पेड़ का इंतकाम - एलानोर एफ लुईस की कहानी का हिन्दी अनुवाद


पेड़ का इंतकाम - एलेनोर एफ लेविस की कहानी
Image by Miroslav Sárkozy from Pixabay

एलानोर एफ लुईस (Eleanor F Lewis) की कहानी The Vengeance of a tree (द वेंजियंस ऑफ़ अ ट्री)  डब्ल्यू बॉब हॉलैंड द्वारा सम्पादित किताब ट्वेंटी फाइव घोस्ट स्टोरीज में प्रकाशित हुई थी। यह किताब 1904 में पहली बार प्रकाशित हुई थी।


लेखिका के विषय में मैंने और जानकारी ढूँढने की कोशिश लेकिन मुझे ज्यादा कुछ मिला नहीं। अगर आपको कुछ जानकारी हो तो यह बताईयेगा।


मूल कहानी का लिंक:
The Vengeance of a tree


यह तो थी कहानी के विषय में जानकारी। अब चलिए कहानी पढ़ते हैं।


सी...नामक एक छोटे से कसबे में जिम डाली के सलून की खिड़की से डूबते सूरज की रोशनी हल्के पीले टुकड़ों में पहुँचकर, टेबल में मौजूद गिलासों और बार में मौजूद विभिन्न लोगों के चेहरे को रोशन कर रही थी। इधर जितने लोग इकठ्ठा हुए थे उनमें से ज्यादातर किसान थे, थोड़े बहुत दुकानदार थे लेकिन इस महफ़िल में  मौजूद सबसे विशिष्ठ आदमी इस कस्बे से निकलने वाले अखबार का सम्पादक था। वह सभी लोग मिल कर एक खबर के ऊपर चर्चा कर रहे थे जो आग की तरह पूरे कस्बे और उसके आस पास के इलाके में फ़ैल गई थी।  यह बात कि वाल्टर स्टेडमैन, जो कि अल्बर्ट केसली के खेतों में  काम करने वाला एक मजदूर था, ने अपने मालिक की बेटी के ऊपर हमला करके उसे मौत के घाट उतार दिया था इन लोगों तक भी पहुँच गई थी और इसके कारण सभी लोग एक दहशत का अनुभव कर रहे थे।

उधर मौजूद एक एक किसान ने यह ऐलान किया कि उसने कत्ल होते देखा था। उस दौरान वो पड़ोस की गली से गुजर रहा था लेकिन वह इतना डर गया था कि उसने लड़की की मदद करने के बजाए,खदान में काम करने वाले कुछ लोगों,जो कि अपना दिन का खाना निपटा कर वापस लौट रहे थे, को बुलाना बेहतर समझा था। जब तक वो घटनास्थल तक पहुँचते तब तक स्टेडमैन(जैसे की उनका अनुमान था) ने उस जघन्य अपराध को अंजाम दे दिया था, उधर केवल लड़की की लाश पड़ी थी। उसका कातिल मौका पाते ही चम्पत हो गया था। उन लोगों ने केसली एस्टेट के जंगलों में कातिल की तलाश की थी और जैसे वो केसली के घर के नजदीक पहुँच रहे थे वैसे ही उन्होंने वाल्टर स्टेडमैन को लड़खड़ाते कदमो से उनके तरफ बढ़ते हुए देखा था। उसे देखकर उन लोगों ने अपनी चला बढ़ा दी थी। वह तेजी से उस तक पहुँचना चाहते थे।


उसे जल्द ही पकड़ लिया गया था। उस वक्त भी वो खुद को बेगुनाह बता रहा था। वह कह रहा था कि उसने स्टेशन जाते हुए ही पहली बार लड़की की लाश को देखा था और जब उन लोगों ने उसे पकड़ा तो वो घर की तरफ मदद मांगने के लिए जा रहा था। उसकी इस दलील का लोगों पर फर्क नहीं पड़ा। उसका कथन हास्यास्पद था और उन्होंने उसे कसबे के जेल में ठूँस दिया। अब वह छोटी सी दम घोटू जेल ही उसकी किस्मत थी।

उनके पास सबूत क्या था? वाल्टर स्टेडमैन, एक छब्बीस साल का जवान लड़का था, जो कि शहर से इस शांत कस्बे में काम की तलाश में इसलिए आया था क्योंकि शहर में उसकी माली हालत ठीक नहीं थी। इस कस्बे में रहने वाले ज्यादातर आदमी इमानदार थे। उन्हें जब भी काम मिलता तो वह  बड़ी ईमानदारी से अपना काम करते थे। पहले पहल जब उन लोगों ने वाल्टर को अपने साथ पीने के लिए आमंत्रित किया था तो उसने बेहद बेहूदगी से उनके निमन्त्रण ठुकरा दिया था, ऐसे जैसे वह यहाँ के लोगों से बेहतर हो। "वो कमबख्त शहरी बाबू”, उसे कस्बे के लोग कहा करते थे। उनकी नफरत और उसको लेकर जलन तब और ज्यादा बढ़ गई जब अल्बर्ट केसली ने अपने लोगों के बजाय उसे काम पर रखा। जैसे जैसे वक्त गुजरा वैसे वैसे यह किस्सा भी मशहूर होने लगा कि स्टेडमैन का मन मार्गरेट केसली पर रीझ गया था। वहीं यह किस्सा भी सभी के जुबान पर था कि मार्गरेट, जो कि उसके मालिक अल्बर्ट की बेटी थी, ने वाल्टर के इश्क को यह कहकर ठुकरा दिया था कि वह एक साधारण मजदूर के साथ ब्याह नहीं करेगी। वाल्टर की इस हरकत की खबर जब उसके मालिक अल्बर्ट को लगी तो उसने उसे नौकरी से निकाल दिया था। और यही कारण था कि अपनी बेइज्जती का बदला वाल्टर ने इस तरह लिया था। उन लोगों के लिए वाल्टर को गुनाहगार घोषित करने के लिए यह सबूत काफी थे।

 उस दोपहरी में, जब स्टेडमैन जेल की कोठरी में दुबका बैठा अपनी जीवत बचने की सारी  आशा खो चुका था और उसे विश्वास हो चला था कि वह बेगुनाह तो मारा जायेगा लेकिन उसकी तकलीफ ज्यादा दिनों तक नही रहेगी क्योंकि वो जल्द से जल्द उसे सजा दे देंगे, तब एक आवारा आदमी कस्बे से कई मील दूर एक माल गाड़ी के डिब्बे में चढ़कर उस जगह से बहुत दूर चला जा रहा था जहाँ की कत्ल को अंजाम दिया गया था। उस आवारा व्यक्ति को पता था जो अपराध उसके हाथों हुआ था उस अपराध की छाया ताउम्र उसका पीछा करती रहेगी।

अपनी कोठरी की छोटी सी खिड़की से वाल्टर स्टेडमैन ढलते सूर्य की लालिमा को देख सकता था। अब उसकी ज़िन्दगी का सूरज भी हमेशा हमेशा के लिए ढलने वाला था। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि वह गुनाहगार नहीं था। उसकी ज़िन्दगी ऐसे गुनाह के लिए ली जाने वाली थी जो कि उसने कभी किया ही नहीं था। उसके दिमाग में उमड़ते घुमड़ते दृश्यों में सबसे ज्यादा साफ़ मार्गरेट केसली का दृश्य था। वह दृश्य जब उसने मारग्रेट केसली की लाश को पहली बार देखा था। उसके कुछ देर पहले ही किसी ने मारग्रेट का क़त्ल कर दिया था। उस लाश को देखकर उसके दिल से जो आह निकली थी, जो दर्द उठा था वह अब तक उसे महसूस कर सकता था।इसके आलावा एक बहुत ही सुन्दर और मासूम सा दृश्य भी उसके ख्यालों में घूम रहा था। मार्गरेट के साथ बिताई खूबसूरत पलों की याद उसके मन में अभी भी मौजूद थी। न जाने कितनी देर तक उसने और मारग्रेट ने अपने बीच के इस खूबसूरत रिश्ते को छुपाकर रखा था। वह लोग इंतजार कर रहे थे कि कब उसे पदोन्नति मिले और वह मार्गरेट के पिता से उसका हाथ माँग सके। वह ऊंचे पद पर होता तो मारग्रेट के पिता के रिश्ते के खिलाफ होने की सम्भावना भी काफी कम हो जाती। और फिर उसे वह दृश्य याद आया जब केसली एस्टेट में मौजूद जंगलों में मिल रहे थे। उस दिन जब वो कुछ समय साथ बिताकर वापस लौट रहे थे तो वाल्टर ने अपने आस पास कुछ क़दमों की आहट को सुना था। जब उसने आवाज की दिशा में देखा था तो उन्हें एक खूँखार, गुस्सैल चेहरा एक झाड़ी से  झांकता हुआ दिखा था। वह उस चेहरे के तरफ बढ़ा ही था कि वह व्यक्ति तेजी के साथ उधर से गायब हो गया था।

उसके बाद से ही उसके रिश्ते की बात कस्बे में उजागर हुई थी। कस्बे के लोगों ने उनके इश्क को गलत समझा था। जब उस आदमी ने, जो कि बाद में उस वाल्टर स्टेडमैन के खिलाफ उमड़ी हुई भीड़ के नेता के रूप में उभरने वाला था, ने अल्बर्ट केसली को वाल्टर और मारग्रेट की इस गुप्त मीटिंग के विषय में बताया और केसली ने उसे निकाल दिया तो कस्बे के लोगों को लगा कि वाल्टर ने अपने दिल की बात मारग्रेट से की थी और मार्गरेट ने उसके प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था। यह वही आदमी था जो कि भीड़ को उसके खिलाफ भड़का रहा था। इसीलिए जैसा कि अक्सर होता आया है और आगे भी होगा न्याय की जगह अन्याय हुआ था। एक मासूम बेगुनाह आदमी को फाँसी पर लटकाया जा रहा था। उसे खुद को बेगुनाह साबित करने का मौका भी नहीं दिया गया था और जिसने गुनाह को अंजाम दिया था वह व्यक्ति कहीं भी जाने को आज़ाद था।

शरद ऋतू की उस रात को अँधेरा जल्द ही आ गया था। आसमान में चाँद नहीं था और तारे रात में रोशनी करने की असफल सी कोशिश करते प्रतीत हो रहे थे। आदमियों का एक जत्था, जिसमें सभी ने नकाब चढ़ाया हुआ था, और जिनका नेता वो व्यक्ति था जो वाल्टर के कस्बे  में आने के बाद से ही उससे नफरत करता था, वाल्टर  स्टेडमैन को उसकी कोठरी से घसीटते हुए,पूरे कस्बे का चक्कर काटते हुए, क़ानून धज्जियाँ उड़ाते हुए, भगवान की धज्जिया उड़ाते हुए उसे मौत के घाट उतारने के लिए ले जा रहे थे। हाई वे के साथ चलते हुए वो लोग एक किसान ब्राउन की जमीन में दाखिल हुए। उन लोगों की सतर्क नज़र अपने कैदी पर थी। कैदी का कुम्हलाया हुआ चेहरा लोगों के हाथों में मौजूद लालटेन की रोशनी में दिखलाई पड़ता था।और वह अपने यमदूतों के पीछे गहरी नाउम्मीदी के साथ चलता चला जा रहा था।


“यह पेड़ ठीक रहेगा”, नेता ने कहा और एक बड़े से बलूत के पेड़ की तरफ इशारा किया। इसके बाद स्टेडमैन की मुश्के कसी गई। उसके गर्दन पर फंदा डाला गया और उसे एक बक्से के ऊपर खड़ा किया गया। जब स्टेडमैन बक्से पर खड़ा हुआ तो उनके नेता ने कहा - “तुम्हे अगर आखिर में कुछ कहना है तो,  कह डालो।”

“मैं भगवान की कसम खाकर कहता हूँ कि मैं बेगुनाह हूँ”, वाल्टर गिड़गिड़ाया;”मैंने मार्गरेट केसली का खून नहीं किया है।”

“अगर ऐसा है तो सबूत दो” , नेता ने वाल्टर का मखौल उड़ाया और जब वाल्टर बेबसी के कारण चुप रहा तो उसने एक छोटी सी हँसी हँसी। नेता को पता था कि वाल्टर सबूत नहीं दे पायेगा। उसका मरना तय था।

“तैयार हो साथियों”, उसने आदेश दिया। बक्से को लात मार कर परे धकेला गया और उसके बाद केवल एक तड़पता शरीर इधर से उधर उस उदास शाम में झूलता रहा।

उन आदमियों में सबसे आगे उनका नेता खड़ा था जो कि खुशी से वाल्टर के शरीर की तड़प को देख रहा था। "मैं तुम्हे एक रहस्य बताऊँ,दोस्तों", उसने अचानक कहा। "मारग्रेट के पीछे मैं खुद पड़ा हुआ था। वैसे तो मुझे पता था कि वो मुझे घास नहीं डालने वाली थी लेकिन मुझे यह भी पता है कि उसने इसे भी घास नहीं डालना था।”

फिर कुछ देर तक छुप्पी छा गई। कुछ देर की शांति की बाद वो बोला- “अब रूह इस धरती से जा चुकी है। यह मर चुका है। इसे उतार दो।”

                                                               

                                                                           ************

“इस काम को करने में कुछ फायदा नहीं है, बेटे। मैं अब इस पर और वक्त जाया नहीं करूँगा। इस पेड़ के साथ कुछ न कुछ अजीब जरूर है। तुम देख नहीं रहे हो कि इसके टहनियों ने कैसे इसका संतुलन बनाकर रखा हुआ है। हमने इसके तने को लगभग दो हिस्से में काट दिया है लेकिन ये गिरने को राजी नहीं है। हम किसी और पेड़ को देख लेंगे; वैसे भी इधर काफी पेड़ मौजूद हैं। अगर मेरे पास एक लंबी रस्सी होती तो मैं इसे जरूर गिरा देता लेकिन फिर अब यह जिस तरह से खड़ा हुआ है उस हिसाब से किसी भी व्यक्ति का उस पर चढना खतरनाक होगा। मुझे यकीन है इसमें कोई शैतानी शक्ति का वास है।”,बूढ़े किसान ब्राउन ने अपने बेटे से कहा।

फिर ब्राउन ने अपना कुल्हाड़ा अपने कंधे पर रखा और दूसरे पेड़ का रुख कर लिया। उसका बेटा भी उसके पीछे हो लिया। उन्होंने उस सफेद बलूत के पेड़ को गिराने की बहुत कोशिश की थी लेकिन वो उस पेड़ को गिराने में कामयाब नहीं हो पाए थे।

ब्राउन नाम का यह किसान, अपने कमजोरी और कायरता के लिए प्रसिद्ध था। यह वही किसान था जिसने पहले अपने कायरता पूर्ण स्वभाव के कारण मारग्रेट के कातिल की गलत पहचान की थी और उसे अल्बर्ट केसली की बेटी की हत्या के जुर्म में फंसवा दिया था, और अब उसी ब्राउन ने अपने अंधविश्वास के चलते उस बलूत के पेड़ को काफी हद तक काटने के बाद भी खड़ा रहने दिया था। और इस तरह वह पेड़, जिस पर एक बेगुनाह आदमी को लटकाया था- किसी और पेड़ को गिराने के चक्कर में छोड़ दिया गया।

वह एक अँधेरी और सूनी बरसाती रात थी - ऐसी रात जो कि मध्य कैलिफ़ोर्निया में ही देखी जा सकती थी। हवा चलने की आवाज़ ऐसी थी जैसे कई शैतानी आत्माएं रो रही हों। चारो तरफ पेड़ इधर से उधर ऐसे लहरा रहे थे जैसे वो अपनी जड़े छोड़ कर उड़ने की तैयारी कर रहे हों। रह रह कर उल्लू की मनहूस चीख दूरी से आती प्रतीत हो रही थी और काइओट(एक प्रकार के जानवर) के रोने की आवाज़ आस पास के पहाड़ से टकराने के बाद किसी शैतानी हँसी की तरह प्रतीत हो रहे थे। यह सब बातें मिलकर माहौल को और डरावना बना रही थी।

ऐसे खौफनाक हवा और बारिश में एक आदमी झाडी से निकलकर ब्राउन की जमीन से गुजरकर जा रहा था। शायद यहाँ से उसके घर का रास्ता छोटा पड़ता था। अचानक से चलते चलते वह रुक गया। वह इस तरह काँप रहा था जिसे उसे किसी अदृश्य शक्ति ने रोक लिया हो। उसके कदम आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। उसके सामने वह बलूत का पेड़ था था जो तूफ़ान में इधर से उधर झूम रहा था।

“हे भगवान! ये तो वही पेड़ है जिससे मैंने स्टेडमैन को लटकाया था,” वह चिल्लाया और एक अजीब सी दहशत उस पर सवार हो गई।

उसकी आँखे उस पेड़ की तरफ किसी अनजाने आकर्षण के कारण टिकी हुई थी। अचानक उसने एक बात पर ध्यान दिया कि पेड़ की एक लम्बी सी टहनी से अभी भी रस्सी का एक टुकडा लटक रहा था। और फिर अचानक से उस कातिल ने जो देखा उससे उसकी आँखें आँखों की कटोरी से बाहर आने को हुई। पेड़ से लटक रही वह रस्सी अब धीरे धीरे लम्बी हो रही थी। फिर उस लम्बी रस्सी पर फंदा बनने लगा और उस फंदे के बीच में अचानक से एक गर्दन आ गई और फंदे के नीचे एक शरीर बना और वह शरीर दर्द के मारे छटपटाने लगा।

“सत्यानाश हो उसका” , वह फंदे से लटकती आकृति को देखकर बुदबुदाया। वह कुछ इस तरह उस आकृति को देख रहा था जैसे वह खुद ही अपने हाथों से उस आकृति का गला दबा देना चाहता हो। "क्या यह हमेशा मेरा पीछा करेगा? अच्छा हुआ उस मार दिया। इस कमीने की यही सजा होनी चाहिए थी। इसने मार्गरेट को  जान से...”

पर वह अपना वाक्य खत्म न कर सका। वह सफेद बलूत का पेड़ जो उसके सामने खड़ा था अब  वह ऐसे बढ़ता जा रहा था जैसे वह कोई ज़िंदा प्राणी हो। अचानक से तेज चटकने की आवाज़ हुई और फिर एक धमाका सा हुआ और कुछ देर बाद उस बड़े बलूत के पेड़ के नीचे वाल्टर स्टेडमैन का कातिल कुचला जा चुका था। उसके प्राण पखेरू उड़ चुके थे।

कुछ ही देर बाद टूटे हुए तने और ठूँठ के बीच से एक धुँधली सी मानव आकृति बाहर को कूदी । फिर वह आकृति उस आदमी की लाश के पास से भागती हुई उस रात के अँधेरे में कहीं गुम हो गई।

 
                                                                         समाप्त

मेरे किये दूसरे अनुवाद आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
हिन्दी अनुवाद

अपको यह अनुवाद कैसा लगा? अपने विचारों से मुझे अवगत करवाईगा।



© विकास नैनवाल 'अंजान' 

14 टिप्पणियाँ

आपकी टिपण्णियाँ मुझे और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करेंगी इसलिए हो सके तो पोस्ट के ऊपर अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।

  1. कहानी का बहुत बढ़िया अनुवाद । कहानी का प्रवाह अनुवाद में कहीं भी बाधित नही हुआ ।

    जवाब देंहटाएं
  2. विकास जी,अनुवाद तो बहुत अच्छा हैं। लेकिन मुझे अंत में जो मानव बाहर आया वो कौन था यह नहीं समझ मे आया।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी जहाँ तक मेरा अंदाजा है, वह शायद वॉल्टर स्टेडमैन की आत्मा थी। यही कारण था कि ब्राउन की कोशिशों के बाद भी वह पेड़ गिर नहीं पाया था। वह आत्मा पेड़ में ही रह गयी थी और जब उसे अपने कातिल से बदला लेने का मौका मिला तो उसने वह मौका नहीं छोड़ा। और एक बार बदला लेने के बाद उसका पेड़ पर रहना भी जरूरी नहीं रहा। लेकिन ये केवल मेरा ख्याल है। लेखक ने यह बात साफ़ नहीं की है वैसे ही जैसे उसने यह बात साफ़ नहीं की है कि मार्गरेट केसली को किसने और क्यों मारा था।

      हटाएं
  3. बढ़िया और रोचक कहानी और शानदार अनुवाद।


    “हे भगवान! ये तो वही पेड़ है जिससे मैंने स्टेडमैन को लटकाया गया,” लाइन में सुधार की जरूरत है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार, हितेश भाई। न जाने कैसे था कि जगह गया हो गया। बहरहाल,सुधार कर लिया गया है। ध्यानाकर्षण के लिए शुक्रिया।

      हटाएं
  4. जितनी सुंदर कहानी है उतना ही सुंदर अनुवाद किया है।

    जवाब देंहटाएं
  5. विकास नैनीताल जी,
    आपकी मजबूत लेखनी ने अति सुन्दर अनुवाद किया है।
    हादी हसन

    जवाब देंहटाएं
  6. नमस्ते.....
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की ये रचना लिंक की गयी है......
    दिनांक 29/05/2022 को.......
    पांच लिंकों का आनंद पर....
    आप भी अवश्य पधारें....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी पाँच लिंको का आनंद में मेरी रचना शामिल करने हेतु हार्दिक आभार।

      हटाएं
  7. सुन्दर !
    Unique व चर्चित रचनाओं का अनुवाद निरन्तर करते रहें !

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिपण्णियाँ मुझे और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करेंगी इसलिए हो सके तो पोस्ट के ऊपर अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।

और नया पुराने