बुक हॉल: अक्टूबर-नवंबर 2021 में संग्रह में जुड़ी किताबें


बुक हॉल: अक्टूबर-नवंबर 2021 में खरीदी गयी किताबें


चूँकि मेरे पास ऐसी किताबें काफी बढ़ गयी हैं जिनको मैंने अभी तक पढ़ा नहीं है तो मैं किताबें खरीदने की अपनी गति को कम कर दिया है। पर फिर भी गाहे बगाहे ऐसा होता है कि मैं कुछ खरीदने का लोभ संवरण नहीं कर पाता हूँ और चीजें खरीद ही लेता हूँ। अक्टूबर-नवंबर 2021 ऐसा ही रहा। गुजरे हुए माह अक्टूबर-नवंबर में भी संग्रह में पंद्रह पुस्तकें जुड़ीं। कुछ इनमें उपन्यास थे और कुछ कॉमिक बुक्स। कुछ खरीदी हुई थीं और कुछ उपहार स्वरूप मिले थे। 


अक्टूबर में जहाँ मैंने दो उपन्यास खरीदे और एक उपन्यास मुझे लेखक मित्र द्वारा उपहार स्वरूप मिला तो नवंबर में मैंने केवल कॉमिक बुक्स ली और मुझे एक उपन्यास लेखक द्वारा उपहार स्वरूप मिला।


 कुल मिलाकर देखा जाए तो अक्टूबर और नवंबर मिलाकर मैंने चार उपन्यास और ग्यारह कॉमिक बुक्स लिये। चलिए देखते हैं यह सब पुस्तकें कौन सी थीं?


अक्टूबर-नवंबर 2021 में संग्रह में जुड़े उपन्यास 


निम्फ़ोमैनियाक



लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक के उपन्यास मैंने पढ़ता रहा हूँ। पाठक साहब के कई उपन्यास मैं चाव से पढ़ता आया हूँ। ऐसे में साहित्य विमर्श प्रकाशन ने जब उनका यह उपन्यास पुनः प्रकाशित किया तो भले ही मैं प्रकाशन से जुड़ा हुआ हूँ तो भी लेना बनता था। कहानी की बात करें तो यह सुरेन्द्र मोहन पाठक के सुधीर कोहली शृंखला का उपन्यास है। उपन्यास के विषय में दर्ज है:


एक दुराचिरिणी स्त्री की हौलनाक कहानी जो जैसी खतरनाक जिंदगी जीती रही, वैसी ही खतरनाक मौत मरी। सुधीर कोहली के अतीत के काले पन्नों से निकली एक रोमांचक दास्तान!  


क्या आपने इसे पढ़ा है?


पुस्तक लिंक: अमेज़न


लौट आया नरपिशाच 


लौट आया नरपिशाच लेखक देव प्रसाद की तीसरी प्रकाशित पुस्तक थी। यह पुस्तक लेखक द्वारा मुझे उपहार स्वरूप प्रदान की गयी थी। मैं इसके लिये उनका आभारी हूँ। देव प्रसाद पारलौकिक विषयों पर लिखते रहते हैं और यह पुस्तक भी ऐसे ही विषय पर लिखा गया है। 


किताब के विषय में दर्ज है:


केविन मार्टिन, जो अपनी एजेंसी का सबसे काबिल प्राइवेट डिटेक्टिव था, जिसे चौहड़पुर एक ख़ास मिशन पर भेजा गया था। मिशन था एक खतरनाक नरपिशाच की सच्चाई का पता लगाना, जो पिछले सौ सालों से चौहड़पुर के लिए आतंक का पर्याय बना हुआ था। जिसके बारे में कहा जाता था कि वह हर 24 साल के बाद क्रिसमस के बाद आता है और नए साल की शुरुआत से पहले चौहड़पुर के इकलौते चर्च के फादर का सारा खून चूसकर उसे मौत के घाट उतार देता है। 24 साल पहले भी उसने फादर मार्कोनी डिकोस्टा को वीभत्स तरीके से मार डाला था और इस बार किसी और की बारी थी। 

क्या केविन अपने मिशन में कामयाब हुआ और चौहड़पुर को उस खूनी नरपिशाच के आतंक से मुक्त करवा पाया?


उपन्यास का यह परिचय उपन्यास के विषय में रुचि जगाने पर कामयाब होता है। और इसलिए इसे जल्द ही पढ़ने की कोशिश रहेगी। 


पुस्तक लिंक: अमेज़न


हिन्द का बेटा 



जब भी मैं यात्रा करता हूँ तो मेरी कोशिश रहती है कि स्टेशन में मौजूद दुकान से कोई उपन्यास या पत्रिका जरूर लूँ। ऐसे ही जब अक्टूबर में हिमाचल की यात्रा का प्रोग्राम बना तो मैंने पुस्तकों की दुकान पर से वेद प्रकाश शर्मा जी का उपन्यास हिन्द का बेटा खरीदा। राजा पॉकेट बुक्स से प्रकाशित यह विजय-विकास शृंखला का उपन्यास है। मैंने इससे पहले कम ही विजय-विकास सीरीज के उपन्यास पढ़ें है तो यह पढ़ना अलग अनुभव होगा। 

क्या आप भी यात्राओं में पुस्तकें लेते हैं? क्या आपने इस पुस्तक को पढ़ा है?

द रियल टाइम मशीन


द रियल टाइम मशीन अभिषेक जोशी का तीसरा उपन्यास है जो कि फ्लायड्रीम्स प्रकाशन से प्रकाशित हो रहा है।  मुझे यह उपन्यास भी लेखक द्वारा उपहार स्वरूप भेजा गया था। मैं उनका आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे इस लायक समझा। उपन्यास का परिचय अमेज़न में जिस तरह से दिया है वह उपन्यास के प्रति रुचि जगाता है। आप भी पढ़िए:

विश्वास करना मुश्किल है, शायद नामुमकिन भी लगे। मगर उसने आविष्कार कर लिया था; उसने टाइम मशीन बना ली थी। एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं, उसने दर्जनों टाइम मशीन बनाई थी। मगर वह इतनी टाइम मशीने क्यों बना रहा था? वह उनका क्या करने वाला था? 

मुझे कुछ भी नहीं पता था, पर मैं जानना चाहता था। इसलिए मैंने दो लोगों को तैयार किया; जावेद और इरफान, जिनसे मैं हाल ही में मिला था। दोनों डॉ. रामावल्ली की लैब में घुसकर टाइम मशीन चुराने वाले थे। उन्होंने टाइम मशीन चुराई भी, लेकिन मुझे नहीं पता था कि वे अतीत या भविष्य, जहाँ भी गए थे, वापस नहीं लौटने वाले थे। मुझे यह तब पता चला जब डॉ. रामावल्ली ने मुझे बताया, "द रियल टाइम मशीन मेरी खोज है, पत्रकार महोदय! इसलिए मैं तय करूँगा कि वे वापस लौटेंगे या वहीं मर जाएँगे। 


पुस्तक लिंक: अमेज़न 


अक्टूबर नवंबर 2021 में खरीदे गए कॉमिक बुक्स 


कॉमिक बुक्स मुझे बचपन से ही पढ़ना पसंद रहा है और आज भी गाहे बगाहे मैं कॉमिक बुक पढ़ना पसंद करता हूँ। पिछले कुछ महीनों से यह सिलसिला काफी बढ़ भी गया है।  अगर अपनी पसंद की बात करूँ तो कॉमिक बुक्स में मुझे हमेशा से ही सुपर हीरो वाले कॉमिक से ज्यादा थ्रिल, हॉरर और सस्पेंस कॉमिक्स पढ़ने पसंद आए हैं। पहले राज कॉमिक्स की इसी नाम की एक शृंखला आती थी जिसे मैंने बड़े चाव से पढ़ता था। अभी भी उसके कुछ न कुछ कॉमिक्स पढ़ता रहता हूँ लेकिन हाल के वर्षों में हिंदी कॉमिक इंडस्ट्री में काफी बदलाव आए हैं और मैं इस राज कॉमिक्स से इतर दूसरे प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित कॉमिक्स पढ़ना चाहता था। यही कारण है नवंबर के महीने में मैंने प्रिंस और फेनिल कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित कॉमिक बुक्स ली।


प्रिंस कॉमिक्स

फेनिल कॉमिक्स में मैं अलग अलग प्रकाशनों के कॉमिक बुक्स जब देख रहा था तब प्रिंस कॉमिक्स के सेट ने मुझे आकर्षित किया। यह सेट 399 रुपये का था और इसमें पाँच कॉमिक्स मौजूद थीं। हाँ, हर कॉमिक में केवल 16 पृष्ठ ही थे जिसने की कॉमिक्स को लेने में झिझक महसूस की लेकिन फिर चूँकि रुपये 399 ही थे तो लेने का फैसला कर दिया।  इस सेट में से मैं इस लेख को लिखे जाने तक पाँचों कॉमिक्स पढ़ चुका हूँ और इधर इतना ही कहूँगा कि कहानियों से मैं संतुष्ट हूँ। हाँ, पृष्ठ संख्या थोड़ी ज्यादा होती तो सोने पर सुहागा हो जाता। 


इस सेट में जो कॉमिक्स थीं वह निम्न थीं:


हॉरर संगीत 

लेखक: टीकाराम सिप्पी | चित्रांकन एवं इंकिंग: जय खोहवाल | सुलेख एवं रंग: एन बाबू | इफेक्टस: मोईन खान | संपादक: मोहित मिश्रा



डेनियल पाल हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का एक जाना माना नाम था। हॉरर फिल्मों का संगीत देने में उसका कोई सानी नहीं था। 


लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ जो वह कब्रिस्तान में संगीत बजाने के लिए विवश हो गया। 


कॉमिक बुक की समीक्षा:

लालच का फल दर्शाती पठनीय चित्रकथा है हॉरर संगीत


वह कौन था?

लेखक: अंसार अख्तर | चित्रांकन एवं इंकिंग: हुसैन जामिन | कवर आर्ट: हरजीत सिंह | डिजिटल कैलीग्राफी: एन बाबू | संपादक: मोहित मिश्रा



पड़ोसी देश की बढ़ती हुई परमाणु शक्ति को देखते हुए देश की सेना सावधान थी! और इसीलिए कैम्प ‘एक्स’ स्थापित किया गया था। यह एक अत्यंत गोपनीय स्टेशन था! पर तब क्या हुआ जब इस स्टेशन पर भी हमला हो गया ... 


वह कौन था की समीक्षा:

23rd जून प्रोडक्शन

लेखक: सैय्यद एम रजा | चित्रांकन: जय खोहवाल | इफ़ेक्ट्स: यासमीन खान | डिजिटल कैलीग्राफी: एन बाबू | संपादक: मोहित मिश्रा



रोहित रंजन एक टीवी कलाकार और सुपर मॉडल था जिसका सपना फिल्मों में जाना था। ऐसे में जब उसे 23rd प्रोडक्शन हाउस से एक निमंत्रण मिला तो यह अंधा क्या चाहे दो आँखें की मसल चरितरार्थ होने सरीखा था। 23rd प्रोडक्शन हाउस पारलौकिक विषयों पर फिल्म बनाता था और रोहित इनके द्वारा बनाई फिल्म में हीरो बनने का मौका नहीं खोना चाहता था। क्या उसका सपना पूरा हुआ? 

कॉमिक बुक की समीक्षा: 23rd जून प्रोडक्शन

जिन्न

लेखक: अंसार अख्तर | चित्रांकन: हुसैन जामिन | संपादक: मोहित मिश्रा


सॉफ़्ट वेयर इंजीनियर अश्वजीत राणा अपनी फ़ील्ड में मास्टर समझा जाता था। बह खूब पैसा कमा चुका था। और एक शानदार जीवन व्यतीत कर रहा था। और जब अश्वजीत ने खुद को 'सुपर कम्प्यूटर' का मालिक बनने के लिए अपने पर्सनल कम्प्यूटर में इंस्टॉल कर डाला 'जिन्न' को तो उसने सोचा भी न था कि उसके साथ क्या होने वाला है?

बारहवाँ कंकाल 

लेखक: अंसार अख्तर | चित्रांकन एवं इंकिंग: प्रेम गुप्ता | डिजिटल कैलिग्राफी:  एन बाबू | इफैक्ट्स एवं रंग: अभिषेक सिंह  | संपादक: मोहित मिश्रा



वह ग्यारह कंकाल इकट्ठे कर चुका था। अब उसे बारहवे कंकाल की आवश्यकता था। 

वह कौन था? वह क्यों कंकाल इकट्ठा कर रहा था? क्या उसे बारहवाँ कंकाल मिल पाया?



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यह सेट निम्न लिंक पर जाकर खरीदा जा सकता है:

प्रिंस कॉमिक्स सेट



फेनिल कॉमिक्स 

फेनिल कॉमिक्स पिछले दस वर्षों से कॉमिक बुक्स का प्रकाशन करता आ रहा है। यह मेरे लिए हैरत की बात थी कि इतने वर्षों से प्रकाशन करने वाले प्रकाशक का मैंने आजतक एक भी कॉमिक्स नहीं पढ़ा था। लेकिन देर आए दुरुस्त आए की तर्ज पर मैंने फेनिल कॉमिक्स से प्रकाशित दो शृंखलाओं के कॉमिक इस बार मँगवाये। 


जासूस बलराम शृंखला 

जासूस बलराम एक प्राइवेट डिटेक्टिव है जिसके केसस इस शृंखला के कॉमिक बुक्स की कहानी बनते है। चूँकि जासूसी कहानियाँ मुझे पसंद आती हैं तो मैंने इस शृंखला के निम्न तीन कॉमिक्स मैंने इस बार मँगवाए हैं। जासूस बलराम के तीन कॉमिक का यह संग्रह एक कॉम्बो में साइट में मौजूद था और मुझे यह 435 रुपये का ही पड़ा था। जहाँ इनमें से एक कॉमिक 20 पृष्ठों का था वहीं बाकी दो कॉमिक बुक 32-32 पृष्ठ के थे।  

जासूस बलराम के सर्वश्रेष्ठ कारनामें - 1



जासूस बलराम के सर्वश्रेष्ठ कारनामें 20 पृष्ठ का कॉमिक बुक है जिसमें जासूस बलराम के दो कॉमिक बुक नादान और फेकबुक संकलित किए गए हैं। इन दो कहानियों की अच्छी बात यह है इन दो कहानियों में कथा से लेकर चित्रांकन नये कलाकारों का है जो कि प्रकाशन के तरफ से इस इंडस्ट्री में नये हुनर को लाने की कोशिश है। 


कॉमिक बुक की समीक्षा:


ब्लैक


प्रकाशक: फेनिल कॉमिक्स | लेखक/केलिग्राफी: फेनिल शेरडीवाला | पेंसिलिंग: गौरव श्रीवास्तव  | संपादक: बिपिनचंद्र शेरडीवाला


'ब्लैक' एक कांट्रेक्ट क्रिमिनल ग्रुप का नाम है, जो पाँच सुपर खलनायकों के नाम के प्रथम अक्षरो को मिलाकर रखा गया है! भारत का न्युक्लियर प्रोग्राम अब विक्सित देशों की तुलना में काफी आगे आ गया है! यही बात उन देशों को चुभ रही है! लेकिन सच यही है जो दिखता है? या कुछ ओर? सत्य को उजागर करेगा जासूस बलराम !


सबसे बड़ी डील

प्रकाशक: फेनिल कॉमिक्स | लेखक/केलिग्राफी/सम्पादन : फेनिल शेरडीवाला | पेंसिलिंग: गौरव श्रीवास्तव 



सबसे बड़ी डील ब्लैक का दूसरा भाग है। इस भाग की कहानी वहीं से शुरू होती हैं जहाँ पर ब्लैक की कहानी का अंत हुआ था। यहाँ ये बताना जरूरी है कि इस भाग की कहानी आगे चुनौती में जारी रहेगी। 

जासूस बलराम की इन तीन कॉमिक्स के कॉम्बो को निम्न लिंक से मँगवाया जा सकता है:
जासूस बलराम कॉम्बो


तस्कर शृंखला 

कहानी: कीरटी खमबाटला | लेखक: सुदीप मेनन | पेनसिलर: मोहित आर्या | कलरिस्ट: जाकिर हुसैन | लेटर्स: दयाल सिन्धी | कवर आर्ट: धीरज वर्मा, जाकिर हुसैन
 

तस्कर शृंखला तीन कॉमिक  बुक्स की शृंखला है जिसकी कहानी कीरटी खमबाटला द्वारा लिखी गयी है। यह कॉमिक बुक अंग्रेजी में प्रकाशित हुआ है। इसका हर एक भाग 32 पृष्ठ का है। इस शृंखला की कहानी  चूँकि मुझे थोड़ा अलग थोड़ा हटकर लगी थी तो मैंने इसे मँगवाने का फैसला कर दिया। तीन कॉमिक का यह कॉम्बो मुझे फेनिल कॉमिक्स की वेबसाईट से 360 रुपये की पड़ गयी थी।  

यह अर्जुन कुमार की कहानी है जो कि अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में कार्य करने वाला अर्थशास्त्री है। यहाँ पर जब वह कुछ ऐसी चीजें देखता है जो नहीं होनी चाहिए थी तो वह परिस्थितियों के चलते एक कंप्यूटर हैकर बन जाता है। हैकर बनकर वह क्या करता है और किन परिस्थितियों से दो चार होता है यही इन तीनों कॉमिक में दर्शाया गया है।  वैसे तो लेखक ने यह कहानी फिल्म के लिए लिखी थी लेकिन जब फिल्म को अच्छी प्रतिक्रिया मिली तो उन्होंने इस किरदार को कॉमिक बुक फॉर्म में भी ढालने का भी निर्णय किया और इस शृंखला का जन्म हुआ। 


फेनिल कॉमिक्स में मौजूद तस्कर का सेट: फेनिल कॉमिक्स

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क्या आपने इस दौरान कुछ लिया? क्या आप कॉमिक बुक्स पढ़ते हैं?  ऐसे कौन से उपन्यास हैं जिन्हें आप ग्राफिक फॉर्म में पढ़ना चाहेंगे? 


मुझे अपनी राय से अवगत करवाना न भूलिएगा। 



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