मैं मैं रहा, वो वो रही

मैं मैं रहा, वो वो रही
Image by pasja1000 from Pixabay

मैं मैं रहा,
वो वो रही
और हम बिछड़ गये,

मैं हम हुआ
वो वो रही
दिल टूट गया

मैं मैं रहा
वो हम हुई
दिल तोड़ दिया

मैं हम हुआ,
वो हम हुई
ये जहाँ स्वर्ग हुआ

थोड़ा उसकी मानी
थोड़ा उसने मानी
थोड़ी जगह दी
थोड़ा जगह मिली
ताकि ले सकें साँस
दोनों ही

और बस यूँ हुआ
क्या कमाल हुआ
जीवन सफल हुआ
(मौलिक एवं स्वरचित)

मेरी दूसरी कवितायें आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:

© विकास नैनवाल 'अंजान'


14 टिप्पणियाँ

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  1. प्रेम नाम ही है मेरा तुम, तुम्हारा मैं हो जाना.. खूब

    जवाब देंहटाएं
  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (13-03-2020) को भाईचारा (चर्चा अंक - 3639) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    आँचल पाण्डेय

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी, चर्चा में मेरी पोस्ट को जगह देने के लिए हार्दिक आभार।

      हटाएं
  3. सच कहा विकास भाई कि थोड़ी-थोड़ी एक-दुसरे की मानने से जीवन सफल हो जाता हैं। सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  4. मैं का हम हो जाना ही घोतक है प्रेम के अंकुरित होने का या दो के मिलन से एक हो जाने का।
    सुंदर रचना।
    नई पोस्ट - कविता २

    जवाब देंहटाएं
  5. मैं हम हुआ
    वो हम हुई
    ये जहाँ स्वर्ग हुआ

    बहुत खूब ...,सुंदर सृजन

    जवाब देंहटाएं
  6. मैं का भेद मिटते ही जीवन सुन्दर और सरस बन जाता है ।
    बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं

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