Whodunit?- a documentary on hindi pulp fiction

स्रोत : पिक्साबे

हु डन इट का अगर अनुवाद करें तो तो इसका मतलब होगा 'किसने किया' और जो काफी हद तक सही भी होगा। हु डन इट जासूसी साहित्य का एक सब जौन्र(sub-genre) है जिसके अंतर्गत आपको ये पता लगाना होता है कि जो कत्ल हुआ है उसको करने वाला शख्स कौन है।

मुझे जासूसी साहित्य पसंद है। और फिर अगर वो हिंदी में हो तो पढने में मज़ा आ जाता है।

एक हत्या होती है। हत्या करने का शक दो चार लोगों के ऊपर होता है। और हीरो को उन लोगों के बीच से असली कातिल को ढूँढना होता है। तो साहेबान ये होता है एक हु डन इट का स्ट्रक्चर। अपराध कथाओं की बात करें तो उनकी ये श्रेणी सबसे प्रसिद्द श्रेणियों में से एक है। हिंदी पल्प में ये उपन्यास सबसे ज्यादा बिकते हैं।

अगर आप इन्हें पढना पसंद करते हैं या आप साहित्य की इस श्रेणी के विषय में जानना चाहते है तो आपको निम्न डाक्यूमेंट्री जरूर देखनी चाहिए। डाक्यूमेंट्री  ए जे के एम आर सी (AJK Mass Communication Research Centre, Jamia Millia Islamia) के छात्रों ने बनाई है।  मैंने ये डाक्यूमेंट्री सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के ऊपर बने एक यू ट्यूब विडियो में देखी थी। उसमे इसका कुछ अंश था। फिर उधर से ढूँढा तो निम्न लिंक मिला और मैंने इसे पूरा देखा।





हिंदी में बनी इस डाक्यूमेंट्री में एक साथ अपराध कथा लेखन के कई पहलुओं को दर्शाया गया है। इन पहलुओं को  अलग अलग लोगों के साक्षात्कार के माध्यम से  दर्शाया गया है। 

इसमें कई लोगों के साक्षात्कार हैं। 
अपराध कथा  के  पाठकों(विशेषतः सुरेन्द्र मोहन पाठक को पढने वाले) के साक्षात्कार हैं।  सुरेन्द्र मोहन पाठक हिंदी अपराध कथाओं आज के समय के सबसे महत्वपूर्ण लेखकों में से एक हैं। इसमें उनका साक्षातकार भी है।

हिंदी पल्प संसार में भूत लेखन बहुत होता है। यानी लिखता कोई और है लेकिन उसमे नाम किसी और बंदे का होता है। ऐसे ही एक भूतलेखक से आपकी मुलाकात कराई जाती है। 

इसके इलावा हिंदी पल्प के जो कवर होते थे उन्हें बनाने का काम 'शैली' जी करते थे। इन कवर्स की अपनी खूबी होती थी।  तो उनका साक्षातकार है। वो कैसे इन कवर्स को बनाते थे और अब क्यों ये काम नहीं कर रहे हैं ? इन सब बातों पर चर्चा होती है। 

इसमें साक्षात्कार तो है हीं परन्तु इनके इलावा एक और चीज साथ साथ चलती है वो है एक रहस्यकथा- एक तीर दो निशाने। इमरान और रोज़ी एक क्लब में मिले थे। रोज़ी क्लब में नाचती थी और इमरान एक सस्पेंडेड पुलिस ऑफिसर था। लेकिन दोनों में एक चीज थी जो उन्हें जोड़ती थी और वो था उनका अकेलापन। इसलिए रोज़ी इमरान के साथ उसके कमरे पे आ गयी। लेकिन जब सुबह हुई तो इमरान के पैरों तले जमीन खिसक गयी। रोज़ी उसके बिस्तर पर मरी हुई थी। 

कैसे हुआ था रोज़ी का कत्ल? किसने किया था? पुलिस के अनुसार इमरान ही उसका कातिल था। लेकिन इमरान खुद को बेक़सूर बता रहा था और ये साबित करने के लिए उसे असली कातिल को उजागर करना था।  क्या वो ये कर पाया?

ये जानने के लिए आपको डाक्यूमेंट्री ही देखनी होगी। 

डाक्यूमेंट्री में कमी तो मुझे कोई नहीं दिखी बस हाँ इतना था कि अगर इसमें बाकी दूसरे  हिंदी अपराध कथा लेखकों  जैसे अनिल मोहन, वेद प्रकाश शर्मा के भी साक्षात्कार होते तो इसमें चार चाँद लग जाते। 

खैर, क्योंकि मैं एक आदमी हूँ और उसमे संतुष्टि नहीं होती तो ऊपर वाली बात मैंने कह दी। वरना इसमें कमी कोई नही है।  तो इन्तजार किस बात है। जाकर देखिये इस डाक्यूमेंट्री को। और इसके विषय में अपनी राय कमेंट(विडियो के) में जरूर दीजियेगा ताकि उन लोगों का हौसला अफजाई हो सके जिन्होंने इसे बनाया है। 

अगर ऐसा कोई विडियो आपकी नज़र में है तो उसका लिंक कमेंट बॉक्स में जरूर दीजियेगा। 

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