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हुआँ हुआँ वो देख हमे चिल्लाता है,
न करो परवाह तो गुर्राता है,कसमसाता है,
उड़ेल के ज़माने में ज़हर नफरतों का,
वो वफ़ा-ए-वतन कह इसे इतराता है,
गर साथ हो तुम उसके तो ही हो इस देश के,
नहीं तो दुश्मन-ए-वतन वो तुम्हे बतलाता है,
नापने के मोहब्बत के उसके अपने पैमाने हैं,
गर न मानो तो दाँत नोकीले दिखलाता है,
कान फोडू शोर के बीच सिसक रही इनसानियत,
वो देख मंजर चारो तरफ का कहकहे लगाता है,
झूम रहा हैं न जाने किस नशे में वो,
साथी को अपने, बैरियों में वो गिनाता है
ये वक्त है शोर मचाने का ए अंजान,
जो न चिल्लाए वो देशद्रोही कहलाता है
विकास नैनवाल 'अंजान'
सटीक
जवाब देंहटाएंजी आभार सर।
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