हाइकु #2

Image by d Bossarte from Pixabay
हाइकु जापानी शैली की लघु कविता है। इसमें 17 वर्ण होते हैं और इसे तीन पंक्तियों में लिखा जाता है। पहली पंक्ति में पांच वर्ण, दूसरी में सात, और तीसरी में फिर पांच वर्ण होते हैं। इसी शैली में मेरी छोटी सी कोशिश।

1) मन पंछी सा
उड़ता चला जाये
काबू न आये

2) चलती है वो
ढोकर सिर पर
घर-कुटुंब

3) उम्मीद बन 
आया था जीवन में
दे गया टीस

4) नैसर्गिक है,
सुंदर हरा भरा, 
पहाड़ मेरा

5)  कोरोना काल 
है मानव बेहाल 
धरा खुशहाल  

मेरी दूसरी कवितायें:
© विकास नैनवाल 'अंजान'

16 टिप्पणियाँ

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  1. बेहतरीन और लाजवाब हाइकु ।

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 08 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. जी सांध्य दैनिक मुखरित मौन में मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार, सर....

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  3. सही हाइकु लिखने के लिए ... हाइकु की परिभाषा जानने के लिए अध्ययन करना होगा...

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    उत्तर
    1. जी ब्लॉग पर टिप्पणी करने के लिए शुक्रिया.... पर यह टिप्पणी बहुत ही cryptic है... अगर थोड़ा विस्तार से की गयी होती तो शायद आशय साफ़ होता... हाइकु के विषय में मैंने ज्यादा तो नहीं लेकिन कुछ तो पढ़ा है(कविताकोश: हाइकु ).... उसी के हिसाब से ये लिखी गयी थी...इनमें कैसे सुधार होगा ये लिखा होता तो मेरी बहुत मदद होती....

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