एक कविता

कभी कभी जब हम अप्रत्याशित तरीके से किसी से रूबरू  होते हैं  तो  उस मुलाकात का अपना ही मज़ा होता है । आज मैं भी ऐसे ही अमित कुमार सिंह जी कि कविता से रूबरू हुआ। ये  मुझे काफी खूसूरत लगी। इस कविता को आपके साथ साझा करने का मन हुआ ,तो लीजिये पेश है:

जब से पहना है जिस्म तेरा,
एक एहसास,कोई खुशबु
तर तर भिगोता है मुझे,
न जाने कौन सी गहराई है !
पल पल डुबोता है मुझे,
दफ़न कर दो हर चीज कुछ देर के लिए ,
कि बस में तुझमे जीना चाहता हूँ,
कि बस मैं तुम्हे जीना चाहता हूँ।

-'अमित कुमार सिंह'


कविता का  स्रोत:

अगर  कविता का जिक्र के साथ उसके स्रोत का ज़िक्र न हो तो ये बैमानी  सा लगेगा। ये कविता नीलांजन दास जी की एक पिक्चर बुक Beyond Eternities में इस्तेमाल की गयी थी । ये house of koan द्वारा प्रकाशित की गयी है जिनका ब्लॉग एड्रेस ये है:
House of Koan blog link

और फेसबुक पेज का एड्रेस ये है:
Facebook page

पुस्तक में काफी सुन्दर तस्वीरों का संकलन किया है। तस्वीरों में मॉडल मोनालिसा हैं , जिन्हे तरह तरह की देवियों के रूप में दिखाया गया है जैसे :Goddess of Love, Goddess of Inspiration,Goddess of Death इत्यादि। आप इन तस्वीरों को इनके पेज में जाकर देख सकते हैं।


(Note:अगर कविता इस चिट्ठे पर डालने से कोई कॉपीराइट उलंघन हो रहा है ,तो उसे मेरी नज़र में ला जाईयेगा ,मैं इस सन्देश को हटा दूँगा।)

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