अगस्त 2021 में पढ़ी गई रचनाएँ

अगस्त का महीना भी गुजर चुका है। बारिश जो जुलाई अगस्त शुरू हुई थी वो अभी तक जारी है। मेरा पढ़ना भी जारी है। पिछले माह में मैंने आपको जून जुलाई में पढ़ी गयी रचनाओं के विषय में बताया था वह पोस्ट काफी बढ़ी हो गयी थी। तो इस बार मैंने सोचा कि माहवार ब्यौरा आपके साथ साझा करता रहूँ। ऐसे में पोस्ट भी सीमित रहेगी और सच बताऊँ तो उस पोस्ट को लिखने में मेरी मेहनत भी बचेगी। वरना उतनी बड़ी पोस्ट लिखने में काफी मेहनत लग जाती है। 


खैर, वापिस अगस्त के महीने में पढ़ी गयी रचनाओं में आयें तो अगस्त के माह में मैंने दस रचनाएँ पढ़ी हैं।  वहीं एक और बात इस बार अलग रही और वह यह कि इस बार हार्डकॉपी से ज्यादा ई-बुक पढ़ी। ऐसा शायद काफी महीनों में पहली बार ही मेरे साथ हो रहा होगा। इन रचनाओं में अंग्रेजी भाषा की दो रचनाएं हैं और आठ रचनाएँ हिंदी भाषा की हैं। इन रचनाओं में चार उपन्यास, चार कॉमिक बुक, एक कहानी और एक कहानी संग्रह शामिल है। हाँ, जून-जुलाई की तरह ही इनमें कथेतर रचना नहीं है। सितंबर में इस तरफ मेरा फोकस रहेगा। चलिए अब समय व्यर्थ ने करते हुए सीधे रचनाओं पर आते हैं।
 
अगस्त 2021 में पढ़ी गयी किताबें | Books Read in August 2021
अगस्त 2021 में पढ़ी गयी किताबें 


मर्डर इन द मोनास्टेरी   - बरुन चन्दा 

Muder In the Monastery - Barun Chanda


अगस्त में सबसे पहली रचना जो मैंने पढ़कर खत्म की थी वो बरुन चंदा का उपन्यास मर्डर इन मोनास्टरी है।  यह एक रहस्यकथा है। बरुन चन्दा  बांग्ला फिल्मों के ऐक्टर हैं। कुछ समय से बांग्ला फिल्में देखने का चस्का लगा तो इनकी अदाकारी ने मुझे आकर्षित किया। विकिपिडिया में इनके विषय में ज्यादा जानकारी जुटाने गया तो यह सुखद बात पता चली की बरुन एक उपन्यासकार हैं और अब तक दो उपन्यास लिखे चुके हैं। यह उपन्यास बांग्ला और अंग्रेजी में प्रकाशित हुए थे। वहीं जब पता चला कि उपन्यास रहस्यकथाएँ हैं तो मैं इनमें से एक पढ़ने का लोभ संवरण नहीं कर पाया। मर्डर इन द मोनास्टेरी जैसे नाम से ही जाहिरर है एक बौद्ध मठ में हुए कत्ल की कहानी है।दारजेलिंग की खूबसूरत माहौल में बसाई गयी यह कथा अंत तक आपका मनोरंजन करती है। उपन्यास का नायक अविनाश रॉय है जो पचास वर्षीय प्राइवेट डिटेक्टिव है और छुट्टियाँ मनाने डेंगजियांग मठ आया रहता है। यहाँ वह एक दुर्लभ पांडुलिपि और एक कत्ल के मामले में ऐसे उलझ जाता है कि उसकी जान पर बन आती है। उपन्यास रोचक है और लेखक ने इसमें काफी संदिग्ध किरदार रखकर उपन्यास के रहस्य को अंत तक बरकरार रखा है। उपन्यास मुझे पसंद आया।

 

किताब लिंक: अमेज़न 



स्वीट मर्डर - तन्वी अठावले 

Sweet Murder - Tanvi Athavale


स्वीट मर्डर तन्वी अठावले की कहानी है। यह कहानी मैंने जगरनॉट ऐप्लकैशन पर पढ़ी थी। इस ऐप्लकैशन पर भी मैं गाहे बगाहे चीजें पढ़ता रहता हूँ। कहानी एक डार्क कॉमेडी है जिसके केंद्र में एक भ्रष्ट सरकारी अफसर का परिवार है। 

सीता राम चौधरी एक भ्रष्ट सरकारी अफसर है। मालती सीताराम की पत्नी है और उसका भोला बाबा पर अगाध विश्वास है। जब भोला बाबा उसे बताते हैं कि अगले एक हफ्ते में उसके पति के हाथों मालती के किसी चाहने वाले का कत्ल होगा तो उसके पाँव तले जमीन खिसक जाती है। वह अपने पति द्वारा होने वाले इस कत्ल को किस तरह रोकती है और इसके चलते क्या हास्यसपद परिस्थितयाँ बन जाती है यही कहानी बनती है। लेखिका ने हास्य का सहारा लेकर हमारे भ्रष्ट सरकारी तंत्र पर टिप्पणी की है जो कि मुझे अच्छी लगी। कहानी एक बार पढ़ी जा सकती है।

कहानी की विस्तृत समीक्षा:

समीक्षा: स्वीट मर्डर


पुस्तक लिंक: जगरनॉट



मौत की दस्तक - संतोष पाठक


मौत की दस्तक - संतोष पाठक


अगस्त में पढ़ी जाने वाली अगली रचना संतोष पाठक द्वारा लिखा गया उपन्यास मौत की दस्तक था। यह आशीष गौतम शृंखला का दूसरा उपन्यास है। उपन्यास की शुरुआत आशीष को आए एक फोन कॉल से होती है जो आगे जाकर कई कत्लों के सिलसिले में तब्दील हो जाती है। यह कत्ल क्यों हो रहे हैं और इनके पीछे कौन शामिल है यह उपन्यास पढ़कर ही जाना जा सकता है। 

उपन्यास रोचक है और अंत तक आपको बांधकर रखता है। संतोष पाठक जी ने कुछ ही समय में अपना एक वृहद पाठक वर्ग खड़ा कर दिया है और ऐसा वो कैसे कर पाएँ हैं यह उपन्यास उसका एक अच्छा उदाहरण है। रहस्यकथाएँ आपको पसंद हैं तो एक बार इसे जरूर पढ़ें। 

उपन्यास की विस्तृत समीक्षा:

समीक्षा: मौत की दस्तक


पुस्तक लिंक: अमेज़न



विराट 8 

समीक्षा: विराट 8


विराट 8 विराट शृंखला का आठवाँ कॉमिक बुक है। इस कॉमिक बुक में कहानी विराट 7 से आगे बढ़ती है। विराट 7 के अंत में पाठकों ने देखा था कि विराट ने अपने दोस्त नटवर और दुर्जन सिंह को कालभैरव की कैद से छुड़ा दिया था। अब वह तीनों प्रचण्डदेव के तिलस्म में यशोधरा और राजनर्तकी को ढूँढने निकल पड़े थे। प्रचण्डदेव इस तिकड़ी को रोकने के लिये अब क्या चाल चलता है यही इस कॉमिक का कथानक बनता है। कॉमिक शृंखला की अन्य कॉमिक बुक्स की तरह रोचक है और आपका मनोरंजन करने में सफल होती है। 

कॉमिक बुक के ऊपर मेरे विस्तृत विचार आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:

समीक्षा: विराट



तीन रन का सौदा 

समीक्षा: तीन रन का सौदा



तीन रन का सौदा क्रिकेट की पृष्ठभूमि पर लिखी गयी कॉमिक बुक है। खेल की दुनिया का एक स्याह पहलू यह पाठक के समक्ष प्रस्तुत करती है। वहीं यह सीख भी पाठकों को दे जाती है कि हमारे हाथ में केवल मेहनत करना ही होता है और मेहनत करनी हमे कभी नहीं छोड़नी चाहिए। 


कॉमिक बुक के ऊपर मेरे विस्तृत विचार आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:


कॉमिक बुक लिंक: कल्चर पॉपकॉर्न



वाईपर - गोपाल शर्मा

समीक्षा: वाईपर - गोपाल शर्मा


अजय पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित वाईपर लेखक गोपाल शर्मा का लिखा हुआ उपन्यास है। यह इस शृंखला का पहला उपन्यास है। एक नेता के ब्लैकमेल से शुरू हुये इस उपन्यास का कथानक लंदन काश्मीर और पाकिस्तान में घटित होता है। ड्रग्स का युवाओं पर असर और काश्मीर के आंतकवाद के चहुँ ओर इसका ताना बाना बुना गया है।  

वाईपर का कान्सेप्ट मुझे पसंद आया है। इस किरदार में काफी संभावनायें हैं। उपन्यास मुझे पसंद आया। उपन्यास एक पुराने उपन्यास का रीप्रिंट है तो पढ़ते हुए इसका अहसास होता है।  अगर आप इसे एक रीप्रिन्ट के तौर पर पढ़ते हैं तो इसका ज्यादा लुत्फ उठा पाएंगे। 


किताब की विस्तृत समीक्षा निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती है:



किताब लिंक: अमेज़न



विराट 9 

समीक्षा: विराट 9


विराट 9 विराट शृंखला का आखिरी कॉमिक बुक है। इस कॉमिक बुक में विराट का टकराव प्रचण्डदेव से होता है। पर यह टकराव होना इतना आसान नहीं है। विराट को प्रचण्डदेव से टकराने से पहले छः तिलस्मी दरवाजे पार करने होंगे। यह कौन से तिलस्में दरवाजे हैं और विराट इनसे कैसे पार पाता है यही कॉमिक का कथानक बनता है। 

कॉमिक बुक वैसे तो अच्छा बन पड़ा है लेकिन मुझे लगता है तिलस्मी दरवाजे और रोमांचक हो सकते थे। वहीं कुछ बातें कॉमिक में ऐसी रह गयी थी जिन्हे कुछ एक्स्ट्रा पृष्ठ जोड़कर बताया जा सकता था। हाँ, यहाँ मैं ये जरूर कहना चाहूँगा कि यह शृंखला यहीं पर राज ने रोक दी थी। हो सकता है उनका आगे कुछ और करने का विचार रहा हो लेकिन यह नौ कॉमिक बुक की शृंखला मेरी पसंदीदा शृंखला में शामिल हो चुकी है। 


कॉमिक बुक के ऊपर मेरे विस्तृत विचार आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:

समीक्षा: विराट




नारीपना -मोहित शर्मा 'जहन'

समीक्षा: नारीपना


नारीपना मोहित शर्मा जहन का एक रचना संग्रह है। इस संग्रह में उनकी कहानियों, लघु-कथाओं और कविताओं को संकलित किया गया है। नारीपना में मोहित शर्मा की ग्यारह रचनाओं को संकलित किया गया है। इन रचनाओं में दो कहानियाँ , सात लघु-कथाएँ और दो कविताएँ शामिल हैं।

अपनी रचनाओं के माध्यम से लेखक ने समाज के विभिन्न मुद्दों पर बात करने की कोशिश की है। सभी रचनाएँ पठनीय हैं। 


नारीपना की रचनाओं के प्रति मेरी विस्तृत टिप्पणी निम्न लिंक पर:


किताब लिंक: गूगल बुक्स


बाँकेलाल और कलियुग 

समीक्षा: बाँकेलाल और कलियुग


बाँकेलाल अपनी हरकतों के वजह से किसी ने किसी परेशानी में पड़ता रहता है। इस बार भी उसने अपनी जान परेशानी में डाल दी थी और अपनी जान बचाने का एक ही तरीका उसके पास था। उसे भविष्य में जाकर ऐसे मानवों के बाल लाने थे जो कि मानवता की भलाई के लिये कार्य कर रहे थे। अब वह यह कार्य कैसे करता है और इसमें उसे कैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है यही उपन्यास का कथानक बनता है। बाँकेलाल और कलियुग  एक हास्य कॉमिक है और हास्य इसमें मौजूद है। हाँ चूँकि इसमें पाँच अन्य सुपर हीरो भी मौजूद हैं तो कथानक काफी वृहद बन गया है। कॉमिक बुक 92 पृष्ठ का है और तब भी ऐसा लगता है जैसे अंत जल्दबाजी में किया गया है। फिर भी कॉमिक बुक एक बार पढ़ा जा सकता है। 

कॉमिक बुक के ऊपर मेरे विस्तृत विचार आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
समीक्षा: बाँकेलाल और कलियुग



एक ही अंजाम - सुरेन्द्र मोहन पाठक

समीक्षा: एक ही अंजाम - सुरेन्द्र मोहन पाठक


एक ही अंजाम लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक का लिखी हुई रोमांचकथा है। दो बड़े उद्योगपतियों के बीच होने वाली जंग में कैसे एक व्यक्ति अपनी बुरी किस्मत के चलत फँस जाता है यही उपन्यास का कथानक बनता है। मुंबई, गोवा और नेपाल की जमीन पर घटित होती घटनाएँ आपका भरपूर मनोरंजन करती हैं। वहीं ऊपर से सफेदपोश नजर आने वाले कॉर्पोरेट के अपराध और पुलिस से गठजोड़ होता है यही भी उपन्यास में दिखाई देता है। उपन्यास मुझे पसंद आया। 


उपन्यास के प्रति मेरी विस्तृत राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:

किताब लिंक: अमेज़न


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तो यह थी वो रचनाएँ जो मैंने अगस्त में पढ़ीं? आपने अगस्त में क्या क्या पढ़ा? मुझसे जरूर साझा करिएगा। 



4 टिप्पणियाँ

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  1. आपने पाठक साहब का अंडर-रेटेड उपन्यास 'एक ही अंजाम' पढ़ा, जानकर ख़ुशी हुई विकास जी। यह पाठक साहब के बेहतरीन लेकिन बहुत कम चर्चित उपन्यासों में से एक है। आपने 'गोपाल शर्मा' का एक रिप्रिंट पढ़ा, यह भी अच्छी बात है। एक ज़माने में गोपाल शर्मा का नाम लुगदी साहित्य का जाना-माना नाम हुआ करता था। लेकिन जिस बात ने मुझे आपकी ख़ास तारीफ़ करने पर मजबूर कर दिया है, वह है आपके द्वारा बांग्ला अभिनेता बरून चंदा द्वारा रचित उपन्यास का पठन। बरून चंदा बांग्ला के तो जाने-माने अभिनेता हैं ही, उन्होंने रणवीर सिंह और सोनाक्षी सिन्हा अभिनीत उत्कृष्ट हिंदी फ़िल्म 'लुटेरा' (2013) में भी (नायिका के पिता की भूमिका में) सराहनीय अभिनय किया था। आपने मुझे यह नवीन जानकारी दी कि वे लेखक भी हैं और वो भी रहस्यकथा लेखक। उनका यह उपन्यास तो पढ़ना ही होगा। बहुत-बहुत आभार आपका। ऐसी पठन-पाठन की आदत वास्तविक अर्थों में आज बहुत कम लोगों में रह गई है। आपने आज भी इसे बनाए रखा है, यह बहुत बड़ी बात है।

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    1. आभार सर। बरुन जी की मैंने बांग्ला में ऐसी काफी फिल्में देखी है जिनमें वह छोटे छोटे रोल में भी अपनी छाप छोड़ जाते हैं। ऐसे में मेरे लिए उनके विषय में यह जानना अच्छा अनुभव रहा था। अच्छा लगा ये देखकर कि यह जानकारी आपको पसंद आई। पुस्तक के प्रति आपकी राय का इंतजार रहेगा।

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  2. अरे वाह!नैनवाल जी इतनी भागदौड़ भरी दिनचर्या में भी आपने एक महीने में दस-दस किताबें पढ़ डाली!...हैरान हूँ आपके शौक और सिद्धत पे !
    कमाल है...।
    बहुत बहुत नमन आपको।

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    1. जी आभार मैम। इसमें हैरान होने की बात नहीं है। मेरी कोशिश रहती है कि दिन में पंद्रह मिनट से आधा घंटा पढ़ने के शौक को दूँ और इतने में बीस से पचास पृष्ठ तक आसानी से पढे जा सकते हैं जो महीने में जोड़े तो दस किताबें बना ही लेते हैं। टीवी और फोन पर बिताने वाला वक्त मैंने काफी कम कर दिया है।

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