फोटो निबन्ध: एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे




तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे 
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे 

क़ैसर-उल जाफ़री का यह शेर राकेश शर्मा पर एकदम फिट बैठता है। अपनी घुमक्कड़ियों के दौरान राकेश कई ऐसी खूबसूरत शामें अपने कैमरे के माध्यम से चुरा कर ले आते हैं कि देखने वाले के मुँह से वाह अपने आप निकल पड़ती है।

राकेश भाई को मैं जितना जानता हूँ उसके हिसाब से कह सकता हूँ कि उन्हें घुम्म्कड़ी में जिस चीज का शौक सबसे ज्यादा है वो उगते सूरज और ढलते सूरज अपने कैमरे में कैद करना रहा है।  उगते सूरज को अपने कैमरे में कैद करने के लिए वह सुबह सुबह उठ जाते हैं और ढलते हुए सूरज के कारण जो आसमान में खूबसूरती विद्यमान हो जाती है उसे कैद करने के लिए घुमक्कड़ी को विराम देकर इन मनभावन नज़रों को कैद करने लगते हैं।  मैंने खुद उनके साथ कई यात्राएँ की है (कल्सुबाई, कौसानी, चित्तोड़गढ़-कुम्भलगढ़, गिरनार-सोमनाथ-गिर, झाँसी-ओरछा, जैसलमेर-जोधपुर, माउंट आबू इत्यादि) तो इन सब क्रियाकलापों का प्रत्यक्ष दर्शी रहा हूँ। कई बार तो जल्दी न उठने के लिए दिए जा रहे तानों को भी भोगा है क्योंकि वह सुबह उठकर फोटो खींच आते हैं और मैं तब तक बिस्तर पर लेटा ही रहता हूँ।

आज का फोटो-निबन्ध उनके घुमक्कड़ी के इसी पहलू को उजागर करता है। आज 'दुई-बात' आपके समक्ष घुमक्कड़ी के दौरान देखे गये शामों के ऐसे नज़ारे लेकर आ रहा है जिसने राकेश भाई को ठिठकने पर मजबूर कर दिया था और वो उन्हें चुराकर अपने साथ ले आये। 

राकेश भाई का पूर्ण परिचय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
राकेश शर्मा

उनके सोशल मीडिया हैंडल निम्न हैं:
फेसबुक | इंस्टाग्राम | यूट्यूब

उम्मीद है उनका यह नया फोटो निबन्ध आपको पसंद आयेगा। 

an evening in an indian village
गाँव की एक खूबसूरत शाम

गोरखपुर के किसी होटल की एक शाम

A view near Rajasthan Pushkar
राजस्थान पुष्कर के नजदीक की एक शाम

A view of trishool Mountain
ढलते सूरज की रोशनी से रोशन होता त्रिशूल पर्वत

Desert National Park, Jaisalmer
डेजर्ट नेशनल पार्क, जैसलमेर की एक शाम

खुरी, जैसलमेर
खुरी, जैसलमेर

khuri, jaisalmer
खुरी, जैसलमेर की एक शाम

Khuri, Jaislmer
खुरी, जैसलमेर 

desert camp, khuri
डेजर्ट कैंप, खुरी

गणेशगुळे की एक शाम
गणेशगुळे की एक शाम

मालवण की एक शाम
मालवण की एक शाम

तो यह थी   राकेश भाई द्वारा  भारत के विभिन्न प्रदेशों से चुराई गयीं कुछ शामें। फोटो-निबन्ध कैसा लगा हमें जरूर बताइयेगा। ऐसे ही और बेहतरीन तस्वीरों के लिए आप राकेश भाई को उनके सोशल मीडिया पर फॉलो कर सकते हैं।

अब इजाजत दीजिये। 

दुईबात में मौजूद अन्य फोटो निबन्ध निम्न लिंक पर जाकर देखे जा सकते हैं:
फोटो निबन्ध

© विकास नैनवाल 'अंजान', तस्वीरों पर कॉपीराईट राकेश शर्मा के हैं

24 टिप्पणियाँ

आपकी टिपण्णियाँ मुझे और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करेंगी इसलिए हो सके तो पोस्ट के ऊपर अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।

  1. भाई इनकी फोटॉग्राफ़ी बेहद उम्दा है....आपकी और मेरी हालत भी same है आराम से उठने वाली...

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (25-10-2020) को    "विजयादशमी विजय का, है पावन त्यौहार"  (चर्चा अंक- 3865)     पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --   
    विजयादशमी (दशहरा) की 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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    उत्तर
    1. चर्चाअंक में मेरी प्रविष्टि को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार सर।

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  3. सब तस्वीरें बहुत खूबसूरत और दिल मोह लेने वाली हैं।
    हार्दिक धन्यवाद।

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    उत्तर
    1. फोटो निबन्ध आपको पसंद आया यह देखकर अच्छा लगा...आभार....

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  4. बहुत ही खूबसूरत तस्वीरें हैं। राकेश भाई बहुत उम्दा फोटोग्राफर हैं।

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  5. बहुत ही सुन्दर फोटोनिबन्ध...।
    राकेश जी की फोटोग्राफी लाजवाब है।

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    उत्तर
    1. जी आभार मैम। आपने सही कहा उनकी फोटोग्राफी वाकई बेहतरीन है।

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  6. अतुलनीय और लाजवाब फोटोग्राफी और उतना ही सुन्दर परिचय.

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  7. राकेश भाई बहुत प्रतिभाशाली है। प्रकृति से उनका प्रेम अतुलनीय है । काश मैं भी राकेश भाई के पीछे बैठ कर इन जगहों पर गया होता ।

    बेहतरीन फोटोज राकेश भाई

    बेहतरीन आलेख विकास भाई

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    उत्तर
    1. जी सही कहा। उनकी खींची हुई फोटो मन मोह लेती हैं।

      हटाएं

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