सितंबर 2021 बुक हॉल- 3

नीलम जासूस कार्यालय ने हाल ही में लेखक वेद प्रकाश काम्बोज और जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा के उपन्यास प्रकाशित करने शुरू किए हैं। वैसे तो इनके अलावा भी कई और लेखकों के उपन्यास उन्होंने प्रकाशित किये हैं लेकिन ये दो लेखक ऐसे थे जिनको मैं पढ़ना चाहता था। ऐसे में इन अनुपलब्ध उपन्यासों को फिर से उपलब्ध करवाकर नीलम जासूस कार्यालय द्वारा एक अच्छी पहल की गयी है। 

मैं इन उपन्यासों को मंगवाना चाहता था लेकिन मँगवा नहीं पा रहा था। कभी बजट ऊपर चला जा रहा था तो कभी दिमाग कह रहा था कि पहले जो उपन्यास खरीदे हुए हैं उन्हें पढ़ ले और इन्हें बाद में मँगवाना। लेकिन सितंबर में आखिरकार दिल की बात मैंने मानी और उनके तेरह उपन्यास एक सेलर से मैंने मँगवा लिए। यह सभी उपन्यास मुझे 120 रुपये प्रति उपन्यास (यानी कुल 1560) की दर से पड़े। और इनकी डिलीवरी भी मुफ्त की गयी तो सौदा फायदा का ही रहा। 

इस बार जो नीलम जासूस कार्यालय द्वारा प्रकाशित उपन्यास मैंने मँगवाए वो निम्न हैं:

नीलम जासूस कार्यालय से प्रकाशित उपन्यास 






जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा के उपन्यास 

हिंदी लोकप्रिय साहित्य में जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा का अपना मुकाम रहा है। जितने वह अपने जासूसी उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं उतने ही वह अपने सामाजिक और ऐतिहासिक उपन्यासों के लिए भी पाठकों के बीच में प्रसिद्ध थे।  लेकिन मेरे लिए यह दुर्भाग्य की बात थी कि मैं उनके ज्यादा उपन्यास पढ़ नहीं पाया था। इसके पीछे एक कारण मेरा लोकप्रिय साहित्य की तरफ देरी से मुड़ना भी था। जब तक मैं लोकप्रिय साहित्य की तरफ मुड़ता तब तक उनके उपन्यास आउट ऑफ प्रिन्ट हो गए थे। ऐसे में मुझे उनके विषय में काफी देर में पता लगा और जब पता लगा तो पढ़ने के लिए कुछ था ही नहीं। उनके कुछ पुराने उपन्यास जो मुझे मिले वो अपराध साहित्य के थे और मैं उनके सामाजिक उपन्यास भी पढ़ना चाहता था। ऐसे में जब नीलम जासूस कार्यालय से प्रकाशित उपन्यास मँगवाने की सोची तो उनके कुछ आपराध साहित्य और कुछ समाजिक और ऐतिहासिक उपन्यास भी मैंने मँगवा डाले। अब देखना ये है कि पढ़ने में यह कैसे होते हैं। 

यह भी पढ़ें 


सितंबर की तीसरी खेप में मँगवाए गए उपन्यास

विषकन्या 

विषकन्या - जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा

विषकन्या लेखक ओम प्रकाश शर्मा द्वारा लिखा गया उपन्यास है। उपन्यास की शुरुआत कश्मीर में चल रही एक पार्टी से होती है जहाँ कई लोगों के साथ-साथ केन्द्रीय खुफिया विभाग के जासूस भी मौजूद हैं। बाहर भीषण बाढ़ के चलते सब कुछ ठप हो गया है और लोग अब किस्से सुनाकर वक्त काट रहे हैं। ऐसे में जब राजेश की बारी आती है तो वो एक ऐतिहासिक जासूस शंकर मिश्र की जासूसी का किस्सा लोगों को सुनाते हैं।  यह कहानी ही उपन्यास का कथानक बनती है और पाठकों को ग्यारहवीं शताब्दी में ले चलती है।

आखिर कौन थे ये शंकर मिश्र? राजेश उनके किस कारनामे की कहानी सुना रहे थे?
आखिर कौन थी विषकन्या? शंकर मिश्र का विषकन्या से क्या सम्बन्ध था? 


किताब लिंक: अमेज़न

शैतान की घाटी 

शैतान की घाटी - जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा


शैतान की घाटी लेखक ओम प्रकाश शर्मा का लिखा हुआ जगत राजेश शृंखला का उपन्यास। जहाँ जगत एक अन्तराष्ट्रीय ठग है वहीं राजेश केन्द्रीय खुफिया विभाग का वरिष्ठ जासूस है। उपन्यास के पीछे उपन्यास के विषय में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं दी हुई है। परन्तु उपन्यास के पृष्ठ पलटने से मुझे जो कुछ अंदाजा लगा है वह कुछ यूँ है:


इस बार राजेश जगत के पीछे पीछे अदन आ गया था। लंदन से भारत और भारत से अदन पहुँचकर उसे पता चला था कि जगत ने अदन में भी किसी को अपनी ठगी का शिकार बना दिया था। 

जगत को जब राजेश को अपने पीछे पड़े होने का अहसास हुआ तो उसने एक नई योजना बना डाली। अब जगत जिस सफर पर जा रहा था वहाँ उसने राजेश को अपने साथ ले जाने का फैसला कर लिया? 

आखिर जगत किस सफर पर जाना चाहता था? 
क्या राजेश उसके साथ जाने को तैयार हुआ? 
इस सफर पर कौन सी मुसीबते इनका इंतजार कर रही थीं ?
ये शैतान की घाटी आखिर क्या थी?


किताब लिंक: अमेज़न



नूरजहाँ का नैकलेस 

नूरजहाँ का नैकलेस - जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा



नूरजहाँ का नैकलेस लेखक ओम प्रकाश शर्मा का लिखा हुआ एक जासूसी उपन्यास है। यह जगत शृंखला का पहला उपन्यास है। लेखक ओम प्रकाश शर्मा द्वारा रचा गया किरदार जगत एक अंतर्राष्ट्रीय ठग है। वैसे है तो वो अपराधी लेकिन कई बार वह राजेश और उसके मातहतों की मदद करता रहता है। जगन-बन्दूक सिंह नामक युवा जासूस उसे अपने गुरु की तरह देखते हैं और वह भी कई मामलों को सुलझाने में उनकी मदद कर चुका है। 

किताब परिचय:

नूर जहाँ का नैकलेस लंदन में नीलाम होने वाला था। वहीं अंचला उसे किसी भी हालत में हासिल करना चाहती थी। 

अंचला एक ऐसी औरत थी जिसका काम अमीर लोगों को फँसाना था। उन लोगों से अपना काम निकलवाने के बाद वह उन्हें दूध में पड़ी मक्खी की तरह अपनी जिंदगी  से अलग कर देती थी और नए शिकार की तलाश में आगे बढ़ जाती थी।

अब अंचला ने एक ठग, जिसे वह विजय कहती थी, को अपने लिए वह नैकलेस लाने को कहा था। इसके बाद अंचला उससे शादी करने वाली थी। 

क्या अंचला को यह नैकलेस मिल पाया? आखिर कौन था ये विजय? नूरजहाँ का नैकलेस को पाने के लिए उसने क्या तिकड़म लगाई और इसके चलते किन किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा?

किताब लिंक: अमेज़न


धड़कने 


धड़कने ओम प्रकाश शर्मा जी के कुछ प्रसिद्ध उपन्यासों में से एक है। उपन्यास के प्रसिद्ध होने का कारण यह भी है कि इस पर फिल्म चमेली की शादी बनी है। यह उपन्यास मैंने पढ़ा नहीं था लेकिन इसके विषय में सुना जरूर था। ऐसे में पढ़ने की इच्छा हमेशा से थी। इसलिए उपन्यास दिखा तो मँगवा लिया। 


किताब लिंक: अमेज़न


पी कहाँ 


'पी कहाँ' जनप्रिय लेखक का एक सामाजिक उपन्यास है। यह उपन्यास सूरज प्रकाश की कहानी है जो कि अपने शहर में कुँवर साहब के नाम से जाने जाते थे। उपन्यास की कहानी के विषय में लेखक ने लिखा है:

कौन जाने पावस ऋतु में पी कहाँ पुकारने वाले पपीहे की व्यथा क्या होती है। 

'पी कहाँ' कुँवर साहब के जीवन की, जीवन के विशेष भाग की कहानी है।

पपीहा कहानी का प्रतीक नहीं है, कहानी का प्रतीक है पपीहा की पुकार 'पी कहाँ'। 

पी कहाँ - प्रियतम को पुकारती हुई एक मार्मिक पुकार। उसे पुकारती हुई करुण ध्वनि जिसे मन सबसे अधिक चाहता हो, प्यार करता हो। 

कहानी के विषय में लिखे गए यह वाक्य कहानी के प्रति उत्सुकता जगाते हैं। आखिर कुँवर साहब कौन हैं और क्यों पी कहाँ  की पुकार उनकी जीवन से जुड़ी कहानी का इतना महत्वपूर्ण भाग बन गया है? यह सवाल मन में बरबस ही आ जाते हैं। 


किताब लिंक: अमेज़न


वेद प्रकाश काम्बोज के उपन्यास 

हिंदी लोकप्रिय साहित्य में लेखक वेद प्रकाश काम्बोज का क्या स्थान है यह हिंदी से जुड़ा व्यक्ति भली भाँति जानता है।  लेकिन अफसोस की बात थी अब तक उनके लिखे उपन्यास आउट ऑफ प्रिन्ट चल रहे थे। इस कारण मैं भी उनके उपन्यास पढ़ने से वंचित रह गया था। अब तक मैंने केवल उनका एक उपन्यास खतरे की खोपड़ी ही पढ़ा था। लेकिन अब चूँकि नीलम जासूस के माध्यम से उनके कुछ उपन्यास वापिस प्रकाशित हो चुके हैं तो मैं उनके कुछ उपन्यासों को खरीदने का लोभ संवरण न कर पाया। 


इस बार जो उपन्यास मँगवाए वह निम्न थे:

ड्रेगन की अँगूठी 



ड्रेगन की अँगूठी लेखक रॉबर्ट वैन गुलिक के पुस्तक द मंकी एंड द टाइगर में मौजूद पहले लघु-उपन्यास का हिंदी अनुवाद है। यह अनुवाद वेद प्रकाश काम्बोज द्वारा किया गया है। 

किताब परिचय:

द मंकी और टाइगर की पहली कहानी को द मॉर्निंग ऑफ द मंकी कहा जाता है। इसमें वर्ष 666 में हन-युआन के काल्पनिक शहर मेंन, एक सुबह जज डी को अपने घर के प्रवेश द्वारा पर एक बंदर द्वारा गिराई गयी पन्ने की एक अँगूठी मिलती है। ध्यान से देखने पर पता चलता है कि इस पर खून लगा है। 

फिर सवाल उठता है ये खून किसका है ? जानवर का या फिर किसी इंसान का? फिर आसपास के जंगल में एक विचित्ररूप में कटे हुए शरीर की खोज होती है। 

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तबाही का देवता 


तबाही का देवता विजय रघुनाथ शृंखला का उपन्यास है। इस शृंखला का उपन्यास मैंने आजतक नहीं पढ़ा है। विजय की झकझकियों के विषय में सुना जरूर है। तो इसलिए पढ़ने की उत्सुकता भी है। उपन्यास किस विषय में है यह बता पाना मुश्किल है क्योंकि प्रकाशक ने सिनॉप्सिस कहीं पर लिखा नहीं है। अब तो पढ़कर ही पता चलेगा कि उपन्यास में तबाही का देवता कौन है और विजय रघुनाथ उससे कैसे जूझेंगे?

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खोये शहर की खोज 



खोए शहर की खोज भी लेखक वेद प्रकाश काम्बोज का विजय रघुनाथ शृंखला का उपन्यास है। उपन्यास की शरुआत दीपक मेहरा, जो कि महत्वपूर्ण तस्वीर को हासिल करने में सफल हुआ था, के कत्ल से हो जाती है। आखिर दीपक मेहरा का कत्ल क्यों हुआ था ? इस सवाल का जवाब खोजने के लिए रघुनाथ और विजय इस मामले से जुड़ जाते हैं। आगे क्या होता है यह उपन्यास का कथानक बनता है। 

किताब लिंक: अमेज़न | समीक्षा


बदमाशों की बस्ती 


बदमाशों की बस्ती भी विजय-रघुनाथ शृंखला का उपन्यास है।


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टिंबरलैंड के लड़ाके 


टिंबरलैंड के लड़ाके भी विजय रघुनाथ शृंखला का उपन्यास है। उपन्यास में विजय टिंबरलैंड जाकर एक मामले को सुलझाते हुए दिखता है। 


किताब लिंक: अमेज़न


अनोखा कैदी 


अनोखा कैदी भी काम्बोज जी का लिखा जासूसी उपन्यास है। उपन्यास में उनके तीनों प्रसिद्ध किरदार विजय, रघुनाथ और अलफाँसे भी शामिल हैं। इसके सिवा उपन्यास के विषय में न मुझे कोई जानकारी है और न कहानी के विषय में प्रकाशक ने बैककवर पर कुछ लिखा है। अंदर के पृष्ठ मैंने उलटपलट कर देखे थे तो उससे भी कुछ पता नहीं चल रहा है। अब पढ़कर ही देखा जाएगा कि किस तरह का कथानक इस उपन्यास में लेखक ने बुना था। 


किताब लिंक: अमेज़न

देवता का हार 


देवता का हार भी विजय- रघुनाथ शृंखला का उपन्यास है। 

किताब परिचय:

रतनगढ़ स्टेट के महाराजा रतनसिंह विजय के पास अपनी परेशानी लेकर आए थे। महराजा रतन सिंह के पास एक हार था जो कि सात पीढ़ियों से उनके पास मौजूद था। लेकिन अब ऐसी घटना हो गयी थी जिसके कारण वो एक भारी विपत्ति में फँस गए थे। किसी ने उनका ये हार एक नकली हार से बदल दिया था और महाराज को इस बात की भनक भी नहीं लग पाई थी। 

आखिर महाराज का हार कब बदला गया? क्या विजय असल हार को खोज पाया?

किताब लिंक: अमेज़न


अलफाँसे 


अलफाँसे विजय अलफाँसे शृंखला का पहला उपन्यास है। अलफाँसे एक अंतर्राष्ट्रीय अपराधी है जो दौलत के लिए कुछ भी कर सकता है। लेकिन अपराधी होने के बावजूद उसके और विजय के बीच में एक खास रिश्ता है। वह विजय के गुणों के कारण उसकी इज्जत भी करता है। उपन्यास का कथानक क्या है यह तो मुझे नहीं पता है लेकिन मैं इस उपन्यास को पढ़ना चाहता था क्योंकि इस किरदार के विषय में मैंने काफी सुना है। देखना है यह कैसे बन पड़ा है?

किताब लिंक: अमेज़न


तो यह थे सितंबर की तीसरी खेप में मँगवाए गए उपन्यास। नीलम जासूस कार्यालय के उपन्यास की छपाई बेहतरीन हैं लेकिन एक कमी है जो मुझे खली और हो सकता है उपन्यासों के अन्य पाठकों को खले। उपन्यास की कथावस्तु के विषय में कहीं कोई जानकारी नहीं मिलती है। ऐसे में पुराने पाठक तो शायद लेखकों के नाम देखकर उपन्यास खरीद लें लेकिन नए पाठक शायद ये रिस्क न लें। प्रकाशन को इस पर ध्यान रखना चाहिए और पुस्तकों की कथावस्तु के विषय में तीन चार पंक्तियाँ किताब पर या ऑनलाइन वेबसाईट पर जरूर लिखनी चाहिए। इससे ऐसे पाठक भी उपन्यास के प्रति आकर्षित होंगे जिन्होंने लेखक का नाम नहीं सुना है। 


सितंबर में जोश जोश में काफी कुछ खरीद लिया। अब जल्द ही इन्हें पढ़ने की कोशिश की जायेगी।  


क्या आपने वेद प्रकाश काम्बोज और जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा के उपन्यास पढ़ें हैं। अगर हाँ तो इन लेखकों के आपके पसंदीदा उपन्यास कौन से थे? मुझे उनके नाम बताना न भूलिएगा। 

क्या ऐसे कोई भूले बिसरे लेखक हैं जिनके उपन्यास आप पुनः प्रकाशित होते देखना चाहेंगे? उनके नाम भी मुझे अवश्य बताइएगा। 

यह उपन्यास अमेज़न पर भी उपलब्ध हैं और निम्न लिंक पर जाकर मँगवाए जा सकते हैं:




10 टिप्पणियाँ

आपकी टिपण्णियाँ मुझे और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करेंगी इसलिए हो सके तो पोस्ट के ऊपर अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।

  1. नील‌म जासूस कार्यालय का सराहनीय प्रयास है।
    वेद जी के उपन्यास 'बदमाशों की बस्ती' और 'अनोखा कैदी' मेरी लिस्ट में शामिल हैं, इनको पढना है।
    अच्छी जानकारी, धन्यवाद ।।

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  2. बहुत ही बढ़िया समीक्षाएं है सब।

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  3. मूल्यवान जानकारी किताबों के सन्दर्भ में । बेहतरीन समीक्षा।

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  4. मैंने जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी का एक उपन्यास तो कलकत्ता से निकलने वाले 'सन्मार्ग' समाचार-पत्र में धारावाहिक रूप से पढ़ा था (क्योंकि उस ज़माने में मैं ख़ुद उसी समाचार-पत्र वाले भवन के एक कमरे में रहता था), इसके अतिरिक्त मैंने पुस्तकाकार में प्रकाशित 'वेश्या का ख़ून' तथा 'महल में प्रेत' जैसे उनके उपन्यास पढ़े हैं। अंतर्राष्ट्रीय अपराधी 'अलफांसे' के नाम पर ही एक सम्पूर्ण उपन्यास लिखा गया था, यह एक रोचक तथ्य है। 'चमेली की शादी' एक अत्यंत रोचक फ़िल्म थी, अतः आप 'धड़कनें' की समीक्षा अवश्य लिखिएगा। प्रतीक्षा रहेगी यह जानने की कि फ़िल्म की तुलना में उपन्यास कैसा था। आप अच्छा इसीलिए लिख पाते हैं क्योंकि आप पढ़ते बहुत हैं। एक अच्छा पाठक ही आगे चलकर एक अच्छा लेखक बन सकता है।

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    1. जी आभार सर। इन सभी उपन्यासों के ऊपर टिप्पणी लिखने की कोशिश करूँगा। आभार।

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