असफलता का मतलब- जीवन का अन्त नहीं है ! - योगेश मित्तल



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सफलताएं और असफलताएं जीवन का हिस्सा हैं। जब हम कोई कार्य करते हैं तो यह बात तय होती है कि या तो हम उसमें सफल होंगे या असफल। जहाँ सफलता हमें खुशी देती है और हमें ऊर्जा से भर देती है,  वहीं असफलता हमें दुःख और अवसाद के गहरी अँधेरी खाई में भी ढकेल देती है। 

कई बार देखा गया है कि असफलता के कारण लोग इतने निराश हो जाते हैं कि वह आत्महत्या तक कर देते हैं। 

लेकिन क्या यह सही है? 

जीवन के अलग अलग पड़ावों में कई चीजें ऐसी आती हैं जो कि उस वक्त तो हमें बहुत महत्वपूर्ण लगती हैं लेकिन भविष्य में जब हम उनके विषय में सोचते हैं तो पाते हैं कि ऐसा बिल्कुल नहीं है और वही चीजें हमें महत्वहीन या कम महत्वपूर्ण लगने लगती हैं। ऐसे में जीवन कों इन चीजों के लिए न्यौछावर करना तर्कपूर्ण नहीं है। कोई भी परेशानी इतनी बड़ी नहीं है जिसका हल न हो सके। कोई भी परेशानी ऐसी नहीं है जिसके चलते जीवन का त्याग करना वाजिब कदम हो। जीवन अमूल्य है। यह सम्भावनाओं से भरा हुआ। जब हम जीवन का अंत करते हैं तो इन असंख्य सम्भावनाओं को भी नष्ट कर देते हैं।

जीवन के मूल्य और इसकी संभावनाओं  को रेखांकित करते हुए योगेश मित्तल जी ने निम्न लेख लिखा है। आप भी इस लेख को पढ़िए। - विकास नैनवाल 'अंजान'

योगेश मित्तल
जीवन में कौन असफल नहीं होता! हर कोई जीवन में कभी न कभी असफल अवश्य होता है, किन्तु साधन-सुविधा एवं समृद्धि वाले लोगों की असफलता अक्सर नज़र नहीं आती या फिर देर में नज़र आती है!

इसका ताज़ातरीन उदाहरण विजय माल्या है! जिसकी असफलता ने उसे भगोड़ा बनने पर  मज़बूर कर दिया!

दूसरा उदाहरण सहारा इण्डिया के फाउन्डर सुब्रोतो रॉय- जिनके नाम के साथ-सहारा इण्डिया परिवार, सहारा ग्रुप, राष्ट्रीय सहारा अखबार, सहारा टीवी चैनल्स आदि कितने ही नाम जुड़े हैं! एक समय - वह एक सुपरहिट नाम थे! बिज़नेस टाइकून थे! मार्च 2014 से ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं! ध्यान रहे सुब्रोतो रॉय को 2004 में Times मैगज़ीन ने भारत में 'इण्डियन रेलवे' के बाद सबसे बड़ा नौकरीदाता  बताया था!

2012 में India Today मैगज़ीन ने सुब्रोतो रॉय को देश के दस सबसे प्रभावशाली बिजनेसमैन में से एक बताया था!

आशाराम बापू- जिसे दुनिया पूजती थी! जेल की सलाखें अब उनका घर बन गयीं है!

कुछ लोग अपने चरित्र के कारण असफल होते हैं! कुछ कर्मों के कारण! तो कुछ की असफलता में भाग्य की भूमिका बेहद जिम्मेदार हुआ करती है!

लेकिन असफलता का मतलब जीवन का अन्त नहीं है!

अमिताभ बच्चन महानायक कहलाते हैं! लेकिन उनके फ़िल्मी जीवन की शुरूआत भी अनेक असफलताओं और संघर्षों से भरी हुई रही है! यदि वह हिम्मत हार जाते तो क्या इस सदी का महानायक कहलाते!

उत्तमनगर की एक लड़की नवीं क्लास में फेल हो गयी! घर के लोगों के ताने, माँ-बाप की डाँट और सहेलियों द्वारा मज़ाक उड़ाया जाना उससे सहन नहीं हुआ! 

उसने कोई ज़हरीली चीज़ पी ली ! किन्तु माता-पिता की तत्परता और डॉक्टर्स की होशियारी ने उसकी जान बचा दी !

उसे सिलाई का शौक था !

आज वह दो बेहद खूबसूरत बच्चों की माँ है और उसने घर में ही सिलाई मशीन लगा रही है! घर के काम करते-करते भी वह रोज़ कई ब्लाउज और लेडीज सूट सिलकर महीने में पंद्रह से बीस हज़ार काम रही है! अगर अपनी असफलता पर की गयी मूर्खता के कारण वह मर जाती तो क्या वह इतने अच्छे  दिन देख पाती!

एक और लड़की का सच्चा किस्सा सुनिये !

उसे मेरे एक परिचित बेहद खूबसूरत लड़के से प्यार हो गया! पर उस के घरवालों को वह लड़का पसंद नहीं था ! उन्होंने उसका रिश्ता कहीं और कर दिया!

लड़की भाग कर लड़के के पास पहुँची और बोली कि वह उसे भगा कर ले जाये! वह उसके बिना ज़िंदा नहीं रह सकती!

लड़का फक्कड़ था! 

अभी वह कहीं नौकरी भी नहीं कर रहा था! उसके घर में भी स्थिति फटेहाल ही थी!

उसने लड़की को समझाया कि अभी हम भाग कर जाएंगे कहाँ ? ऐसा कर तू अभी शादी कर ले! मैं भी थोड़े पैसों का जुगाड़ करता हूँ! फिर एक दिन तू भी अपने हसबैंड के यहाँ से रुपया-पैसा जेवर इकट्ठा कर लेइयो! उसके बाद हम कहीं दूर भाग जाएंगे!

लड़के की ख़ूबसूरती और उसकी मीठी बातों की शिकार लड़की को अपने प्रेमी का यह आईडिया बहुत अच्छा लगा! उसने शादी कर ली!

जिससे उसकी शादी हुई-वह मिलिट्री में कैप्टेन था और खुशमिज़ाज़-मज़ाकिया बहुत बढ़िया इंसान था! उसके साथ लड़की को अपने शहर से दूर-दूर जाना पड़ा! 

कैप्टेन साहब के घर उसे इतनी सुख-सुविधाएं मिलीं कि अपने प्रेमी की याद आने पर भी वह उससे संपर्क  स्थापित नहीं कर सकी! और वह दो सुन्दर लड़कों तथा एक बेहद प्यारी लड़की की माँ बन गयी!

कई सालों बाद अपनी छोटी बहन की शादी के समय वह मायके गयी तो पुराने प्रेमी की याद आ गयी! तब वह रविवार के दिन चुपके से लड़के से मिलने पहुँची तो जानते हैं उसने क्या देखा ?

उसने देखा कि लड़के की शादी हो चुकी थी और वह दिन के बारह बजे भी नशे में धुत्त था और अपनी पत्नी को लात और घूसों से मार रहा था !

लड़की चुपचाप वहाँ से भाग गयी! शायद उसे मेरे अलावा किसी ने नहीं देखा!  

एक तीसरा सच्चा किस्सा सुनिये! शर्मा जी शेयर बाजार में पैसा लगाने का धन्धा करते थे! बाजार में वह लोगों से उधार पैसा लेकर भी लगा देते थे! लोगों को उन पर भरोसा था! लोग लाखों रुपयों का भी उन पर विश्वास करते थे! हर्षद मेहता  के समय उन्होंने शेयर में पैसा लगा कर  बहुत कमाया! पर जब दाँव उलटा पड़ा तो लोगों के लाखों रूपये भी गँवा बैठे!

शर्मा जी की तीन बेटियाँ थीं! शर्मा जी को लगा कि अब अपनी बेटियों को पढ़ाना-लिखाना और उनकि पालन-पोषण उनके बस की बात नहीं! 

उन्हें अपना भविष्य अन्धकारमय नज़र आया तो उन्होंने कलाई की नस काट ली! 

बेटियों की किस्मत और पड़ोसियों की सही समय पर की गयी मदद काम आई! 

शर्माजी बच गए! 

बचने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि वह कितनी बड़ी गलती करने  जा रहे थे!

शर्मा जी ने अपना मकान बेच दिया! लोगों का कर्ज़ा उतारा! खुद किराए के मकान में पहुँच - नए सिरे से जीवन संघर्ष शुरू किया! 

खुद नौकरी की! 

पत्नी ने भी साथ दिया ! 

बेटियों को पढ़ाना नहीं छोड़ा! 

आज तीनों बेटियाँ सरकारी महकमे में ऊँचे ओहदों पर हैं! एक छोटा सा ही सही, शर्मा जी ने अपना मकान भी बना लिया है! 

किसी भी असफलता का मतलब - जीवन का अंत नहीं है!

माता देवकी और वसुदेव ने कंस के कारागार में  अत्याचार सहते हुए वर्षों गुज़ार दिए! 

अगर माता देवकी कंस के अत्याचारों के आगे दम तोड़ देतीं तो कृष्ण-कन्हैया की एक भी कहानी आज आपको सुनने को न मिलती!

जब किसी भी असफलता से हार कर आप अपनी ज़िन्दगी का अन्त करते हैं- आत्महत्या करते हैं तो आप सिर्फ अपनी हत्या नहीं करते- अपनी आने वाली कई पीढ़ियों की हत्या कर देते हैं! 

ज़रा सोचिये! एक व्यक्ति - स्त्री या पुरुष - जो आत्महत्या करके मर जाता है, यदि वह नहीं मरता तो उसकी कोई सी सन्तान या उसकी किसी सन्तान की कोई सन्तान - देश का प्रधान मंत्री, राष्ट्रपति, महान लेखक, कलाकार या अन्य कोई सर्वोच्च हस्ती बन सकती थी! किन्तु आत्महत्या करके वह अपनी आने वाले पीढ़ी की महानतम हस्तियों की  भी हत्या कर बैठता है!

अपने साथ-साथ अपनी आने वाली पीढ़ियों की हत्या मत कीजिये! 

आत्महत्या मत कीजिये !  

असफलता का मतलब  - जीवन का अंत नहीं है!          

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6 टिप्पणियाँ

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  1. बहुत ही प्रेरक पोस्ट । हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं विकास जी ।

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  2. बहुत ही प्रेरणादायक आलेख। असफलता से जीवन का अंत करना मूर्खता ही है।

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    1. जी आभार मैम। सही कहा आपने सफलता-असफलता तो जीवन का हिस्सा मात्र हैं। जीवन उनसे ऊपर ही है।

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  3. बहुत ही सुन्दर प्रेरक लेख...असफलता तो सफलता की पहली सीढ़ी है।आत्महत्या एक मूर्खतापूर्ण अपराध है।

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