आप इतना कैसे पढ़ लेते हैं?

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'आप इतना कैसे पढ़ लेते हैं?' और 'आप उपन्यास कहानियाँ क्यों पढ़ते हैं?'  ये ऐसे  प्रश्न है जो मुझसे अक्सर पूछे जाते हैं। 'आप इतना कैसे पढ़ लेते हैं?' के बाद अक्सर प्रश्नकर्ता यह जोड़ देता है कि पढ़ना तो मैं भी चाहता/चाहती  हूँ लेकिन वक्त की कमी के कारण पढ़ नहीं पाता/पाती हूँ।

'क्यों पढ़ते हैं?' का उत्तर तो एक ही मुझे पढ़ना अच्छा लगता है। और मैं इधर इसकी बात नहीं करूँगा। मैं यह पोस्ट पहले वाले प्रश्न के उत्तर के तौर पर लिख रहा हूँ। यह इसलिए भी है क्योंकि इस प्रश्न के पीछे मुझे उनकी एक इच्छा दिखाई देती है। पढने की इच्छा। वो पढ़ना चाहते हैं लेकिन किसी कारण वश पढ़ नहीं पाते है वो इसी कारण जब मुझे पढ़ते हुए देखते हैं तो मुझसे प्रश्न करते हैं कि मैं इतना कैसे पढ़ लेता हूँ?

इधर सबसे पहले तो मैं यह बताना चाहता हूँ कि मुझे नहीं लगता कि मैं बहुत ज्यादा पढ़ता हूँ।  मैं गुडरीड्स नामक साईट का इस्तेमाल करता हूँ और उधर कई ऐसे लोग भी हैं जो साल की 300 किताबों से ऊपर पढ़ते हैं। जबकि मेरा स्कोर इसका एक तिहाई ही होता है।  हाँ, ये औसत आदमी से ज्यादा है लेकिन इस आँकड़े को आसानी से हासिल किया जा सकता है।

अगर आप पढ़ना चाहते हैं तो आप आसानी से ये काम कर सकते हैं। मैं अक्सर ये कोशिश करता हूँ कि मैं कम से कम बीस पृष्ठ एक दिन में पढूँ। अक्सर यह काम मैं दस से पन्द्रह मिनट में कर लेता हूँ।अगर वक्त मिलता है तो पृष्ठों की संख्या बढ़ जाती है।


सप्ताहंत में मैं एक या दो उपन्यास खत्म कर देता हूँ। एक उपन्यास(200 से 250 पृष्ठ) अगर वो रोचक हो तो आप तीन घंटे से लेकर साढ़े तीन घंटे में निपटा सकते हैं। अगर आप इसका कैलकुलेशन करें तो दिन के बीस पृष्ठ के हिसाब से आप 5 दिन में 100 पृष्ठ पढ़ रहे हैं और सप्ताहंत में एक किताब(200-300 पृष्ठ) निपटा रहे हैं। यानी आप महीने में 1000-1200 पृष्ठ पढ़ सकते हैं। अगर औसत उपन्यास 200-300 पृष्ठ का भी मान लें तो इस रेट से आप महीने में आप तीन से चार उपन्यास पढ़ सकते हैं। यानी अगर हर महीने इसी दर से पढ़े तो आसानी से कम से कम 52 उपन्यास पढ़े जा सकते हैं। इसमें आपको अपना ज्यादा वक्त नहीं देना है। अगर आप हर रोज पन्द्रह मिनट भी देते हैं तो भी महीने में 600 पृष्ठ पढ़ सकते हैं। यानी दो किताबें महीने में और साल में 24 किताबें आसानी से पढ़ सकते हैं।  क्यों हैं न पढ़ना आसान???

यहाँ मैं ये भी जानता हूँ कि हर तरह का उपन्यास पढने का अलग तरीका होता है। आप साहित्यिक उपन्यास टुकड़ों में ही पढ़ते हैं लेकिन रहस्यकथाएँ अक्सर जल्दी एक ही बैठक में पढ़ी जाती हैं। मैं सप्ताहंत के लिए अक्सर रहस्यकथाएँ पढ़ना पसंद करता हूँ और हफ्ते में साहित्यिक रचनाएं। ऐसे में मैं हर तरह का साहित्य पढ़ पाता हूँ और मुझे बोरियत भी नहीं होती है। हर तरह का साहित्य पढ़िए। उसका लुत्फ़ उठाइये। आप उसे पढ़ने में आनन्द लेने लगेंगे तो आप उसके लिए वक्त निकालने लगेंगे।

कई लोग ये भी कहते हैं कि एक उपन्यास के लायक वक्त उनके पास नहीं होता है और टुकड़ों में उनसे नहीं पढ़ा जाता है। ऐसे लोगों को मैं कहूँगा कि उन्हें कहानी संग्रह पढ़ने चाहिए। एक कहानी पांच से दस पृष्ठ की होती है। आप रोज एक कहानी पढ़ सकते हैं। एक संग्रह में अमूमन दस से पंद्रह कहानियाँ होती है तो आप आराम से एक हफ्ते में एक कहानी संग्रह पढ़ सकते हैं। ऐसे में आपको कहानी को अधूरा भी नहीं छोड़ना पड़ेगा। और सप्ताहंत में आप उपन्यास पढ़ सकते हैं


मैं अक्सर उपन्यास और कहानी संग्रह एक साथ पढ़ता हूँ। उपन्यास की पृष्ठभूमि से जब मुझे थोड़ा सा बदलाव चाहिए होता है तो एक कहानी पढ़ लेता हूँ। कभी सफ़र में उपन्यास पढने का मन नहीं करता है तो कहानी पढ़ लेता हूँ। लघु कथाएँ तो मैं ऑटो का इंजतार करते करते पढ़ लेता हूँ। ढाई हजार शब्द पढने में पाँच मिनट का ही वक्त लगता है।


कई लोग कहते हैं कि किताबें काफी महंगी आती हैं जिसे पढना उनके बजट में नहीं होता है। इस कारण वो पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन पढ़ नहीं पाते हैं। उन्हें मैं बताना चाहूँगा कि साहित्यिक पत्रिकाएँ काफी सस्ती हैं। मैं हंस,नया ज्ञानोदय,कथादेश,उत्तरांचल पत्रिका जैसी पत्रिकाएँ खरीदता हूँ। पत्रिका में आपको लेख, कहानियाँ,लघु कथाएँ,कवितायें,समीक्षाएं,यात्रा वृत्तांत और धारावाहिक उपन्यास पढने को मिलते हैं। ये पत्रिकाएँ बीस से चालीस रूपये के बीच में आ जाती हैं और  हर पत्रिका में सौ पृष्ठ के करीब होते हैं। अगर आप सस्ते में कुछ पढ़ना चाहे तो ऐसी दो तीन पत्रिकाएँ ले सकते हैं। और थोड़ा थोड़ा वक्त मिलने पर इन्हें पढ़ सकते हैं। छात्रों के लिए तो ये काफी लाभदायक है। उन्हें साहित्य में क्या हो रहा है इसकी खबर  मिलती  रहती है।  और जेब पर बोझ भी नहीं पड़ता है।


पत्रिकाओं के अलावा आजकल ऑनलाइन समाग्री भी काफी मिल जाती है। आप ऑनलाइन कंटेंट भी पढ़ सकते हैं।  कहानी, लघुकथा, समीक्षा, यात्रा वृत्तांत इधर मौजूद है। अपनी टिप्पणियों से रचनाकारों को वाकिफ करवा सकते हैं। उनका लिखा अपने दोस्तों से साझा कर सकते हैं।

ऑनलाइन लिखने वाले अक्सर विज्ञापन से कमाते हैं तो ये ध्यान रखिये कि ऐड ब्लॉकर का उपयोग न करें। इससे उनको जो थोड़ा बहुत मिलने की गुंजाइश होती है वो भी खत्म हो जाती है। और फिर कई ब्लॉगस और साईट्स निष्क्रिय हो जाती हैं।

कुछ ऑनलाइन साइट्स जिनसे मैं अक्सर पढ़ता हूँ वो हैं:

रचनाकार
शब्दांकन
प्रतिलिपि
गद्यकोश
हिन्दी समय
साहित्य विमर्श

इनके अलावा कई ब्लॉगस भी हैं जिन्हें मैं अक्सर पढ़ता रहता हूँ। उनके लेख, उनकी कवितायेँ, उनके सीरियल उपन्यास मेरी पढ़ने की क्षुधा को शांत करते रहते हैं। अगर आप भी ऑनलाइन स्रोतों से पढ़ते हैं और वो ऊपर दी हुई सूची से अलग है तो उनके नाम टिप्पणी में जरूर साझा कीजियेगा। मुझे और बाकी पढ़ने वालों को कई और स्रोत मिलेंगे जिससे सबका ही भला होगा।

कई लोग मुझसे पूछते हैं कि आप इतनी मोटी किताबे कैसे पढ़ लेते हैं? तो इस विषय में मेरा यही कहना है कि किताबें मैं मनोरंजन के लिए पढ़ता हूँ। कई उपन्यास जिनके पृष्ठ अधिक होते हैं उन्हें पढ़ते वक्त आपको लगता है कि आप अपने पसंदीदा लोगों के साथ वक्त बिता रहे हैं। आप उनसे इतना जुड़ चुके होते हैं कि पृष्ठों की संख्या के ज्यादा होने का आपको पता ही नहीं लगता है। कई बार तो आपको यह लगता है कि कुछ पृष्ठ और होते तो इस दुनिया में मैं और विचर सकता। अगर आप मनोरंजन के लिए पढ़ते हैं तो यकीन जानिए अच्छी किताब जितनी मोटी किताब होगी उतना ज्यादा मजा आपको देगी।

इधर  यह बात भी ध्यान में रखने योग्य है कि पढ़ना कोई दौड़ नहीं है। आप दिन का कुछ वक्त इसके लिए निकाले और किताब में खो जाएँ। आपको दूसरों के लिए नहीं पढ़ना है। खुद के लिए पढ़ना है। इसलिए अपने हिसाब से पढ़िए। बेस्ट सेलर के चक्कर में न पढ़िए। जो कहानी आपको पसंद आती है उसे पढ़िए। जहाँ तक वक्त निकालने की बात है तो आप देखे कि आप अपना वक्त किस गतिविधि में जरूरत से ज्यादा वक्त बिताते हैं। जैसे मेरे लिए सोशल मीडिया, व्हाट्सएप्प और टीवी वह गतिविधियाँ थीं जहाँ मैं  अक्सर अपना वक्त बिता दिया करता था।  मैं अब इन पर उतना वक्त नहीं बिताता हूँ बल्कि इनसे बचे वक्त में पढ़ता हूँ। ऑफिस से लौटते वक्त मोबाइल या किंडल में पढ़ लेता हूँ। ऑफिस में काम करते करते बोर हो जाता हूँ तो बगल में रखी पत्रिका का एक लेख पढ़ लेता हूँ। बाथरूम में भी पढ़ लेता हूँ। रात को सोने से पहले एक आध अध्याय पढ़ लेता हूँ। यानी दिन में दस से बीस मिनट इधर  से उधर से चुरा ही लेता हूँ। मैं ऐसा इसलिए करता हूँ क्योंकि मैं पढना चाहता हूँ।  नये नये किरदारों के साथ नई नई पृष्ठ भूमियों के विषय में जानना पसंद है। कई दृष्टिकोण जानना पसंद है।

आप यह काम फ़िल्म देखकर भी कर सकते हैं लेकिन उस माध्यम की अपनी सीमा होती है। आप किरदारों के मनोभावों को उतना नहीं जान सकते, उनके आंतरिक द्वंद को उतना नहीं समझ सकते।   ऐसे ही थोड़े न कहा गया है कि किताबें फिल्मों से अक्सर बेहतर होती हैं। मैंने अभी तक यही अनुभव किया है कि कोई भी फिल्म हमारी कल्पना से बेहतर नहीं हो सकती है।

जितना वक्त मैं पढ़ने के लिए निकालता हूँ उतना वक्त सबके पास होता है बस वो लोग बाकि किसी और चीज में बिता देते हैं और मैं पढ़ने में उसका उपयोग करता हूँ।

तो आशा है आप इस लेख को पढ़कर समझ गये होंगे कि मैं इतना कैसे पढ़ लेता हूँ। आपको यह पसंद आया होगा।

मैं हर साल जो भी किताबें पढ़ता हूँ उसके विषय में अपनी राय लिखने की कोशिश करता हूँ। इस कार्य के लिए मेरा दूसरा ब्लॉग है। इस साल पढ़ी पुस्तकों की सूची आप निम्न लिंक पर जाकर देख सकते हैं। जिन पुस्तकों के विषय में मैंने लिखा है उनके ऊपर मेरे विचार आप नाम के ऊपर क्लिक करके पढ़ सकते हैं:

2019 में पढ़ी गयी किताबें

अंत में मैं आपसे जानना चाहूँगा कि क्या आपको पुस्तकें पढ़ना पसंद है? अगर हाँ, तो इस दौड़ती भागती ज़िन्दगी में आप अपनी इस रूचि के लिए वक्त किस तरह निकाल पाते हैं? अपने विचार जरूर बताईयेगा। कुछ कमी लगे तो वह भी बताईयेगा।


© विकास नैनवाल 'अंजान'

14 टिप्पणियाँ

आपकी टिपण्णियाँ मुझे और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करेंगी इसलिए हो सके तो पोस्ट के ऊपर अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।

  1. किताबों की अपनी ही दुनिया है इस दुनिया से रहने वाला समय निकालने की जरूरत ही महसूस नही करता पढ़ने के लिए समय जीवन का अनिवार्य हिस्सा हो जाता है जैसा आपने बयान किया है । प्रेरक लेख ।

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  2. साहित्य पढ़ने के लिए आपका वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रेरणादायक है।

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    1. जी धन्यवाद, सर। मुझे अक्सर अपनी पढ़ने की गति को लेकर सवाल पूछे जाते हैं तो मैंने सोचा कि एक पोस्ट के माध्यम से यह बताया जा सकता है कि मेरे पढ़ने की गति कोई असम्भव कृत्य नहीं है। ब्लॉग पर आते रहियेगा।

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  3. बहुत ही अच्छा आर्टिकल लिखा है सर आपने .
    मेने भी बहुत अच्छा लिखा है एक बार चेक कर लिए कृपया.
    Moral Stories in Hindi

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  4. पत्र पत्रिका बचपन से पढ़ता रहा चंपक से शुरुआत की थी जो बढ़े होते हुए दिनमान कांदंमनी मनोहर कहानियाँ शाम हुदा और न जाने कहाँ तक पढ़ता रहा।वक्त की कमी होती थी सेवानिवृत्ति के बाद कुछ पाकेट भी कम आज्ञा देता है प्रतिलिपी या फ्री पीडीएफ बुक मोबाइल पर पढ़ता हूँ ।आपका सुझाव कामकाजी लोगों के लिए जो पढ़ने के शौकीन हैं अच्छा है ।

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    उत्तर
    1. जी अब तो ऑनलाइन काफी सामग्री मिल जाती है। ऊपर कई साइट्स का नाम दिया है। उधर जाकर पढ़ सकते हैं। फिर ब्लॉगस भी पढ़ने का अच्छा माध्यम है। उधर भी आप पढ़ सकते हैं।

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  5. वाह जी ,आप ने मुझे मेरे सवालों का जवाब दे दिया, धन्यवाद इस लेख के लिए ।

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    1. जी लेख आपको पसन्द आया यह जानकर अच्छा लगा। आभार, दिनेश जी।

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  6. बढ़िया आलेख
    विकास जी इसमें एक और साइट जोड़ लीजिये.... apnihindi.com.....मैंने वहाँ काफ़ी पढ़ा है.... 😊😊😊😊😊

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    उत्तर
    1. जी अनगिनत वेबसाइट हैं जहाँ से पढ़ा जा सकता है। ये तो एक शुरुआती बिंदु भर है। एक बार व्यक्ति शुरू करेगा तो कई स्रोतों तक पहुंच जायेगा।

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