तनाव से बचें!! - योगेश मित्तल

आज की दौड़ती भागती जिंदगी में जहाँ व्यक्ति के पास चैन से दो बातें करने के लिए वक्त नहीं हैं और वह अपनी असीमित इच्छाओं की पूर्ती के लिए लगातार भागता चला जाता है, वहाँ उस व्यक्ति का तनाव से ग्रसित होना लाजमी ही है। इस तनाव के कारण ही व्यक्ति चिड़चिड़ा होता चला जाता है, उसके अंदर नकारात्मक खयाल आने लगते हैं और इसका खामियाजा उसे और उसके आस पास के लोगों को भुगतना पड़ता है। कई बार वह खुद को और अपने प्रेमी जनों को भी अपने इस तनाव के चलते नुक्सान पहुँचा देता है। कई बार तो व्यक्ति बिना किसी वजह के ही तनाव में रहने लगता है। छोटी छोटी चीजों के विषय में ज्यादा सोचते रहना भी व्यक्ति को तनावग्रस्त कर देता है।

हमे तनाव से बचना चाहिए और जितना हो सके हँसी ख़ुशी का माहौल बनाकर रखना चाहिए। योगेश मित्तल जी द्वारा लिखा गया निम्न लेख इसी बात को रेखांकित करता है। 

(यह लेख आप उनकी साईट 'से नो टू सुसाइड' पर भी प्रकाशित है। यहाँ पर यह लेख उनकी इजाजत से ही प्रकाशित किया जा रहा है।)


Image by Gerd Altmann from Pixabay


ज की हाई-फाई ज़िन्दगी में लोगों के पास वक्त कम है और काम बहुत ज्यादा है !

सवेरे उठते ही ज़िन्दगी की भाग-दौड़ शुरू हो जाती है ! जिन्हें चाय पीने की आदत है, चाय के बिना उन्हें प्रेशर ही नहीं बनता ! 

और प्रेशर नहीं बनता, लेकिन ऑफिस का वक्त हो जाता है तो ?

टेन्शन....!

ऑफिस के रास्ते में प्रेशर शुरू हो गया तो...?

टेन्शन....!

ऑफिस पहुँचने के साथ ही प्रेशर शुरू हो गया और बॉस सामने ही हों तो....?

टेन्शन....!

दोस्तों, यह  तो छोटी सी बानगी है - आज की लाइफ में टेन्शन के वज़ूद की !

टेन्शन यानी कि तनाव !

यह तनाव ही सारी मुसीबतों की जड़ है !

ज्यादातर आत्महत्याओं का कारण भी यही टेन्शन यानी कि तनाव है !

पढ़ाई का बोझ बर्दाश्त नहीं हुआ तो...!

एग्जाम की असफलता का दुःख सहन नहीं हुआ तो....!

दो दिन प्रेमी-प्रेमिका एक-दूसरे से नहीं मिले तो.....!

मम्मी या पापा ने डाँट लगा दी तो...!

टेन्शन और फिर गुस्सा - आज की पीढ़ी का सरदर्द यही है ! यही मुसीबत है !

जी हाँ, तनाव बहुत सारी मुसीबतों का जन्मदाता है ! तनाव से ही आप ब्लड प्रेशर जैसी घातक बीमारी को गले लगाते हैं ! ह्रदय रोगी बन जाते हैं ! आपके घर में किच-किच रहने लगती है ! तनाव गृह कलह का कारण बन  जाता है !

एक किस्सा सुनिये (यह किस्सा एक असल किस्से पर ही आधारित है जो कि लगभग तीस साल पहले दिल्ली के गांधी नगर इलाके में ही हुआ था।) -

कानपुर के नवाबगंज का बत्तीस-तैतींस वर्षीय एक व्यक्ति एक सुबह हार्ट अटैक से मर गया ! पहला हार्ट अटैक था ! वही जानलेवा बन गया ! वह खाने-पीने का शौक़ीन था ! शराब और मीट उसके लिए स्टेटस की चीज़ थीं ! प्रॉपर्टी डीलर था ! अंधाधुंध पैसा कमाया था और कमा रहा था ! पर मर गया ! बहुत जल्दी मर गया !

अभी उसकी शादी हुए दो साल ही हुए थे ! आठ-नौ महीने की लड़की का बाप था ! लड़की ने अभी पापा कहना भी शुरू नहीं किया था कि पापा मर गया !

आप कहेंगे -यह क्या किस्सा हुआ ? ऐसे किस्से तो रोज़ घटते ही रहते हैं !

पर किस्सा यह नहीं है जनाब, यह तो किस्से की शुरुआत है !

उस प्रॉपर्टी डीलर के पड़ोसी थे रमज़ान भाई और जमीला बेगम ! बड़ा सुखी परिवार था !

रमजान भाई की उम्र चवालीस साल थी ! अपने पड़ोसी की जवान मौत उन्होंने देखी थी ! उसकी माँ और बीवी का रोना बिलखना भी देखा था !

दिल में दहशत सी बैठ गयी ! कभी मेरे साथ भी ऐसा ना हो जाए ! मैं तो उससे बारह साल बड़ा हूँ ! शराब भी पीता हूँ ! गोश्त और मछली भी खाता हूँ ! जब वो हट्टा-कट्टा आदमी मर गया तो मुझे तो वैसे भी अक्सर ज़ुकाम रहता है !

बस जी, ठीक चलते-चलते गाड़ी फिसलने लगी ! रमजान भाई अक्सर यही सोचने लगे कि मैं भी कभी भी मर सकता हूँ !  अब काम करते-करते  भी दिल उचाट होने लगा ! अच्छे-खासे सेहतमन्द इन्सान को हर पल मरने के ख्वाब आने लगे !

रमज़ान भाई की अठारह और सोलह साल की दो बेटियां थीं ! एक बेटा था चौदह साल का !

जब भी रमज़ान भाई मरने की बात सोचते - उन्हें अपनी बीवी और बेटियों की चिन्ता होने लगती !

मेरे बाद क्या होगा ज़मीला का ? वह ना तो पढ़ी-लिखी है, ना उसे कोई काम आता है ! और दोनों बेटियों को भी मैंने स्कूल से निकाल, सिलाई-कढ़ाई और घर के कामों से ज्यादा कुछ सीखने नहीं दिया !

खुदा के करम से माँ-बेटियाँ तीनों खूबसूरत हैं ! अगर मैं मर गया तो गन्दी नज़रों वाले जरायम पेशा लोग, इन्हें कोठे पर बैठा कर ही दम लेंगे ! साहिल तो अभी छोटा है ! वह भला अपनी माँ और बहनों को कैसे बचा पायेगा !

  साहिल रमज़ान भाई का बेटा था, जो सरकारी स्कूल में आठवीं का छात्र था !

कहने का असली मतलब यह है कि मरने के खौफ ने रमजान भाई को आधा पागल या मानसिक रोगी बना दिया था !

और इसका कारण था - मरने का भय - भय के कारण पैदा हुई टेन्शन यानी कि तनाव ! अब रमज़ान भाई का बीपी भी कभी High  - कभी Low रहने लगा था !

पड़ोस के डॉक्टर अन्सारी फैमिली फ्रेंड थे ! वह रमज़ान भाई को समझाते रहते कि  यार टेन्शन लेना छोड़ दे, तुझे कुछ नहीं होने वाला !

पर रमज़ान भाई की टेन्शन लेने की आदत न गयी !

और इसी टेन्शन यानी कि  तनाव के कारण एक हादसा होते-होते बचा !

उस शाम रमजान भाई ने कुछ ज्यादा ही चढ़ा ली !

झूमते हुए घर लौटे तो अचानक ही सीने में दर्द हुआ !

उफ़...! हाय.... उफ़ !! लगा कि जान जा रही है !

हार्ट अटैक....!!! दिमाग में जबरदस्त सनाका सा हुआ !

और फिर दर्द से बिलबिलाते रमज़ान भाई के दिमाग में सैकड़ों बिजलियाँ कौंधती चली गयीं ! बहुत सारे ख्यालात दिल में घुमड़ते चले गए !

उन में सबसे पहला ख्याल था - हार्ट अटैक ! मैं मरने जा रहा हूँ !

फिर दूसरा ख्याल यह था कि मेरे बाद मेरी बीवी और बेटियों को कोठे पर बैठना पडेगा !

और इसके बाद तीसरी बात जो दिमाग में आई - 'नहीं-नहीं, मैं ऐसा नहीं होने दूँगा ! मरने से पहले मैं ज़मीला और दोनों बेटियों को ही मार देता हूँ तो मेरे मरने के बाद मेरे खानदान की कोई फ़ज़ीहत तो नहीं होगी !'

फिर क्या था !  नशे में टुन्न रमज़ान भाई ने गोश्त काटने वाला बड़ा चाकू उठाया और दूसरे कमरे में एक ही चारपाई पर बैठी-अधलेटी बतियाँ रहीं - ज़मीला और दोनों बेटियों पर टूट पड़ा !

पहला वार ज़मीला के कंधे पर पड़ा ! दोनों बेटियाँ चिल्ला कर दूर भागीं !

संयोग था कि साहिल भी उसी समय ट्यूशन से लौटा था ! माँ की चीख सुनते ही वह लपक कर उस कमरे में आया और माँ को ज़ख़्मी तथा बाप के हाथ में गोश्त काटने वाला चापड़ देख, तूफ़ान की तरह पीछे से रमज़ान भाई पर टूट पड़ा ! उसने रमज़ान भाई की गर्दन बाज़ू में दबोची !

दोनों बेटियों ने झपट कर रमज़ान भाई का चाकू वाला हाथ पकड़ लिया और हाथ को मरोड़ते हुए चाकू नीचे गिरवा दिया !

रमज़ान भाई को निहत्था कर उन्हें कमरे में बन्द कर बाहर से कुन्डा लगा दिया गया !

 साहिल अपनी मम्मी को डॉक्टर अन्सारी के क्लिनिक में ले गया !

ज़ख्म ज्यादा गहरा नहीं था ! पट्टी कर दी गयी !

फिर पड़ोस के कई दमदार मर्दों को साथ ले, डॉक्टर अन्सारी ने रमज़ान भाई की खबर ली, जो बन्द कमरे में सीने के दर्द से हाय-हाय कर रहे थे !

उन्हें तुरन्त प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया !

अस्पताल पहुँचने तक रमज़ान भाई का नशा भी उतर चुका था और अब अपनी हरकत पर न केवल वह शर्मिन्दा थे, बल्कि रो भी रहे थे !

रमज़ान भाई के बॉडी का कम्पलीट चेकअप करवाया गया और सीने के दर्द का जो कारण आया, वह हँसाने लायक था !

 ठूँस-ठूँस कर खाने और पीने की वजह से कुछ ज्यादा ही गैस बन गयी थी ! जो ऊपर चढ़ गयी , जिस से दर्द होने लगा था ! हार्ट-वार्ट की कोई प्रॉब्लम नहीं थी !

फिर कम्पलीट चेकअप में यह भी पता चला कि रमज़ान भाई का दिल, लीवर, फेफड़ें, किडनी - सब कुछ चकाचक हैं ! उसका शरीर पहलवानों जैसा चुस्त-दुरुस्त है ! ज़ुकाम के सिवाय कोई बीमारी नहीं है !

उसके बाद पहले डॉक्टर अन्सारी, फिर अन्य पड़ोसियों के समझाने  तथा अपने बेटे-बेटियों का उदास मुँह एवं ज़मीला का  ज़ख़्मी कन्धा देख, रमज़ान भाई ने सबके सामने रोते हुए कसम खाई कि ज़िन्दगी में कभी शराब को हाथ नहीं लगायेंगे !

तो दोस्तों, देखा आपने - तनाव यानी कि टेन्शन कितनी घातक - कितनी बुरी चीज़ है !

बेहतर है - तनाव से बच कर रहा जाए !

इसलिए हम भी आप से कह रहे हैं - खुश रहा करें ! तनाव से बचें !

और हाँ, शराब के सेवन से भी बचें तो बेहतर है! पीते हों तो आज से.... अभी से तौबा कर लें! तौबा न कर सकें तो इतना तो ठान ही लें कि टुल्ल होने जितना तो कभी नहीं पियेंगे!

-© योगेश मित्तल


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© विकास नैनवाल 'अंजान'

8 टिप्पणियाँ

आपकी टिपण्णियाँ मुझे और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करेंगी इसलिए हो सके तो पोस्ट के ऊपर अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।

  1. तनाव का प्रबन्धन सीखें आज के समय में ज्यादा सटीक होता। बचना मुश्किल है :) सुन्दर आलेख।

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    1. जी ये आपने सही कहा। प्रबन्धन आ गया तो तनाव से नुकसान नहीं ही होगा और न ही उसका पता लगेगा। शुक्रिया।

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  2. बहुत उपयोगी लेख । वैसे सही कहा कि तनाव की वजह भाग-दौड़ की जिन्दगी और अनावश्यक सोच के साथ उपजा भय है ।

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    1. जी सही कहा। भागदौड़ की जिंदगी जिसका और हमारा बढ़ता उपभोक्तावाद इसमें काफी योगदान देता है। कई बार तो हम परिस्थितियों का छिद्रान्वेषण करके भी बिना वजह खुद को तनावग्रस्त कर लेते हैं। लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा।

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  3. अनावश्यक तनाव इंसान को जीने नहीं देता। उपयोगी लेख।

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