आ रहे हैं फेलूदा

फेलूदा श्रृंखला के कुछ उपन्यास

कल दैनिक भास्कर में छपी एक खबर ने यकायक ही मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। यह खबर केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्द्धन के एक ब्यान पर आधारित थी। संडे संवाद में उन्होंने फेलूदा के आगमन की बात की थी। 

यह मेरे लिए आश्चर्य की बात थी क्योंकि मैं भी एक फेलूदा को जानता हूँ। यह फेलूदा बांग्ला फिल्मकार और कथाकार सत्यजित राय द्वारा रचा गया सबसे मकबूल किरदार है। प्रोदोष रंजन मित्तर एक सत्ताईस अट्ठाईस साल का तेज तरार युवा है जो पेशे से जासूसी करता है।  वह अपने पेशे में टॉप पर है और इसलिए कई लोग उसके पास अपने मामले सुलझाने के लिए लाते रहते हैं। वह अक्सर अपने मामले में अपने छोटे चचेरे भाई तपेश रंजन मित्तर और लेखक दोस्त लाल मोहन गाँगुली उर्फ़ जटायू  को साथ लेकर चलता है। वह तपेश को तोपसे कहता है और वहीं चूँकि प्रोदोष का घर का नाम फेलू है तो तोपसे उसे फेलूदा यानी फेलू भाई कह कर बुलाता है। यहीं से फेलूदा नाम प्रसिद्ध भी हुआ है।

सत्यजित राय ने फेलूदा को केंद्र में रखकर लगभग 17 किशोर उपन्यास और 18  कहानियाँ लिखी हैं जो कि बांग्ला भाषियों में ही नहीं बल्कि हिन्दी भाषियों में भी काफी प्रसिद्ध हुई हैं। राजा की अँगूठी, जय बाबा फेलूनाथ, सोने का किला, कैलास में गोलमाल, अटैची रहस्य उनकी इस श्रृंखला में लिखी गयी कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। चूँकि फेलूदा और उनके साथियों को जासूसी के चलते भारत के विभिन्न जगहों पर जाना पड़ता है तो पाठक फेलूदा और उनके साथियों के साथ इन जगहों का भ्रमण भी कर लेता है। वहीं चूँकि फेलूदा खाने के शौक़ीन भी हैं तो अलग अलग व्यंजनों का पता भी पाठक को मिलता है।


फेलूदा और उनके साथियों से मिलना चूँकि मुझे भी भाता है तो मैं भी गाहे बगाहे उनसे मिलने के लिए उपन्यास पढ़ता रहता हूँ।

क्या आपने इन्हें पढ़ा है? अगर नहीं तो आपको इन्हें जरूर एक बार पढ़ना चाहिए क्योंकि यह रचनाएं काफी मनोरंजक होती हैं और जटायू से मिलना तो और रोचक होता है। जटायू कौन है यह आप रचनाएँ पढ़ कर ही जानियेगा।

तो फेलूदा को अख़बार के फ्रंट पृष्ठ पर मौजूद खबर में देखना एक सुखद आश्चर्य था। लेकिन एक सवाल भी मन में था कि फेलूदा के आगमन की जानकारी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री क्यों दे रहे थे? पूरी खबर पढ़ी तो पता चला कि कोरोना संक्रमण के लिए एक नई स्ट्रिप विकसित की गयी है जो कि कोरोना संक्रमण की पहचान दो घंटे की भीतर ही कर देगा और इस स्ट्रिप को सत्यजित राय के इस आइकोनिक किरदार के नाम पर फेलूदा कहा  गया है। । अब तक इसके लिए हमें काफी समय लगता था जो कि जिस व्यक्ति की जाँच चल रही थी उसके लिए बहुत ही कष्टप्रद स्थिति रहती होगी। वह इस दौरान चिंतित ही रहता होगा। अब बात जल्दी साफ हो जाएगी और इस कारण उसे उचित स्वास्थ्य सेवा भी मिल जाएगी। स्वास्थ्य कर्मियों को भी इससे मदद मिले  क्योंकि टेस्टिंग करने वाले भी ओवरलोड में हैं और जो लोगों के बीच काम कर रहे हैं उन्हें भी खुद को जाँचना आसान होगा।

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आ रहे हैं फेलूदा
आ रहे हैं फेलूदा

मेरा हमेशा से मानना रहा है कि साहित्य समाज पर असर डालता है और मनोरंजक साहित्य तो कई व्यक्तियों को प्रभावित करता है। जब गाहे बगाहे इसका प्रमाण मिलता है तो अच्छा लगता है। 

क्या आपको कोई घटना पता है जहाँ साहित्य ने इस तरह का कोई प्रभाव डाला हो? पता हो तो बताइएगा।

अब देखना यह है कि जिस प्रकार फेलूदा उर्फ़ प्रोदोष रंजन मित्तर अपने पास आये सभी सभी केसेस को सुलझाने की कूवत रखते थे उसी तरह क्या यह स्ट्रिप भी उतनी ही कारगार होगी जितना कि बताया जा रहा है। उम्मीद तो है क्योंकि सारी परीक्षाएं ये फेलूदा भी पास कर ही चुके हैं।

जब तक ये फेलूदा आते हैं तब तक मेरी सलाह है आप एक बार जासूस फेलूदा से मिल ही आइये क्योंकि मैं नहीं चाहूँगा कि आपकी इस नये फेलूदा से मिलने की नौबत आये। 

मास्क पहनिए और सभी जरूरी बचाव कीजिये। देखने में आ रहा है लोग इस बीमारी को हल्के में लेने लग गये हैं तो आप ऐसी गलती नहीं कीजिये क्योंकि फेलूदा केवल संक्रमण की जानकारी देंगे इलाज अभी उनके हाथ में भी नहीं है।

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फेलूदा श्रृंखला के जो रचनाएं मैंने पढ़ीं हैं उनके विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
फेलूदा श्रृंखला 

फेलूदा श्रृंखला के उपन्यास आप लेना चाहें तो निम्न लिंक पर जाकर खरीद सकते हैं:
फेलूदा हिन्दी 
Complete Adventures of Feluda Vol 1
Complete Adventures of Feluda Vol 2

© विकास नैनवाल 'अंजान'

12 टिप्पणियाँ

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  1. बहुत अच्छे🙏😀👍बढ़िया जानकारी

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (14-10-2020) को   "रास्ता अपना सरल कैसे करूँ"   (चर्चा अंक 3854)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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    उत्तर
    1. मेरी रचना को चर्चाअंक में शामिल करने के लिए आभार सर।

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  3. फेलूदा जासूस!!!!
    बहुत ही रोचक और सुन्दर जानकारी।

    जवाब देंहटाएं

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