इंतजार

इंतजार
इंतजार

एक जोड़ी आँखें
करती रहती हैं
इंतजार
उसका जो चला गया था
छोड़कर कभी
ज़िन्दगी के सफर में
बीच मझदार पर

एक जोड़ी आँखें
करती रहती हैं इंतजार
उन खुशियों का
उन लड़ाइयों का
उन हसरतों का
उन तम्मनाओं का
जो होनी थी पूरी
पर हो न सकी कभी

एक जोड़ी आँखें
तकती रहती हैं
घर के द्वार की तरफ
हो जाती हैं सजग
जब सुनती हैं आहट कदमों की
इस उम्मीद में
के शायद लौट आये वो
किसी दिन
के न होना पड़ेगा
उन्हें नाउम्मीद
किसी दिन

एक जोड़ी आँखें
हो जाती हैं पनीली
आज भी
इतने वर्षों बाद
क्योंकि वो कैद हैं
अपने एकाकी पन के साथ
इस इंतजार में
के वो आएगा और दिलाएगा
निजाद
इस कैद से

एक जोड़ी आँखें
जानती हैं 
के न खत्म होगा इतंजार
न पूरी होगी उम्मीद
हर शाम
द्वार
को तकते हुए
गीली होती रहेंगी ये आँखें
क्योंकि
शायद
इस इंतजार ने
इस उम्मीद ने
आँखों के पोरों पर मौजूद अश्रुओं की बूंदों ने
ही जोड़ा हुआ है उसे उससे
जो छोड़ कर चला गया था
और न लौटेगा कभी

और शायद इसीलिए
यह एक जोड़ी आँखें
तकती रहती हैं
द्वार की ओर
और करती रहतीं हैं
इंतजार


कविता उत्तरांचल पत्रिका के अक्टूबर अंक में प्रकाशित हुई



© विकास नैनवाल 'अंजान'

16 टिप्पणियाँ

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  1. विकास भाई, उम्मीद पर इंसान जिंदा रह सकता है। इसलिए ही इंसान की आंखे किसी अपने का ििईंटजार करती रहती है। भयत सुंदर रचना।

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  2. इंतज़ार तो दिल को होता है पर एक जोड़ी नयन ही हैं जो सहते हैं हर पीड़ा को और आनंद में लम्हों को भी ...
    सुंदर अर्थपूर्ण रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  3. सादर नमस्कार,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार
    (17-07-2020) को
    "सावन आने पर धरा, करती है श्रृंगार" (चर्चा अंक-3765)
    पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।

    "मीना भारद्वाज"

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा में मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार, मैम....

      हटाएं
  4. आंखे भी अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह!लाजवाब अभिव्यक्ति.एक जोड़ी आँखों का जीवन आँखों में सिमट दिया आपने ...प्रेम की सुंदर अनुभूति.
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. बकौल कविवर कुंवर बेचैन-

    "प्रतीक्षा ही प्रेम का आधार है।"

    इंतिज़ार पर सुंदर रचना। कविता को सुगढ़ बनाने के लिए भाव,संवेदना और विचार को शब्दों में पिरोते समय अनावशयक विस्तार से बचना ज़रूरी है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी आभार। आपने सही कहा कि अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए। आपकी टिप्पणी किन हिस्सों को लेकर है यह अभी मुझे साफ़ नहीं हो पा रहा है। अगर आप साफ़ कर देंगे तो कृपा होगी और सुधार करने में मुझे मदद भी मिलेगी। आभार।

      हटाएं
  7. एक जोड़ी आँखों का इन्तजार...
    बहुत सुन्दर भावपूर्ण सृजन
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं

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