सितंबर 2021 में पढ़ी गयी रचनाएँ

वैसे तो अब आधा नवंबर बीत चुका है और अब सितंबर में पढ़ी गयी किताबों के विषय में लिखने का कायदे से कोई तुक नहीं है लेकिन अपना ब्लॉग होने का यही तो फायदा है न? आप जब चाहे जो लिख सकते हो। तो इस बार पहले मैं सितंबर में पढ़ी गयी किताबों का ब्यौरा दूँगा।


सितंबर के माह में गिनती के हिसाब से देखा जाए तो 15 रचनाएँ पढ़ने का मौका लगा। इन रचनाओं में चार रचनाएँ अंग्रेजी की और बाकी दस हिंदी की रचनाएँ थीं। इन रचनाओं में चार उपन्यास, तीन कहानियाँ, चार लघु-उपन्यास, एक लघु-उपन्यास संग्रह, और तीन कॉमिक बुक मौजूद थीं। यानि पढ़ने के लहजे से केवल इसमें कथेतर साहित्य ही गायब था। खैर, पढ़ने के लिहाज से देखूँ तो सितंबर से संतुष्ट हूँ। 


चलिए अब  ज्यादा वक्त जाया न करते हुए देखते हैं कि यह रचनाएँ कौन सी थीं?  सितंबर 2021 में जो रचनाएँ पढ़ी गयी वो निम्न थीं:


सितंबर 2021 में पढ़ी गयी रचनाएँ


द ऐन्जलस ब्यूटी स्पॉटस (The Angel's Beauty Spots) 

समीक्षा: The Angel's Beauty Spots


द ऐन्जल्स ब्यूटी स्पॉटस लेखिका के आर मीरा (K R Meera) के लघु-उपन्यासों का संग्रह है। यह मूलतः मलयाली में लिखी रचनाओं का अंग्रेजी अनुवाद है। अनुवाद जे देविका द्वारा किया गया है और अच्छा बन पड़ा है। 
अक्सर प्यार शब्द जब हम सुनते हैं तो हमारे जहन में एक खुशनुमा सी भावना जागृत होती है। अच्छा अच्छा सा लगता है लेकिन लेखिका ने इस लघु-उपन्यास संग्रह जिसमें द ऐन्जल्स ब्यूटी स्पॉटस, एण्ड फॉरगेटिंग द ट्री... आई, द डीपेस्ट ब्लू संग्रहित हैं,  में प्यार के स्याह पहलुओं को दर्शाया है। यह सभी टूटे बिखरे हुए लोग हैं जो प्यार तो करते हैं लेकिन उनका प्यार आजाद करने के बजाय घुटन पैदा करता है और जिससे वो प्यार करते हैं उन्हें मानसिक रूप से तोड़ कर रख देता है। रोचक संग्रह है। 

पुस्तक लिंक: अमेज़न


द ओल्ड कार (The Old Car)

Review: The Old Car by Andaleeb Wajid


द ओल्ड कार लेखिका अंदालीब वाजिद(Andaleeb Wajid) की लिखी लघु-कथा है। हम सबके घर में कुछ ऐसी चीजें होती है जो कितनी भी पुरानी हो जाए उनसे जुदा होने का मन हमारा नहीं करता है। सुनील के घर में भी वह गाड़ी ऐसी ही थी। सुनील की काफी यादें उससे जुड़ी थी लेकिन सुनील एक प्रैक्टिकल व्यक्ति था। भले ही उसके माँ बाप उस गाड़ी को नहीं बेचना चाहते थे लेकिन वह उसे रखने के पक्ष में नहीं था। जब उस गाड़ी को बेचने की कोशिश की गयी तो जो कुछ हुआ वही कहानी बनती है। 

कहानी का कान्सेप्ट मुझे पसंद आया लेकिन मुझे लगता है जिस तरह से इसे लिखा गया है वह बेहतर हो सकता था। फिर भी कहानी एक बार पढ़ी जा सकती है। 

कहानी की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:

पुस्तक लिंक: अमेज़न


लज्जा 

समीक्षा: लज्जा - इलाचंद्र जोशी



लज्जा लेखक इलाचंद्र जोशी का उपन्यास है। लज्जावती एक अमीर परिवार की लड़की है जिसे लगता है कि वह अपने भाई की मृत्यु के लिए दोषी है। उसे ऐसा क्यों लगता है यही उपन्यास बनता है।
 
यह उपन्यास हमारे समाज के कई पहलुओं पर एक साथ टिप्पणी करता है। एक तरफ लज्जावती है जो कि समाज में हुई अपनी कन्डीशनिंग के चलते अपने प्राकृतिक इच्छाओं के कारण भी ग्लानि से भर जाती है और इन इच्छाओं का दमन करने की कोशिश करते करते भी इसमें असफल रहती है। वहीं दूसरी तरफ उसका भाई है जो ऊपरी तौर पर प्रतिभावान और समझदार लगता है लेकिन अंदर अंदर ही वह अवसादग्रस्त। अवसाद से घिरे आदमी को पहचानना कितना मुश्किल होता है यह इधर देखने को मिलता है। वही चूँकि लज्जा समाजिक रूप से प्रतिष्ठित पिता की बेटी है तो उसे घर के माहौल के द्वारा भी लेखक समाज और उस समाज से जुड़े लोगों पर टिप्पणी भी करते हैं। रोचक उपन्यास है जिसे एक बार पढ़ा जा सकता है। 

पुस्तक लिंक: अमेज़न


कुछ अनकहा सा 



कुछ अनकहा सा लेखिका तरंग सिन्हा की लिखी हुई उपन्यासिका है। कई बार कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिनमें अगर कुछ कहा जाए तो उनके टूटने का डर ज्यादा होता है। लेकिन फिर भी कई बार कुछ कहना जरूरी हो जाता है। कबीर और आयशा के बीच भी एक ऐसा ही रिश्ता था। कबीर ने जब अपने दिल की बात अपने से उम्र में बड़ी आयशा से कही तो आगे जो हुआ वही यह उपन्यासिका बनती है। उपन्यासिका मुझे पसंद आई। 

उपन्यासिका की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:

पुस्तक लिंक: अमेज़न


बिच्छू का खेल 

समीक्षा: बिच्छू का खेल - अमित खान


बिच्छू का खेल लेखक अमित खान का थ्रिलर उपन्यास है। अखिल श्रीवास्तव अपने जान पहचान वालों के बीच में बिच्छू के नाम से जाना जाता था। जब उसके पिता झूठे सबूतों के आधार पर कानून का शिकार हो गए तो अखिल ने ऐसा कुछ करने की योजना बनाई जिससे कानून के सभी नुमाइंदे हैरान रह गए। आखिर क्या था बिच्छू का खेल जो उसने खेला था? इस खेल का क्या नतीजा निकला?

अमित खान के काफी उपन्यास मैं पढ़ चुका हूँ। यह एक रोचक उपन्यास है। कुछ कमियाँ जरूर है लेकिन उन्हे बेहतर सम्पादन से ठीक किया जा सकता था। फिर भी उपन्यास पढ़ा जा सकता है। इस उपन्यास पर आधारित एक वेब सीरीज भी आई है। अभी तक मैंने वो नहीं देखी है। जल्द ही देखने की कोशिश रहेगी। 

उपन्यास की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर:

पुस्तक लिंक: अमेज़न



प्यार की दास्तान: तुम सुनो तो कहें 

समीक्षा: प्यार की दास्तान: तुम सुनो तो कहें



प्यार की दास्तान: तुम सुनो तो कहें लेखिका दीप्ति मित्तल द्वारा लिखी गयी उपन्यासिका है। रिया अपने सहकर्मी अतुन के साथ भीरा गाँव के जंगल में आई हुई थी। स्थानीय लोगों का कहना था कि इस जंगल में आत्माओं का वास था। रिया और अतुन एक टीवी चैनल में काम करते थे और ऐसी जगहों पर शो बनाते थे। क्या स्थानीय लोगों के विश्वास में सच्चाई थी या वह केवल अंधविश्वास था? प्यार की दास्तान पारलौकिक तत्व लिए हुए एक प्रेम कहानी है। कई बार समाज की सोच के चलते या खुद भी हम ऐसे लोगों की कद्र करना भूल जाते हैं जो कि हमारे लिए जरूरी होते हैं। यह उपन्यासिका ऐसे ही प्रेमी युगल की कहानी कहता है। यह उपन्यासिका रोचक है और लेखिका की लेखन शैली भी प्रभावित करती है। एक बार पढ़ी जानी चाहिए। 

उपन्यासिका की विस्तृत समीक्षा:

पुस्तक लिंक: अमेज़न


द घोस्ट राइटर (The Ghost Writer)

Book Review: The Ghost Writer - Mayur Didolkar



द घोस्ट राइटर लेखक मयूर दिदोलकर (Mayur Didolkar) की लिखी हुई कहानी है। घोस्ट राइटर एक रोचक कहानी है। 


मुक्ता के घर आए हुए चोर जब उसके पिता का लैपटॉप ले जाने लगते हैं तो वह उनसे उसे न ले जाने के लिए विनती करती है। मुक्ता के अनुसार उस लैपटॉप में उसके पिता की आत्मा है जो कि मरने के बाद भी कहानियाँ लिखकर उनका भरण पोषण कर रहे हैं। क्या मुक्ता सही कह रही थी या चोरों को बेवकूफ बना रही थी? 


मयूर दिदोलकर मेरे पसंदीदा रचनाकारों में से एक हैं। पारलौकिक तत्वों को अपने कथानकों में बुनकर वह बेहतरीन ट्विस्टस से भरी हुई कहानियाँ बनाते हैं। अगर आपने उन्हें नहीं पढ़ा है तो काफी कुछ मिस कर रहे हैं। एक बार पढ़कर देखिए। 

कहानी की विस्तृत समीक्षा:

पुस्तक लिंक: अमेज़न
 


चंद्रनाथ


समीक्षा: चंद्रनाथ - शरतचंद्र चट्टोपाध्याय


चंद्रनाथ शरतचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखा हुआ उपन्यास है। 


धर्म के आडंबर के कारण एक निरपराध स्त्री को क्या क्या भुगतना पड़ता है यह इस उपन्यास के माध्यम से लेखक ने बाखूबी दर्शाया है। कई बार आस्तिक लोग अपनी आस्तिकता के चलते कैसे मानवता से भी मुख मोड़ देते हैं यह उपन्यास पढ़कर जाना जा सकता है। वहीं उपन्यास में कैलाशचंद्र और बाल विशु के बीच का रिश्ता मन मोह लेता है और अंत में आपकी आँखें भी भिगा देता है। 


इस पुस्तक में उपन्यास के साथ साथ शरत बाबू की उपन्यासिका बोझ भी मौजूद है। कई बार जब आप किसी के साथ रिश्ते में होते हो तो उसकी तुलना किसी और से करने लगते हो। यह करने के कारण एक दाम्पत्य जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है यही यह उपन्यास दर्शाता है। 

बोझ की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:

पुस्तक लिंक: अमेज़न

भूत 



तेरह जनवरी की रात को बरखा को अचानक से दौरे पड़ने शुरू हो गए थे। वह अपने घर वालों की तरफ हिंसक होने लगी थी। ऐसा लग रहा था कि उस पर भूत का साया था? क्या असल में ऐसा था? 


भूत तरुण कुमार वाही द्वारा लिखी और तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित कॉमिक बुक है। कॉमिक बुक एक बार पढ़ा जा सकता है। 

कॉमिक बुक की विस्तृत समीक्षा:

कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि 

 

अनुकृति नेक्स्ट 


समीक्षा: अनुकृति नेक्स्ट


अनुकृति नेक्स्ट लेखक नितिन मिश्रा द्वारा लिखी हुई कहानी है। देवऋषि वशिष्ठ ने जब अनुकृति को यह बताया कि उसकी आने वाली रचना का शीर्षक अनुकृति नेक्स्ट है तो अनुकृति का हैरान होना लाजमी था। देवऋषि एक जाना माना अपराध साहित्यकार था जिसका इंटरव्यू लेने के लिए पहली बार अनुकृति उससे मिल रही थी। ऐसे में क्या देवऋषि के अगले उपन्यास का नाम उसके नाम पर होना एक संयोग था या कोई गहरी चाल चली जा रही थी। 


नितिन मिश्रा की यह कहानी रोचक है और अगर आपने नहीं पढ़ी है तो इसे एक बार पढ़कर देखिए। मुझे यकीन है आपको पसंद आएगी। 


कहानी की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:

कहानी लिंक: प्रतिलिपि


सिहरन

समीक्षा: सिहरन - शुभानन्द



सिहरन लेखक शुभानन्द द्वारा लिखी गयी उपन्यासिका है। 


आकाश कई वर्षों बाद लखीमपुर आया था। लखीमपुर में उसने अपना बचपन बिताया था और अब वह अमेरिका से लौटने के बाद एक बार फिर अपने दोस्त अभिषेक से मिलना चाहता था। लेकिन लखीमपुर में अभिषेक के घर में कुछ ऐसा था जो आकाश का इंतजार कर रहा था। आखिर वह क्या था? 


लेखक शुभानन्द वैसे तो राजन इकबाल रिबोर्न और जावेद अमर जॉन शृंखला के लिए जाने जाते हैं लेकिन हॉरर पर भी उनकी अच्छी पकड़ है। पारलौकिक तत्वों का इस्तेमाल कर सिहरन के रूप में उन्होंने एक अच्छी सस्पेंस कथा लिखी है जो कि पाठक का मनोरंजन करती है। उम्मीद है ऐसी रचनाएँ वो लाते रहेंगे। 

सिहरन की विस्तृत समीक्षा

पुस्तक लिंक: अमेज़न

मनहूस सिक्का


समीक्षा: मनहूस सिक्का

त्रिलोक मक्कड़ को लगता था कि उसका वह सिक्का काफी भाग्यवान था और इसलिए वह अपने हर फैसले सिक्का उछाल कर करता था। लेकिन उसकी बीवी के अनुसार वह सिक्का मनहूस था। आखिर सच क्या था? 

तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित और कंचन द्वारा लिखा गया यह कॉमिक बुक एक औसत कॉमिक है। कॉमिक बुक के केंद्र में त्रिलोक मक्कड़ नाम का अपराधी है जो कि सिक्का उछालकर अपने सारे निर्णय लेता है। उसके साथ आगे क्या होता है यह कथानक बनता है। कॉमिक बुक में एक्शन तो भरपूर है लेकिन त्रिलोक का सिक्के पर विश्वास क्यों है यह नहीं दर्शाया गया है। अगर दर्शाया गया होता तो त्रिलोक के निर्णय समझ भी आते क्योंकि कॉमिक में जितनी बार उसने सिक्का उछाला है उसके लिए मुसीबत ही आई है। ऐसे में उसका सिक्के के प्रति यह अगाध विश्वास जमता नहीं है। पढ़ना चाहें तो कॉमिक बुक एक बार पढ़ सकते हैं। 

कॉमिक बुक की विस्तृत समीक्षा:

कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि 

मौत का नाच 

समीक्षा: मौत का नाच

 मौत का नाच लेखक मलय चक्रवर्ती द्वारा लिखा हुआ और तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित कॉमिक बुक है। राघव के परिवार वालों को जब कोई एक एक करके मारने लगा तो उसकी रातों की नींद उड़ने लगी। आखिर कौन था जो ये मौत का नंगा नाच खेल रहा था। 

मौत का नाच के माध्यम से लेखक ने समाज में फैली दहेज प्रथा के ऊपर टिप्पणी की है और यह भी दर्शाया है कि कैसे अक्सर गुनाहगार कानून के रखवालों के साथ साँठगांठ करके साफ बच जाता है। कॉमिक बुक रोचक है। हाँ, इसमें जो रहस्य चौंकाने के लिए रखा गया है वह कथानक को कमजोर बना देता है। उस पर थोड़ा काम किया जाता तो बेहतर रहता। फिर भी कॉमिक बुक एक बार तो पढ़ा ही जा सकता है। 

कॉमिक बुक की विस्तृत समीक्षा:

कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि 


नथिंग एल्स मैटर्स 




नथिंग एल्स मैटर्स लेखक विश धमिजा का पाँचवा उपन्यास है। यह उपन्यास लव सिंह नामक कान्ट्रैक्ट किलर की कहानी कहता है जिसकी जिंदगी में बीस साल जोया वापिस आ जाती है। वही जोया जिसे उसने कभी बेइंतिहा चाहा था। अब उसे उसी जोया के किसी करीबी का कत्ल करना था। क्या लव सिंह ऐसा कर पाया? 

यह उपन्यास तीन भागों में बंटा हुआ है। पहला भाग लव सिंह की कहानी कहता है, दूसरा भाग लव सिंह के शिकार जमशेद वाडिया की कहानी कहता है और तीसरा भाग जोया की कहानी कहता है। उपन्यास का पहला और दूसरा भाग रोचक हैं वही तीसरे भाग में कुछ ऐसी चीजें भी हैं जिनके विषय में पहले और दूसरे भाग से अंदाजा लग जाता है और इस कारण वह रोचकता नहीं रह पाती है। उपन्यास एक बार पढ़ा जा सकता है। 

उपन्यास की विस्तृत समीक्षा:

पुस्तक लिंक: अमेज़न


कभी कट्टी - कभी बट्टी 

समीक्षा: कभी कट्टी-कभी बट्टी


कभी कट्टी कभी बट्टी लेखिका दीप्ति मित्तल का लघु-उपन्यास है। यह उनके प्रसिद्ध लघु-उपन्यास ओए मास्टर के लौंडे का दूसरा भाग है। जहाँ ओये मास्टर के लौंडे में लेखिका ने दीपेश और हरदीप की आठवीं कक्षा की मस्ती का ब्यौरा दिया था वहीं इस कभी कट्टी कभी बट्टी में इन दोनों के साथ नवी कक्षा में क्या होता है यह दर्शाया है। किताब दीपेश के जीवन के रोचक किस्सों का संकलन सी लगती है। आपको 80 90 के दशक में जाकर ले जाती है। हाँ, अगर कहानी में कोई बड़ा आर्क होता तो अच्छा रहता। कहानी पाठक का भरपूर मनोरंजन करती है। अगर नहीं पढ़ी है तो एक बार पढिए। दीपेश और उसके दोस्तों की हरकतें आपके चेहरे पर मुस्कान ले आएंगी। 

पुस्तक लिंक: अमेज़न
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तो ये थी वह रचनाएँ जो कि सितंबर के माह में मैंने पढ़ी। क्या आपने इन रचनाओं में से किसी को पढ़ा है? अगर हाँ, तो उनके विषय में अपनी राय से मुझे अवगत करवाइएगा। 

आपने सितंबर में क्या पढ़ा? साझा करना न भूलिएगा। 



2 टिप्पणियाँ

आपकी टिपण्णियाँ मुझे और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करेंगी इसलिए हो सके तो पोस्ट के ऊपर अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।

  1. बेहतरीन जानकारी ।बुक्स से संबंधित आपकी पोस्ट की प्रतीक्षा सदैव रहती है ।

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    1. पोस्ट आपको पसंद आयी यह जानकर अच्छा लगा। हार्दिक आभार मैम।

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