी में पाये जाते थे। उथले पानी में भी और गहरे पानी में भी। वैज्ञानिकों का मानना है कि वयस्क होने पर यह जीव तटों से दूर गहरे पानी में ही पाये जाते थे। 

 

मेगालोडोन के अलग अलग आकारों की इंसान से तुलना, स्रोत: विकिपीडिया




कैसे हुए ये विलुप्त?

अगर मेगालोडोन की विलुप्ति की बात की जाए तो इसके पीछे दो मुख्य कारण बताए जाते हैं। पहले तापमान में आया बदलाव और आगे जाकर पानी में पैदा हुए अलग अलग शिकारी जीव जिन्होंने इनके लिए खाने की किल्लत कर दी। 



तो यह थी मेगालोडोन के विषय में संक्षिप्त जानकारी। उम्मीद है आपको यह पसंद आई होगी। 

स्रोत: 

विकिपीडिया, लाइव साइंस, नैशनल जिओग्राफिक



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8 टिप्पणियाँ

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  1. वाह!.... नवीन जानकारी....... 👍👍👍👍👍👍👍

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  2. अधिकतम यह जानकारियां अंग्रेजी में मिला करती है. आप ने हिंदी में दे क्र हिंदी भाषियों के ज्ञानवर्धन में सहायता की है। साधुवाद।

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    1. जी आभार मैम... जी कोशिश है कुछ नया करते रहने की.. आगे और भी सीरीज लिखने का इरादा है...

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  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-4-22) को "कोटि-कोटि वन्दन तुम्हें, पवनपुत्र हनुमान" (चर्चा अंक 4403) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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    1. प्रविष्टि को चर्चाअंक में स्थान देने हेतु हार्दिक आभार...

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