प्रेम? | हिन्दी कविता

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प्रेम 
कभी किया था 
तुमने मुझसे? 
या मैंने ही तुमसे ?

या फिर था  

 प्रेम 
 तुम्हें मेरे होने के ख्याल से 
और मुझे तुम्हारे होने के ख्याल से 

ख्याल
जो असल में थे खाँचे
बनाये थे, 
जो हमने एक दूसरे के लिए
अपने अपने दिलो में 

और अब 
बैठाते रहते हैं एक दूसरे को
उन खांचों में हम 
फिर 
जब पाते हैं अलग
एक दूसरे को उन  खाँचे से
तो कहते हैं
बहुत बदल गये हो तुम
वो था कोई 
जिसे किया था प्रेम
कभी हमने
और 
अब खो गया है वो 

लेकिन सच
बताओ?
क्या सचमुच खो गये हैं हम ?
क्या सचमुच बदल गये हैं हम?
या फिर 
अब ही जान पाएं  हैं
असल में 
एक दूसरे को 

-विकास नैनवाल 'अंजान'

©विकास नैनवाल 'अंजान'

26 टिप्पणियाँ

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  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 05-03-2021) को
    "ख़ुदा हो जाते हैं लोग" (चर्चा अंक- 3996)
    पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद.


    "मीना भारद्वाज"

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा अंक में मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार, मैम।

      हटाएं
  2. जब हम प्रेम में होते है तो किसी को जानना ही नहीं चाहते पर जब प्रेम को निभाना होता है तो कमियाँ नजर आने लगती है।

    बेहतरीन अभिव्यक्ति,सादर नमन आपको

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रेम रस में डूबी सुंदर रचना, आखिरी पंक्तियां दिल को छू गईं..

    जवाब देंहटाएं
  4. यक्ष प्रश्न कर दिया आपने तो . सुन्दर भाव

    जवाब देंहटाएं
  5. नमस्कार जी कैसे है आप
    आज बहुत दिनों बाद आपकी कवितायें पढ़ी बहुत ही सुन्दरता से बयाँ करते है आप

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी अच्छा हूँ सर.. आप कैसे हैं..... कविता आपको अच्छी लगी यह जानकर अच्छा लगा....

      हटाएं

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